KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों को लेकर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय एमएसएमई मंत्री जीतन राम मांझी ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस मुलाकात में आगामी चुनावों को लेकर NDA की रणनीति, सीट बंटवारा और संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा हुई।
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बैठक के बाद मांझी ने मीडिया से बातचीत में कई अहम बातें साझा कीं, जिसमें उन्होंने साफ किया कि NDA जून के अंत या जुलाई के पहले सप्ताह में सीट बंटवारे को लेकर बैठक करेगा और आगामी चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।
NDA में सीट बंटवारे की समयसीमा तय
जीतन राम मांझी ने जानकारी दी कि अब तक किसी सहयोगी दल ने सीटों की संख्या को लेकर विशेष मांग नहीं रखी है, लेकिन सभी को सम्मानजनक भागीदारी दी जाएगी।
“एनडीए के सभी घटक दल जून के अंतिम सप्ताह या जुलाई के पहले हफ्ते में बैठक करेंगे। हम एकजुट होकर रणनीति तैयार करेंगे,” मांझी ने कहा।
नीतीश कुमार रहेंगे NDA के मुख्यमंत्री पद के चेहरा
नेतृत्व के सवाल पर मांझी ने दो टूक कहा कि इसमें कोई भ्रम नहीं है।
“बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। हम सब उनके नेतृत्व में एकजुट हैं,”
उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की कि NDA इस बार 225 से अधिक सीटें जीतकर एक बार फिर सरकार बनाएगा।
मांझी की नाराज़गी: 20 सूत्री कार्यक्रम में अनदेखी
हालांकि NDA की रणनीतिक एकता पर ज़ोर देते हुए, मांझी ने 20 सूत्री कार्यक्रम में अपनी पार्टी की अनदेखी पर नाराजगी भी जाहिर की।
उन्होंने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी पार्टी के सुझावों और नामों को इस कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया, जबकि यह कार्यक्रम राज्य में विकास योजनाओं के संचालन में अहम भूमिका निभाता है।
“हमारी पार्टी की सिफारिशों को गंभीरता से नहीं लिया गया था। बीजेपी नेता संजय जायसवाल और दिलीप जायसवाल ने इस चूक को माना है और सुधार का भरोसा दिया है,” मांझी ने बताया।
20 सूत्री कार्यक्रम क्या है और क्यों है महत्वपूर्ण?
20 सूत्री कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है जिसका उद्देश्य गरीबों, किसानों और ग्रामीण वर्गों तक कल्याणकारी योजनाओं को पहुँचाना है। इसमें राज्य और जिला स्तर पर समितियों का गठन किया जाता है।
इस कार्यक्रम में भागीदारी सत्ता पक्ष की सहयोगी पार्टियों के लिए सांकेतिक मान्यता और प्रशासनिक भागीदारी का प्रतीक माना जाता है।
HAM की भूमिका और अपेक्षाएँ
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) बिहार में एक दलित और महादलित समुदाय आधारित पार्टी है।
मांझी खुद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
पार्टी की पकड़ दक्षिण और मध्य बिहार में मानी जाती है।
NDA में इसकी भागीदारी चुनावों में सामाजिक समीकरण मजबूत करती है।
अमित शाह से मुलाकात के ज़रिए मांझी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे NDA में अपनी भूमिका को और मज़बूत करना चाहते हैं।
बिहार में वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य
2020 के विधानसभा चुनाव में NDA ने 243 में से 125 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी।
हालांकि, समय के साथ राजनीतिक समीकरणों में बदलाव आया है:
नीतीश कुमार की वापसी NDA में
विपक्ष में महागठबंधन की सक्रियता
युवा वोटर्स और बेरोज़गारी के मुद्दे
किसान और आर्थिक विकास पर विमर्श
इन सब बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए NDA को समय रहते अपनी रणनीति तय करनी होगी।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
राजद और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने मांझी और अमित शाह की मुलाकात को राजनीतिक ड्रामा बताया है। विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी छोटे दलों को केवल “मतदान मशीन” समझती है और असल फैसले खुद करती है।
राजद प्रवक्ता ने कहा:
“नीतीश कुमार को आगे रखकर बीजेपी सिर्फ चेहरा बदल रही है, नीतियां नहीं। जनता समझदार है।”
आगे की रणनीति: क्या उम्मीद की जा सकती है?
आगामी कुछ महीनों में बिहार की राजनीति में तेज़ हलचल देखने को मिलेगी:
एनडीए और महागठबंधन में उम्मीदवारों की घोषणा
जातीय समीकरणों पर विशेष ध्यान
विकास और रोजगार मुख्य चुनावी मुद्दे
केंद्र और राज्य सरकार के प्रदर्शन की समीक्षा
जीतन राम मांझी और अमित शाह की यह मुलाकात NDA की चुनावी तैयारियों की शुरुआत का प्रतीक मानी जा रही है।
इस मुलाकात के जरिए यह साफ संदेश गया है कि:
सीट बंटवारे को लेकर चर्चा जल्द ही होगी,
नीतीश कुमार को लेकर NDA में स्पष्टता है,
छोटे दलों की नाराजगी को गंभीरता से लिया जा रहा है।
अब देखना यह होगा कि इस एकजुटता को जमीनी स्तर पर संगठनात्मक और वोटिंग व्यवहार में कैसे बदला जाता है।