KKN गुरुग्राम डेस्क | अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर (Ram Janmabhoomi Temple) के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का रविवार को ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) के कारण निधन हो गया। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद वे बच नहीं सके। उनके निधन से अयोध्या (Ayodhya) और हिंदू धर्म समुदाय में शोक की लहर दौड़ गई है। उनका अंतिम संस्कार (Cremation Ceremony) गुरुवार को अयोध्या में किया जाएगा।
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आचार्य सत्येंद्र दास का धार्मिक जीवन
आचार्य सत्येंद्र दास ने अपना पूरा जीवन भगवान राम (Lord Ram) की सेवा में समर्पित किया। वे कई दशकों से राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी (Chief Priest of Ram Janmabhoomi Temple) के रूप में सेवाएं दे रहे थे। उन्होंने न सिर्फ मंदिर के दैनिक अनुष्ठानों (Daily Temple Rituals) का संचालन किया, बल्कि हिंदू धर्म ग्रंथों (Hindu Scriptures) के गहरे ज्ञान के कारण वे एक सम्मानित धार्मिक गुरु भी थे।
स्वास्थ्य समस्याएं और अस्पताल में भर्ती
रविवार को आचार्य सत्येंद्र दास को अचानक ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) हुआ, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन उनकी हालत बिगड़ती गई और आखिरकार उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर मिलते ही अयोध्या और हिंदू भक्तों में शोक की लहर दौड़ गई।
गुरुवार को अयोध्या में अंतिम संस्कार
उनका अंतिम संस्कार (Antim Sanskar in Ayodhya) गुरुवार को अयोध्या में किया जाएगा। इस दौरान हजारों श्रद्धालु, धार्मिक नेता, संत, पुजारी और राजनीतिक हस्तियां मौजूद रहेंगी। राम जन्मभूमि मंदिर के प्रमुख पुजारी के रूप में उनकी भूमिका को देखते हुए, यह कार्यक्रम बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भक्तों और मंदिर प्रशासन पर असर
आचार्य सत्येंद्र दास के निधन से राम जन्मभूमि मंदिर (Ram Mandir Temple) के पुजारियों, भक्तों और मंदिर प्रशासन को बड़ा झटका लगा है। वे मंदिर के महत्वपूर्ण धार्मिक क्रियाकलापों का संचालन करते थे और उनकी अनुपस्थिति में मंदिर प्रशासन को एक नया मुख्य पुजारी नियुक्त करना पड़ेगा।
आचार्य सत्येंद्र दास की विरासत
- राम जन्मभूमि मंदिर के संरक्षक: वे राम जन्मभूमि के धार्मिक परंपराओं (Religious Traditions of Ram Janmabhoomi) के मुख्य संरक्षक थे।
- हिंदू धर्म ग्रंथों के विशेषज्ञ: वे रामायण, वेद और अन्य हिंदू ग्रंथों के गहरे जानकार थे।
- राम मंदिर निर्माण आंदोलन में भूमिका: उन्होंने राम मंदिर आंदोलन (Ram Mandir Movement) में भी योगदान दिया।
- हजारों भक्तों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन: वे अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं (Devotees Visiting Ayodhya) को धार्मिक मार्गदर्शन देते थे।
धार्मिक और राजनीतिक हस्तियों की श्रद्धांजलि
उनके निधन पर कई धार्मिक नेताओं, राजनेताओं और मंदिर प्रशासन से जुड़े लोगों ने शोक व्यक्त किया। विहिप (VHP – Vishwa Hindu Parishad), आरएसएस (RSS – Rashtriya Swayamsevak Sangh) और राम जन्मभूमि ट्रस्ट (Ram Janmabhoomi Trust) के कई वरिष्ठ सदस्य गुरुवार को होने वाले अंतिम संस्कार में शामिल होंगे।
अलग-अलग राज्यों के संतों और मंदिरों के प्रमुख पुजारियों ने आचार्य सत्येंद्र दास के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि उनका समर्पण और भक्ति आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा।
अयोध्या के लिए ऐतिहासिक समय
अयोध्या इस समय एक ऐतिहासिक परिवर्तन (Historic Transformation) के दौर से गुजर रही है, क्योंकि राम मंदिर निर्माण (Ram Mandir Construction) तेजी से हो रहा है। आचार्य सत्येंद्र दास इस मंदिर निर्माण के महत्वपूर्ण धार्मिक मार्गदर्शक (Spiritual Guide) थे और उनकी अनुपस्थिति में मंदिर प्रशासन को बड़ा झटका लगा है।
आचार्य सत्येंद्र दास का निधन अयोध्या और हिंदू धर्म के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी धार्मिक सेवाएं, मंदिर की परंपराओं के प्रति समर्पण और भगवान राम के प्रति उनकी अटूट श्रद्धा को हमेशा याद किया जाएगा। गुरुवार को अयोध्या में अंतिम संस्कार के दौरान, भक्तगण और संत समाज उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
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