KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार सरकार ने मिड-डे मील (Mid-Day Meal – MDM) योजना के तहत 71,863 प्रारंभिक विद्यालयों के लिए भोजन मेन्यू में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। नया मेन्यू 15 फरवरी 2025 से लागू होगा और इसका उद्देश्य बच्चों को अधिक पौष्टिक और संतुलित आहार प्रदान करना है।
सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब खिचड़ी केवल शनिवार को ही दी जाएगी, जबकि पहले इसे दो बार (बुधवार और शनिवार) परोसा जाता था।
बिहार के स्कूलों में नया मिड-डे मील मेन्यू
बच्चों को अधिक पौष्टिक आहार देने के लिए सरकार ने साप्ताहिक भोजन योजना में बदलाव किए हैं। अब विद्यार्थियों को इस प्रकार भोजन मिलेगा:
- सोमवार और गुरुवार: चावल के साथ तड़का (हरी सब्जियों और दाल से युक्त भोजन)
- बुधवार: चावल और लाल चना की सब्जी (आलू के साथ)
- शुक्रवार: चावल और चना दाल की सब्जी
- शनिवार: खिचड़ी (पहले सप्ताह में दो बार दी जाती थी, अब केवल एक बार)
इस बदलाव को मिड-डे मील योजना के निदेशक विनायक मिश्रा ने मंजूरी दी है और सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEOs) को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
मेन्यू बदलाव का उद्देश्य: बच्चों को बेहतर पोषण देना
बिहार सरकार ने मिड-डे मील योजना को अधिक पौष्टिक और विविधतापूर्ण बनाने के लिए यह निर्णय लिया है। इस योजना से 1.10 करोड़ बच्चे प्रतिदिन लाभान्वित होते हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
इस बदलाव से बच्चों को क्या लाभ मिलेगा?
✔️ भोजन में विविधता – बच्चों को अलग-अलग प्रकार का पौष्टिक खाना मिलेगा
✔️ हरी सब्जियों और प्रोटीन की मात्रा बढ़ेगी – यह बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है
✔️ भोजन की गुणवत्ता में सुधार होगा – अलग-अलग दिन नई डिशेस खाने से बच्चे उत्साहित रहेंगे
✔️ पोषण स्तर बढ़ेगा – दाल, हरी सब्जियां और चना जैसे पोषक तत्व शामिल होने से कुपोषण कम होगा
सरकार का मानना है कि बार-बार एक जैसा भोजन (खिचड़ी) देने की बजाय, अधिक विविधता देना बच्चों की सेहत के लिए फायदेमंद होगा।
बिहार में मिड-डे मील योजना का महत्व
बिहार में मिड-डे मील योजना का उद्देश्य सिर्फ भोजन देना नहीं है, बल्कि कुपोषण को कम करना, विद्यालय उपस्थिति बढ़ाना और बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को प्रोत्साहित करना भी है।
मिड-डे मील योजना के प्रमुख लाभ
✅ कुपोषण को कम करना: बच्चों को संतुलित आहार देकर उनके पोषण स्तर में सुधार लाना
✅ विद्यालय उपस्थिति बढ़ाना: गरीब परिवारों के बच्चे नियमित रूप से स्कूल आएं
✅ सीखने की क्षमता में सुधार: अच्छा भोजन बच्चों को ऊर्जा और मानसिक मजबूती देता है
✅ लिंग समानता को बढ़ावा: इस योजना से अधिकतर लड़कियों का नामांकन बढ़ा है
बिहार में 1.10 करोड़ छात्र प्रतिदिन मिड-डे मील से लाभान्वित होते हैं, जिससे यह योजना देश की सबसे बड़ी स्कूल पोषण योजनाओं में से एक बन गई है।
नए मेन्यू को लागू करने की प्रक्रिया
सरकार ने सभी सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को नए मेन्यू के अनुसार कार्य करने के निर्देश दिए हैं। इसमें निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं का ध्यान रखा जाएगा:
📌 निर्देशों का पालन – सभी स्कूलों को सख्ती से नए मेन्यू का पालन करना होगा
📌 स्थानीय स्तर पर खाद्य सामग्री की खरीदारी – भोजन की ताजगी और लागत को नियंत्रित करने के लिए
📌 रसोइयों को प्रशिक्षित किया जाएगा – ताकि वे पौष्टिक भोजन को सही तरीके से तैयार कर सकें
📌 स्वच्छता और गुणवत्ता नियंत्रण – भोजन बनाते समय साफ-सफाई और गुणवत्ता बनाए रखना आवश्यक होगा
इसके अलावा, जिला शिक्षा अधिकारियों (DEOs) को नियमित निरीक्षण करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए निर्देश दिए गए हैं।
माता-पिता और छात्रों की प्रतिक्रिया
नए मेन्यू पर छात्रों और अभिभावकों की मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई हैं।
👩👦 पटना की एक माता-पिता का कहना है:
“यह एक अच्छा कदम है क्योंकि बच्चों को अलग-अलग तरह का भोजन मिलेगा, जिससे उनका पोषण बेहतर होगा। लेकिन, खिचड़ी सुपाच्य होती है और इसे सप्ताह में दो बार रखा जाना चाहिए।”
👨🏫 गया के एक शिक्षक ने कहा:
“नया मेन्यू अधिक संतुलित है और इसमें सब्जियां और प्रोटीन की मात्रा अधिक है। यह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा कदम है।”
मिड-डे मील योजना में आने वाली चुनौतियाँ
हालांकि नए मेन्यू को लागू करना एक सकारात्मक पहल है, लेकिन इसके सामने कुछ चुनौतियां भी हैं:
🔴 खाद्य आपूर्ति की समस्या – यह सुनिश्चित करना कि सभी स्कूलों को समय पर पर्याप्त खाद्य सामग्री मिले
🔴 भोजन की गुणवत्ता – सभी स्कूलों में खाने की गुणवत्ता समान रूप से बनी रहे
🔴 बच्चों की स्वीकार्यता – बच्चे नए भोजन को कितना पसंद करेंगे
सरकार ने आश्वासन दिया है कि इन चुनौतियों का समाधान निकालने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
भविष्य की योजनाएं: बिहार में मिड-डे मील योजना का विस्तार
बिहार सरकार इस योजना को और सशक्त बनाने के लिए कुछ नए कदम उठाने पर विचार कर रही है, जैसे:
✅ फोर्टिफाइड चावल और दाल का उपयोग ताकि बच्चों को अधिक पोषण मिले
✅ बजट वृद्धि ताकि भोजन की गुणवत्ता बेहतर हो
✅ सप्ताह में एक बार दूध या डेयरी उत्पाद शामिल करना
✅ योजना का विस्तार ग्रामीण इलाकों में
ये प्रयास बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों को बढ़ावा देने में मदद करेंगे।
बिहार सरकार द्वारा मिड-डे मील मेन्यू में किया गया बदलाव छात्रों के लिए सकारात्मक पहल है। इसमें प्रोटीन युक्त भोजन, हरी सब्जियां और विविध आहार शामिल किए गए हैं, जिससे 1.10 करोड़ छात्रों को सीधा लाभ मिलेगा।
यदि इस योजना को सही तरीके से लागू किया गया, तो यह विद्यालय उपस्थिति बढ़ाने, कुपोषण कम करने और शिक्षा स्तर को सुधारने में मददगार साबित होगी।