मुजफ्फरपुर। कुढ़नी प्रखंड के तुर्की स्थित देश के ऐतिहासिक तीन सौ वर्ष वर्ष पुरानी विश्वप्रशिद्ध अनजान वृक्ष का अस्तित्व खतरे में आती दिखाई दे रही है। सरकारी उदासीनता का कोप झेल रहा यह वृक्ष की डाली स्वत: बुधवार की अहले सुबह अचानक टूट कर गिर परा। गांव के लोगों ने सुबह वृक्ष की टूटी डाली को देखकर चिंता जाहिर की है।
बताया जाता है एक जमाने में इस अनजान वृक्ष की पेड़ में कद्दू की तर्ज पर फल लगता था। किन्तु बाद में फल आनी बंद हो गयी। स्थानीय लोगों ने बताया कि पुराने समय में एक बार कुछ बच्चे पेड़ के फल पर पत्थर मार दिया। उस दौरान पेड़ के नीचे एक साधु रहा करते थे। बच्चों के व्यवहार से खपा साधु ने श्राप दे दी तब से वृक्ष मे फल की जगह फूल ही रहने लगे।
कुछ लोगो का यह भी कहना है की समय बीतने के साथ यह वृक्ष धीरे-धीरे नीचे की ओर धंसती जा रही है। कहा जाता है कि विश्व मे दो हीं पेड़ है एक भारत तो दूसरी अमेरिका में। पौराणिक वृक्ष होने के कारण लोग इसके पेड़ की टहनी व पत्तों को औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया करते हैं। जैसे इसकी पत्ते को बदहजमी व गैस, चर्म रोग समेत दर्जनों बीमारी की दवा के रूप उपयोग किया करते हैं।
ग्रामीण इसकी पत्ते या शाखा को कभी नहीं तोड़ते है। वृक्ष को अपना धार्मिक परंपरा से जोड़कर देखते है। वृक्ष की शाखाएं को कई बार जाँच के लिए कृषि विज्ञान केंद्र में भी ले जाया गया है। समय- समय पर विदेशी पर्यटक भी इस अद्भुत वृक्ष को देखने आते हैं l
इसकी शाखा को काटने के बाद खून जैसा तत्व निकलता है। जिसे लोगों के द्वारा पेड़ को काटने अथवा पत्ते तोड़ने पर विरोध करते हैं। इधर पेड़ की डाली टूटने की सूचना पर कुढ़नी बीडीओ हरिमोहन कुमार स्थानीय मुखिया रीता देवी, संजय पासवान, महेश राय, धर्मेन्द्र कुमार, अबोध, खुर्शीद आलम, बीईओ चक्रवर्ती हरिकांत सुमन व शिक्षक मुनीलाल सागर ने मौके पर पहुंच कर इसका निरीक्षण किया।
This post was published on जनवरी 3, 2018 18:55
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