तत्काल टिकट बुकिंग भारतीय रेल यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प है, जो अंतिम क्षणों में यात्रा करने वालों के लिए उपलब्ध होती है। हालांकि, अब यह सिस्टम ऑनलाइन रैकेट्स का शिकार बन चुका है, जो ऑटोमेटेड बॉट्स, आधार-प्रमाणित IRCTC अकाउंट्स और अन्य धोखाधड़ी के तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन रैकेट्स के चलते वास्तविक यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, और कई टिकट बुकिंग अवैध एजेंट्स द्वारा खरीद ली जाती हैं।
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रेल मंत्रालय द्वारा तत्काल टिकट बुकिंग के लिए आधार-प्रमाणित उपयोगकर्ताओं को IRCTC ऐप और वेबसाइट से बुकिंग की अनुमति देने की नई नीति लागू की गई है, लेकिन इसके बावजूद ये ई-टिकटिंग रैकेट्स सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर आधार-संलग्न IRCTC अकाउंट्स और OTP सेवाओं को बेचकर अपना कारोबार कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि यह रैकेट कैसे काम करता है, इसके क्या खतरे हैं, और सरकार क्या कदम उठा रही है।
तत्काल टिकटिंग रैकेट: अनधिकृत प्लेटफार्म्स का उदय
तत्काल टिकट्स अंतिम क्षणों में यात्रा करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और ये 24 घंटे पहले उपलब्ध कराए जाते हैं। लेकिन, जैसे ही ये टिकट्स रिलीज होते हैं, बॉट्स और एजेंट्स का नेटवर्क इसे कुछ सेकेंड्स में ही बुक कर लेता है, जिससे साधारण यात्रियों को टिकट मिलना मुश्किल हो जाता है। इस समस्या का मुख्य कारण ऑटोमेटेड बॉट्स हैं, जो मैन्युअल बुकिंग प्रक्रिया को बायपास कर देते हैं और एजेंट्स को जल्दी टिकट प्राप्त करने का मौका देते हैं।
India Today’s OSINT टीम द्वारा 40 से अधिक Telegram और WhatsApp समूहों की पहचान की गई है, जो इस रैकेट का हिस्सा हैं। हालांकि यह सिर्फ एक छोटे से हिस्से का खुलासा है, लेकिन यह ऑनलाइन ब्लैक मार्केट का एक बड़ा हिस्सा है, जहां हजारों एजेंट्स सक्रिय हैं और उनका कारोबार लगातार बढ़ रहा है, बावजूद इसके कि सरकार ने इस पर नियंत्रण करने के लिए कदम उठाए हैं।
आधार-प्रमाणित IRCTC अकाउंट्स का बिक्री रैकेट
रेल मंत्रालय ने हाल ही में घोषणा की थी कि तत्काल टिकट बुकिंग अब आधार-प्रमाणित उपयोगकर्ताओं द्वारा ही IRCTC प्लेटफार्म पर की जा सकती है। इस कदम से धोखाधड़ी और अवैध गतिविधियों को रोकने की कोशिश की गई, लेकिन ई-टिकटिंग रैकेट्स ने जल्दी से इसके अनुरूप तरीके अपना लिए। ये रैकेट्स आधार-प्रमाणित IRCTC अकाउंट्स और OTP सर्विसेज को ₹360 में बेच रहे हैं। यह अकाउंट्स उन एजेंट्स को दिए जाते हैं जो तत्काल टिकट बुकिंग के लिए इनका उपयोग करते हैं।
इन अकाउंट्स का इस्तेमाल OTP जनरेट करने के लिए किया जाता है, जो तत्काल टिकट बुकिंग के लिए जरूरी होता है। रैकेट ऑपरेटर इन अकाउंट्स का उपयोग करके बॉट्स का इस्तेमाल करते हैं जो बुकिंग प्रक्रिया को तेज़ कर देते हैं और वास्तविक उपयोगकर्ताओं को सिस्टम के धीमे लोडिंग पृष्ठ और विफल लेन-देन के कारण टिकट बुक करने में मुश्किल होती है।
