भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने इतिहास रचते हुए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर कदम रखने वाले पहले भारतीय नागरिक बन गए हैं। 1984 में राकेश शर्मा के बाद वह अंतरिक्ष में पहुंचने वाले भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री हैं। वह वर्तमान में Axiom Space Mission 4 (Ax-4) का हिस्सा हैं, जो NASA और SpaceX के साथ साझेदारी में ESA (European Space Agency) द्वारा संचालित किया जा रहा है।
Article Contents
शुभांशु ISS पर बीते 12 दिनों से मौजूद हैं और वहां उन्होंने कई अहम वैज्ञानिक प्रयोग किए हैं। हालांकि, उनका और उनके साथियों का पृथ्वी पर लौटने का कार्यक्रम 10 जुलाई को तय था, लेकिन मौसम खराब होने और तकनीकी कारणों की वजह से उनकी वापसी कम से कम 14 जुलाई तक टल गई है।
शुभांशु शुक्ला कौन हैं?
ग्रुप कैप्टन शुभांशु “शक्स” शुक्ला भारतीय वायुसेना के अनुभवी पायलट हैं, जिन्हें उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण, तकनीकी दक्षता और मिशन तैयारियों के लिए चुना गया। वह ESA के सहयोग से Axiom-4 मिशन में शामिल हुए, जो निजी और सरकारी साझेदारी के जरिए अंतरिक्ष में वैज्ञानिक शोध और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देता है।
ISS पर उनकी प्रमुख जिम्मेदारियां हैं:
-
सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में जैविक अनुसंधान करना
-
बीजों की अंकुरण प्रक्रिया को समझना
-
STEM शिक्षा और अंतरराष्ट्रीय संवाद को बढ़ावा देना
उनकी यह यात्रा भारत के लिए गर्व का विषय है, जो अब अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों में अहम भूमिका निभा रहा है।
Axiom-4 मिशन: मिशन का अवलोकन
Ax-4 मिशन को 25 जून 2025 को अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। SpaceX के फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए यह मिशन Crew Dragon कैप्सूल “Grace” में सवार होकर अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचा।
मिशन में शामिल अन्य सदस्य हैं:
-
पेगी व्हिटसन (अमेरिका) – सबसे अनुभवी महिला अंतरिक्ष यात्री
-
स्लावोस उजनस्की-विस्निव्स्की (पोलैंड) – मिशन विशेषज्ञ
-
टिबोर कापोलनई (हंगरी) – वैज्ञानिक शोधकर्ता
यह मिशन निजी क्षेत्र में अंतरिक्ष अनुसंधान को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है।
अंतरिक्ष में शुभांशु शुक्ला द्वारा किए गए प्रमुख प्रयोग
1. बीज अंकुरण का अध्ययन
शुभांशु ने हरी मूंग और मेथी के बीजों पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में अंकुरण का अध्ययन किया। यह प्रयोग यह जानने के लिए किया गया कि अंतरिक्ष में बीजों के विकास पर क्या असर पड़ता है:
-
जड़ और तनों की प्रारंभिक वृद्धि
-
कोशिका संरचना में परिवर्तन
-
भविष्य में अंतरिक्ष कृषि की संभावनाएं
पृथ्वी पर वापसी के बाद इन बीजों की कई पीढ़ियों तक खेती की जाएगी ताकि अनुवांशिक बदलाव, पोषण मूल्य और सूक्ष्मजीव संरचना का विश्लेषण किया जा सके।
2. सूक्ष्म शैवाल (Microalgae) पर प्रयोग
शुभांशु ने माइक्रोएल्गी (सूक्ष्म शैवाल) को तैनात किया और स्टोर किया। इनका उद्देश्य है:
-
बंद जीवन प्रणाली में ऑक्सीजन उत्पादन
-
भोजन के पूरक के रूप में उपयोग
-
बायोफ्यूल उत्पादन की संभावना
यह प्रयोग भविष्य के मंगल या चंद्र मिशनों के लिए स्थायी जीवन समर्थन प्रणाली के विकास में मदद करेगा।
3. कोशिका व्यवहार पर अनुसंधान
9 जुलाई को पूरी टीम ने एक साझा प्रयोग किया जिसमें सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में मानव और पौधों की कोशिकाओं के व्यवहार का अध्ययन किया गया। इससे अंतरिक्ष में अनुवांशिक बदलाव और जैविक अनुकूलन की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी।
वापसी में देरी: खराब मौसम बना बाधा
Ax-4 टीम की वापसी की योजना 10 जुलाई 2025 को थी, लेकिन फ्लोरिडा तट के पास खराब मौसम (आंधी, तेज हवाएं, समुद्री तूफान) के कारण सुरक्षित स्प्लैशडाउन संभव नहीं हो सका।
SpaceX और NASA द्वारा बनाए गए मानकों के अनुसार:
-
कैप्सूल की सुरक्षित लैंडिंग के लिए मौसम अनुकूल होना चाहिए
-
समुद्र में भारी लहरें और बिजली गिरने की आशंका नहीं होनी चाहिए
-
रेस्क्यू टीम को स्पष्ट दृश्यता और स्थिरता चाहिए
अब 14 जुलाई को सबसे पहला संभावित वापसी दिन माना जा रहा है, पर यह मौसम और तकनीकी अनुमोदन पर निर्भर करेगा।
अन्य संभावित कारण: तकनीकी निरीक्षण और ISS जांच
मौसम के अलावा कुछ और तकनीकी कारण भी हैं:
-
Crew Dragon कैप्सूल “Grace” की सिस्टम जांच
-
ISS के एक रूसी मॉड्यूल में हल्के प्रेशर लीक की जांच
-
अंतरिक्ष यान रिकवरी टीमों की तैयारी
NASA और ESA दोनों ने स्पष्ट किया है कि क्रू की सेहत अच्छी है और कैप्सूल की सभी प्रणालियां सामान्य हैं।
भारत में उत्सव और वैज्ञानिकों का गर्व
भारत में शुभांशु शुक्ला की इस ऐतिहासिक यात्रा को लेकर उत्साह चरम पर है। सोशल मीडिया पर #ShubhanshuShukla ट्रेंड कर रहा है, स्कूलों और विज्ञान संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।
लोग मांग कर रहे हैं कि:
-
ISRO अपने गगनयान मिशन को तेज़ करे
-
भारत भी निकट भविष्य में अपने नागरिकों को अंतरिक्ष में भेजे
-
STEM शिक्षा में अंतरिक्ष विज्ञान को बढ़ावा मिले
शुभांशु शुक्ला का यह मिशन भारत की अंतरिक्ष विरासत में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ता है। वह ISS पर जाने वाले पहले भारतीय बने हैं और उनके द्वारा किए गए प्रयोग भविष्य में अंतरिक्ष कृषि, जीवन समर्थन प्रणाली और अंतरिक्ष यात्रा की नई दिशा तय करेंगे।
हालांकि उनकी वापसी कुछ दिन टल गई है, लेकिन उनके प्रयोग और मिशन से प्राप्त डेटा दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए बेहद मूल्यवान साबित होंगे।
Discover more from KKN Live
Subscribe to get the latest posts sent to your email.