भारत और इंग्लैंड के बीच खेली गई पांच मैचों की Test Series में रनों की जबरदस्त बारिश देखने को मिली। बल्लेबाजों ने ऐसी पारियां खेलीं कि 70 साल पुराना शतकों का वर्ल्ड रिकॉर्ड टूटते-टूटते बच गया। इस हाई स्कोरिंग सीरीज में कुल 21 Individual Centuries बनीं। भारतीय बल्लेबाजों ने 12 और इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने 9 शतक लगाए। यह आंकड़ा 1955 में ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच खेले गए टेस्ट सीरीज के बराबर रहा, जिसमें भी 21 सेंचुरी बनी थीं।
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शुभमन गिल ने रचा इतिहास, बने सीरीज के टॉप स्कोरर
भारतीय कप्तान शुभमन गिल ने इस पूरी सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाए और सबसे अधिक शतक भी लगाए। गिल ने सीरीज में चार Century ठोकीं और कुल 754 रन बनाए। उनका औसत 75.40 रहा, जो 10 पारियों में हासिल किया गया। इस प्रदर्शन के साथ शुभमन गिल ने एक टेस्ट सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले कप्तानों की सूची में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। उनसे आगे सिर्फ डॉन ब्रैडमैन हैं, जिन्होंने 1936-37 की एशेज सीरीज में इंग्लैंड के खिलाफ 810 रन बनाए थे।
गिल की बल्लेबाज़ी में संयम, तकनीक और कप्तानी का आत्मविश्वास नजर आया। वह अब Sunil Gavaskar और Don Bradman के उस खास क्लब में शामिल हो गए हैं जिन्होंने एक ही टेस्ट सीरीज में बतौर कप्तान चार-चार शतक जड़े हैं।
जो रूट ने इंग्लैंड के लिए निभाई अहम भूमिका
इस सीरीज में इंग्लैंड के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज Joe Root रहे। उन्होंने तीन शतक लगाए और कुल 537 रन बनाए। उनका औसत 67.12 रहा। रूट ने पांचवें और आखिरी टेस्ट की दूसरी पारी में सीरीज का 21वां Century बनाया, जिससे यह सीरीज 70 साल पुराने रिकॉर्ड की बराबरी तक पहुंच गई।
रूट की पारियां इंग्लैंड के लिए अहम मौकों पर आईं और उनकी बल्लेबाज़ी ने टीम को कई बार मुश्किल से उबारा। उन्होंने यह दिखाया कि वह अब भी टीम के सबसे स्थिर और कुशल टेस्ट बल्लेबाज हैं।
भारतीय बल्लेबाजों ने बनाए रिकॉर्ड, राहुल और यशस्वी रहे चमकदार
KL Rahul और Yashasvi Jaiswal दोनों ने इस सीरीज में दो-दो Century लगाईं। राहुल ने अपनी पारियों में अनुभव और तकनीक का संतुलन दिखाया, जबकि यशस्वी ने आक्रामक अंदाज में बल्लेबाज़ी कर विपक्ष को दबाव में डाला। दोनों ने मिलकर भारतीय टॉप ऑर्डर को मजबूती दी और टीम को हर मैच में अच्छी शुरुआत दिलाई।
इन दोनों की पारियों ने यह भी दर्शाया कि भारत का युवा और अनुभवी खिलाड़ियों का संयोजन कितना मजबूत है, खासकर लंबे फॉर्मेट में।
ऋषभ पंत की दो सेंचुरी, लेकिन चोट ने किया बाहर
Rishabh Pant ने भी दो शतक लगाए और अपनी आक्रामक शैली से एक बार फिर सभी को प्रभावित किया। उन्होंने बीच के ओवरों में तेजी से रन बनाकर टीम को मजबूती दी। हालांकि, वह आखिरी टेस्ट में चोटिल होने के कारण नहीं खेल सके। बावजूद इसके, उन्होंने जो दो शतक जमाए, वह सीरीज के नतीजों पर गहरा असर डाल गए।