बॉट्स का काम कैसे होता है: बुकिंग प्रक्रिया में धोखाधड़ी
India Today ने “Fast Tatkal Software” नामक एक Telegram ग्रुप पर 3 महीने तक निगरानी रखी और इसके टिकटिंग ऑपरेशन्स को समझने की कोशिश की। ग्रुप के अंदर, रैकेट ऑपरेटर बॉट्स को एजेंट्स को बेचते हैं, जिनका उपयोग ब्राउज़र में इंस्टॉल करके ऑटोफिल फीचर्स के जरिए बुकिंग को तेज़ किया जाता है। बॉट्स का काम है:
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IRCTC लॉगिन क्रेडेंशियल्स, ट्रेन विवरण, यात्री जानकारी और भुगतान डेटा को ऑटोफिल करना।
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बुकिंग प्रक्रिया को पूरी तरह से स्वचालित करना, ताकि तत्काल टिकट 60 सेकेंड्स में बुक हो सके।
इसके अलावा, कुछ ऑपरेटरों ने IRCTC के AI एल्गोरिदम को धोखा देने के लिए वर्चुअल प्राइवेट सर्वर (VPS) का इस्तेमाल किया है, ताकि IP एड्रेस को मास्क किया जा सके और बॉट गतिविधियों को ब्लॉक किया जा सके।
बॉट्स की बिक्री: एक लाभकारी काला बाजार
रैकेट ऑपरेटर अब तत्काल बुकिंग बॉट्स को बेचने के लिए पूरा व्यापार चला रहे हैं। Dragon, JETX, Ocean, Black Turbo, और Formula One जैसे बॉट्स की बिक्री की जा रही है, जिनकी कीमत ₹999 से लेकर ₹5,000 तक होती है। ये बॉट्स सिर्फ टिकट बुकिंग के लिए नहीं, बल्कि उपयोगकर्ताओं से जानकारी चुराने के लिए भी उपयोग किए जा रहे हैं।
एक बॉट के माध्यम से डाउनलोड की गई WinZip नामक APK फाइल का मैलवेयर विश्लेषण करने पर यह ट्रोजन वायरस पाया गया, जो उपयोगकर्ता की व्यक्तिगत जानकारी चुराने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
सरकार का कदम: एंटी-बॉट सिस्टम और कड़ी कार्रवाई
सरकार ने IRCTC में एंटी-बॉट सिस्टम लागू किया है। 4 जून 2025 को जारी किए गए एक प्रेस रिलीज़ के अनुसार, तत्काल टिकट बुकिंग के पहले 5 मिनट में बॉट ट्रैफिक 50 प्रतिशत तक होता है। इसके जवाब में, IRCTC ने 2.5 करोड़ फर्जी यूजर IDs को सस्पेंड किया है। इसके अलावा, एजेंट्स की बुकिंग को अब तत्काल बुकिंग शुरू होने के पहले 30 मिनट तक निषेध कर दिया गया है।
Genuine यात्रियों के लिए खतरे
तत्काल टिकटिंग रैकेट्स का प्रभाव साधारण यात्रियों पर पड़ा है। जबकि यह सिस्टम अंतिम क्षण में यात्रा की आवश्यकता को पूरा करता है, रैकेट्स और बॉट्स के द्वारा इन टिकटों की बुकिंग से वास्तविक यात्रियों को टिकट प्राप्त करने में परेशानी हो रही है। इसके अलावा, इन रैकेट्स के कारण यूजर डेटा सुरक्षा का भी खतरा पैदा हो गया है।
तत्काल टिकट बुकिंग रैकेट्स ई-टिकटिंग सिस्टम के लिए एक बड़ा खतरा बन चुके हैं, और इन धोखाधड़ी गतिविधियों पर नियंत्रण पाना चुनौतीपूर्ण है। हालांकि सरकार ने आधार-प्रमाणन और एंटी-बॉट सिस्टम जैसी कई नई नीतियों को लागू किया है, लेकिन इन रैकेट्स की जड़ें गहरी हैं।
सरकार को अपनी सुरक्षा नीतियों को और सख्त करना होगा और सार्वजनिक जागरूकता बढ़ानी होगी, ताकि सच्चे यात्रियों को समुचित अवसर मिल सके। साथ ही, साइबर सुरक्षा और नियमों का कड़ाई से पालन करके इस रैकेट को नियंत्रित किया जा सकता है।
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