KKN गुरुग्राम डेस्क | जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में पाकिस्तान की तरफ से हुई अकारण गोलीबारी में भारतीय सेना के लांस नायक दिनेश कुमार वीरगति को प्राप्त हो गए। सेना की व्हाइट नाइट कोर ने एक बयान जारी करते हुए कहा:
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“जीओसी और व्हाइट नाइट कोर के सभी रैंक 5 एफडी रेजिमेंट के लांस नायक दिनेश कुमार के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हैं।”
सीमा पर जारी तनाव के बीच यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में शांति स्थापित होना कितना आवश्यक है।
लगातार बढ़ते संघर्ष: 2025 में फिर से बढ़ा सीमा पर तनाव
हालांकि फरवरी 2021 में दोनों देशों के बीच सीजफायर समझौता हुआ था, लेकिन हाल के महीनों में सीमा पर तनाव लगातार बढ़ रहा है। 2025 में अब तक 150 से ज्यादा बार पाकिस्तान की ओर से संघर्ष विराम का उल्लंघन हो चुका है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि पुंछ में हो रही लगातार फायरिंग भारतीय सेना की कड़ी घुसपैठ-रोधी कार्रवाई का प्रतिकार हो सकती है।
कौन थे लांस नायक दिनेश कुमार?
लांस नायक दिनेश कुमार भारतीय सेना के 5 फील्ड रेजीमेंट से संबंधित थे। वह अपने समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा के लिए जाने जाते थे। फायरिंग के दौरान वह गश्त पर तैनात थे जब उन्हें पाकिस्तानी गोलीबारी में गोली लगी। उनकी शहादत पर पूरे देश से श्रद्धांजलि संदेश आ रहे हैं।
महबूबा मुफ्ती का बड़ा बयान: अब जंग नहीं, बातचीत हो
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत और पाकिस्तान से सीमा पर हमले रोकने और शांति की बहाली के लिए बातचीत शुरू करने की अपील की है।
“इस युद्ध में मासूम बच्चे मारे जा रहे हैं। आखिर उनका क्या कसूर है? पुलवामा हो या पहलगाम, ये हादसे देश को तबाही के रास्ते पर ले जा रहे हैं।”
उन्होंने साफ तौर पर कहा कि सैन्य कार्रवाई से स्थायी समाधान नहीं निकलता, बल्कि इसके लिए राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयास जरूरी हैं।
“एक के बदले एक” का दौर कब तक?
महबूबा मुफ्ती ने यह भी कहा कि दोनों देश एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं, लेकिन इसका अंत कहीं नजर नहीं आता। उन्होंने कहा:
“पुलवामा के बाद बालाकोट स्ट्राइक हुई, फिर अब पहलगाम के बाद एक और कार्रवाई हो रही है। कब तक यह सिलसिला चलेगा? क्या अब दोनों देशों ने हिसाब बराबर कर लिया? अगर हां, तो अब जंग बंद होनी चाहिए।”
पीएम मोदी और पीएम शहबाज शरीफ से सीधी बातचीत की मांग
महबूबा मुफ्ती ने दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों से फोन पर बात करने की अपील की। उन्होंने कहा:
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कहा था कि अब युद्ध का दौर खत्म हो चुका है। अगर सच में ऐसा है, तो अब समय आ गया है कि दोनों देशों के नेता फोन पर बात करें और इस खूनखराबे को खत्म करें।”
उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में लोग डर के साए में जी रहे हैं, बच्चों की पढ़ाई ठप है, और गांव खाली हो रहे हैं।
सीमावर्ती गांवों की हकीकत: हर दिन मौत का डर
पुंछ और राजौरी के ग्रामीणों ने बताया कि सीजफायर उल्लंघन के चलते उन्हें अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ता है। जानिए जमीनी स्थिति:
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स्कूलों में पढ़ाई बंद
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बाजार सुनसान
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मजदूरों के पास काम नहीं
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महिलाओं और बच्चों में दहशत
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बंकरों में छिपकर जीवन
एक स्थानीय निवासी ने कहा, “हमें पता नहीं होता कि अगली गोली कब हमारे घर पर गिरेगी।”
🇮🇳 भारत सरकार की प्रतिक्रिया: संयम या रणनीति?
भारतीय सेना ने पाकिस्तानी फायरिंग का जवाब जरूर दिया है, लेकिन विदेश मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह भारत की रणनीतिक चुप्पी हो सकती है ताकि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मुद्दा बनाने का मौका न मिले।
वहीं पाकिस्तान की ओर से आरोप-प्रत्यारोप का खेल जारी है, और उन्होंने हमेशा की तरह भारत पर ही हमले का दोष मढ़ा है।
पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति और सीमा पर तनाव
वर्तमान में पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि घरेलू समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तान सीमा पर तनाव पैदा कर सकता है, जैसा पहले भी होता रहा है।
सियासी प्रतिक्रियाएं
महबूबा मुफ्ती के अलावा अन्य राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं:
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कांग्रेस ने पाकिस्तान की निंदा करते हुए कहा, “पाप की कीमत चुकानी पड़ेगी।”
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बीजेपी नेताओं ने कड़ी कार्रवाई की मांग की और सर्जिकल स्ट्राइक की बात दोहराई।
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रक्षा विशेषज्ञों ने संतुलित प्रतिक्रिया की वकालत की ताकि स्थिति हाथ से न निकले।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर
हालांकि अभी तक संयुक्त राष्ट्र (UN) या अन्य वैश्विक शक्तियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अगर हालात बिगड़े तो:
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UNMOGIP सक्रिय हो सकता है
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अमेरिका और चीन जैसे देश मध्यस्थता की कोशिश कर सकते हैं
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वैश्विक मंचों पर भारत-पाक रिश्ते फिर से चर्चा में आ सकते हैं
लांस नायक दिनेश कुमार की शहादत सिर्फ एक सैनिक का बलिदान नहीं है, बल्कि यह एक प्रश्नचिह्न है हमारी नीति पर। क्या बार-बार एक जैसे जवाब देने से शांति मिलेगी?
महबूबा मुफ्ती की अपील को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता। भारत एक वैश्विक शक्ति बन चुका है और अब समय आ गया है कि युद्ध की भाषा से आगे बढ़कर संवाद की पहल की जाए।
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