उनकी अनुपस्थिति टीम के लिए झटका जरूर रही, लेकिन उनके पहले के योगदान ने भारत को बढ़त दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई।
इंग्लैंड के लिए हैरी ब्रूक ने दिखाया क्लास
Harry Brook ने भी दो शानदार Century जड़ीं और अपनी प्रतिभा को एक बार फिर साबित किया। उन्होंने स्पिन और पेस दोनों के खिलाफ संतुलित बल्लेबाज़ी की और जब भी इंग्लैंड दबाव में था, उन्होंने मोर्चा संभाला।
ब्रूक की पारियां इंग्लैंड के लिए नई उम्मीद लेकर आई हैं, खासकर तब जब बाकी बल्लेबाज़ निरंतरता नहीं दिखा पाए।
अन्य खिलाड़ियों की सेंचुरी से हुआ रिकॉर्ड पूरा
इस सीरीज में कई ऐसे बल्लेबाज भी रहे जिन्होंने एक-एक Century जड़ी और इस ऐतिहासिक रिकॉर्ड में अपना योगदान दिया:
भारत के लिए Ravindra Jadeja और Washington Sundar ने एक-एक शतक जड़ा।
इंग्लैंड के Ben Stokes, Ben Duckett, Jamie Smith और Ollie Pope ने भी एक-एक Century लगाई।
इन सभी खिलाड़ियों की पारियों ने न सिर्फ मैच को रोमांचक बनाया बल्कि Test Cricket में बल्लेबाज़ी के नए मानक स्थापित किए।
रिकॉर्ड की बराबरी, लेकिन टेस्ट क्रिकेट की दिशा भी बदली
इस सीरीज में जो हुआ, वह सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं रहा। Test Cricket की दिशा और रूप दोनों में बदलाव का संकेत मिला। बल्लेबाज़ों की मानसिक दृढ़ता, तकनीकी दक्षता और रणनीतिक सोच इस सीरीज में साफ नजर आई। 21 शतक इस बात का प्रमाण हैं कि आज की पीढ़ी इस फॉर्मेट को गंभीरता से ले रही है।
गेंदबाज़ों के लिए चुनौतीपूर्ण पिचें होने के बावजूद बल्लेबाज़ों ने रन बनाने का तरीका खोजा। इससे यह भी सिद्ध हुआ कि आज का टेस्ट क्रिकेट सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि परिणामोन्मुख भी है।
भारत का भविष्य उज्ज्वल, इंग्लैंड के पास आत्मचिंतन का समय
भारत के लिए यह सीरीज सिर्फ जीत नहीं थी, बल्कि नेतृत्व, संयोजन और तैयारी की परीक्षा भी थी। Shubman Gill के नेतृत्व में टीम ने जिस तरह से प्रदर्शन किया, वह आने वाले टूर्नामेंट्स के लिए एक मजबूत आधार है। बल्लेबाज़ी इकाई से लेकर गेंदबाज़ी और फील्डिंग तक, हर विभाग में भारत ने संतुलन दिखाया।
दूसरी ओर इंग्लैंड को सीरीज से कई सबक मिले हैं। उनके पास व्यक्तिगत प्रतिभा है लेकिन सामूहिक प्रदर्शन में कमी रही। बॉलिंग यूनिट निरंतर प्रेशर नहीं बना पाई और कई बार शीर्ष क्रम ने निराश किया। हालांकि, रूट और ब्रूक जैसे खिलाड़ी उनके लिए उज्जवल पक्ष रहे।
India vs England 2025 Test Series को क्रिकेट इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। सिर्फ इसलिए नहीं कि इसमें रिकॉर्ड की बराबरी हुई, बल्कि इसलिए कि इसमें आधुनिक टेस्ट क्रिकेट की आत्मा दिखी। 21 शतक एक आंकड़ा भर नहीं, बल्कि बदलते युग का प्रतीक हैं।
Shubman Gill ने जिस अंदाज में इस सीरीज को लीड किया और जो रन बनाए, वह भारतीय क्रिकेट के लिए नई उम्मीदें लेकर आए हैं। इस प्रदर्शन के साथ भारत ने फिर से यह सिद्ध किया कि वह टेस्ट क्रिकेट का मजबूत स्तंभ बना हुआ है।
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