भारत का जम्मू कश्मीर राज्य आतंकवाद को लेकर चर्चा में है। वैसे तो घाटी में पनप रहे आतंकवाद के कई कारण है। किंतु, इसमें सबसे अहम कारण है, युवाओं का माइंडसेट।
हालिया दिनो में घाटी के युवाओं में आतंकवाद के प्रति रुझान तेजी से बढ़ा है। इसकी वजह ये है कि जेहाद के नाम पर युवाओं का ब्रेनवाश करने वाले लोग जन्नत का ख्वाब दिखा कर युवा पीढ़ी को गुमराह करने में लगे है। नतीजा, युवाओं में, खास करके घाटी के युवाओं में आतंकी बनने का सुरुर सवार हो गया है। पाक पसंद लोग सोशल साइट पर मनगढ़त मिशालें पेश करके युवाओं का ब्रेनवाश कर रहे है।
उच्च शिक्षा प्राप्त युवा भी थाम रहें हैं बंदूक
एक समय था, जब कहा जाता था कि अनपढ़ या कम पढ़े लोग ही आतंकवाद या नक्सलवाद को अपनाते है। किंतु, कश्मीर में इस कथन को अधारहीन साबित कर दिया है। यहां इंजीनियर, प्रोफेसर, वकील या तकनीकि के क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले युवा भी इन दिनो अपने हाथो में बंदूक थाम रहें है। इसका एक बड़ा कारण बना है, संचार माध्यम। जानकार बतातें हैं कि आधारहीन तथ्थों के आधार पर मनगढ़ंत और बेबुनियादी बातो को बड़ी ही चालाकी से तार्किक अंदाज में इस तरह से पड़ोस दिया जाता है कि उच्च शिक्षा प्राप्त युवा भी इसके झांसे में बड़ी आसानी से आ जातें हैं।
तकनीकि का हो रहा है धड़ल्ले से इस्तेमाल
जानकार बाततें हैं कि दक्षिण कश्मीर के पुलवामा, शोपियां और कुलगाम जिले में सबसे ज्यादा टेक सेवी यानी तकनीक के माध्यम से आतंक को बढ़ावा देने वाले युवा सक्रिय हैं। नजीता, बीते सात महीने में इस इलाके के करीब 70 कश्मीरी युवाओं ने आतंकवाद की राह पकड़ ली है। इसी वर्ष 2016 में करीब 88 युवा आतंकी बन गये थे। बतातें चलें कि वर्ष 2014 से हर वर्ष यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। पुलवामा, शोपियां और कुलगाम से पढ़े लिखे युवाओं को आतंक की ओर मुड़ना सुरक्षा एजेंसी के साथ-साथ सरकार के लिए भी चिंता का बड़ा कारण बन गया है। दरअसल, पुलवामा एक ऐसा प्वाइंट है, जो श्रीनगर, अनन्तनाग, कुलगाम, शोपियां और बडगाम जिलों को भौगोलिक आधार पर एक दूसरे से जोड़ता है।
जेहादी को जन्नत में हूड़ मिलने का दावा
इस्लामी आतंकवादी युवाओं को दो तरिके से ब्रेनवाश करते है। पहला ये कि इस्लाम के नाम पर युवाओं के मन में काफिरो के प्रति यानी हिन्दूओं के प्रति घोर नफरत को उभार कर उसे जेहादी बना देतें हैं। युवाओं को बताया जाता है कि जेहाद, अल्लाह तक पहुंचने का सबसे आसान मार्ग है। और, दूसरा ये कि जेहाद की राह में मौत होने पर उन्हें जन्नत का ख्वाब दिखाया जाता है। एक ऐसा जन्नत, जहां ग्यारह हूर मिलने का दावा है। हूर का मतलब होता है परि या यूं कह लें कि बेहद ही खूबशूरत लड़की। जिसका वे जैसे चाहे, जब चाहें इस्तेमाल कर सकतें हैं। नतीजा, अल्लाह के मार्ग पर चलते हुए हूर तक पहुंचने का हसीन सपना सजो कर घाटी के युवा बड़ी आसानी से हाथो में बंदूक थामने को तैयार हो जा रहें हैं।