आज से करीब 6 साल पूर्व जिस उम्मीद से आप दल बनी और लोगो का उस पर भरोसा जगा शायद अब वह ढहता नजर आ रहा है। अन्ना हजारे के विरोध के बावजूद अरविन्द केजरीवाल और उनकी टीम ने एक राजनितिक दल आप बनाई। जिसका मकसद राजनीती में उन आदर्शो के उच्च मानदण्डों को स्थापित करना था। अन्ना के नेतृत्व में अरविन्द केजरीवाल मनीष सिसोदिया व् कुमार विश्वास पर जनता का भरोसा बढ़ा और यह उम्मीद जताने जाने लगी की सरकार की चाल ढाल क्रियाकलाप में आमूल परिवर्तन के साथ विकास होगा। किन्तु अन्य दलो के क्रियाक्लपो से आप बाहर नही नकल सकी। अपने के विवादों और नकारात्मक सोच ने सब कुछ तहस नहस कर दिया। जनता की उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है। एक के बाद एक अपने केजरीवाल के बागी होते जा रहे है। अपनी करारी हार को मानने को तैयार नही है। हार ठीकरा इ वी एम पर फोड़ रहे है। एही कारण है की सच बोलने वालो को केजरीवाल अपना बागी समझने लगे है। अजीज अन्ना ने भी केजरीवाल को भला बुरा सुना रहे है। आज बागियों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। जरूरत है केज्वल को आत्म चिंतन की सकारात्मक सोच की काम के बदौलत जनता के विशवास जितने की । अगर समय रहते केजरीवाल नही चेते तो आप की संकट और विकट हो सकती है।