बात अजादी के शुरूआती दिनो की है। उनदिनो पूर्वांचल की राजनीति में एक युवा तुर्क चेहरा तेजी से उभर रहा था। परंपरागत राजनीति से इतर उसके बागी तेवर की तपीश दिल्ली तक महसूस होने लगी थी। अपनी जबरदस्त बाकपटुता और हाजिर जवाबी की वजह से वह पूर्वांचल की राजनीति में वह खूब सोहरत बटोर रहा था। दरअसल वह कोई और नहीं बल्कि, पूर्व पंधानमंत्री चन्द्रशेखर ही थे। कहतें है कि राजनीति में उनकी धमक ऐसी थीं जो कभी मंत्री या मुख्यमंत्री नहीं बना पर सीधे प्रधानमंत्री बन गया। यह हुआ कैसे? इसकी बेहद ही दिलचस्प कहानी है…
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