अखिलेश यादव ने महाकुंभ में भगदड़ से हुई मौतों को छुपाने का आरोप लगाया, यूपी सरकार से जवाबदेही की मांग की

Akhilesh Yadav Alleges Cover-Up of Mahakumbh Stampede Deaths, Calls for Accountability in UP Government

KKN गुरुग्राम डेस्क |  समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार पर महाकुंभ मेला में हुई stampede की मृतकों की संख्या को छिपाने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने न केवल मृतकों की संख्या को दबाया बल्कि महाकुंभ मेला के मैदान में शवों को हटाने के लिए JCB मशीनों और ट्रैक्टरों का इस्तेमाल किया। यादव ने यह बयान राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि यह हादसा सरकार की गलत प्रबंधन और लापरवाही के कारण हुआ है और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

महाकुंभ मेला: एक भयानक हादसा

महाकुंभ मेला, जो दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है, में लाखों श्रद्धालु भाग लेने आते हैं। इस वर्ष के महाकुंभ में शाही स्नान के दौरान एक बड़ा भगदर  हुआ, जिसमें कम से कम 30 लोग मारे गए और 60 से अधिक लोग घायल हुए। यह हादसा जब हुआ, तब श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए नदी में जाने की कोशिश कर रहे थे। मेला क्षेत्र में भारी भीड़ थी, जिसके कारण यह घटना हुई। इस ट्रैजेडी के बाद, अखिलेश यादव ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए कि वह इस त्रासदी की वास्तविकता को छिपा रही है।

अखिलेश यादव का आरोप: सरकार ने किया हादसे को छिपाने का प्रयास

अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ मेला में हुई इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद मृतकों की संख्या छिपाने की कोशिश की। उन्होंने लोकसभा में अपनी टिप्पणी करते हुए कहा, “सरकार बजट के आंकड़े लगातार पेश कर रही है, कृपया महाकुंभ हादसे में मारे गए लोगों का आंकड़ा भी बताइए।” यादव ने सरकार से यह भी मांग की कि मृतकों की संख्याघायल लोगों की स्थितिचिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धताखाना, पानी, परिवहन, और डॉक्टरों की व्यवस्था के बारे में संसद में जानकारी दी जाए।

यादव ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने घटना के बाद JCB मशीनों और ट्रैक्टरों का इस्तेमाल किया ताकि शवों को छिपाया जा सके। “लोग पुण्य कमाने आए थे, लेकिन उन्हें अपनों के शव लेकर जाना पड़ा,” यादव ने कहा। उनका यह बयान सरकारी प्रशासन के प्रति गहरी नाराजगी को दर्शाता है, जिनके अनुसार, राज्य की कार्यवाही में संवेदनहीनता और लापरवाही थी।

शवों को हटाने के लिए JCB मशीनों का उपयोग: अखिलेश का आरोप

अखिलेश यादव ने यह भी दावा किया कि सरकार ने शवों को छिपाने के लिए JCB मशीनों और ट्रैक्टरों का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, “यह चमत्कार था कि सरकार ने शवों को तो पाया, लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया।” यादव का यह आरोप महाकुंभ मेला के आयोजन और दुर्घटना के प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठाता है। उन्होंने कहा, “जब शवों का मामला सामने आया तो सरकार ने उसे छिपाने के लिए सभी प्रयास किए।”

इसके अलावा, यादव ने यह भी दावा किया कि सरकार ने हेलीकॉप्टर से फूलों की पंखुड़ियां गिराई जब मृतकों के शव मोर्चरी में पड़े हुए थे। यह उनके अनुसार, सरकार की वास्तविकता से अनजान और असंगत प्रतिक्रिया का संकेत था। यादव का कहना था कि ऐसी संवेदनहीनता दर्शाने वाले कदम सरकार की उपेक्षा और सत्ताधारी नेताओं की चुप्पी को उजागर करते हैं।

योगी आदित्यनाथ का विलंबित शोक संदेश

अखिलेश यादव ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने घटना के 17 घंटे बाद शोक व्यक्त किया। यादव के अनुसार, जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने तात्कालिक रूप से शोक व्यक्त किया था, तब मुख्यमंत्री ने अपनी संवेदना व्यक्त करने में काफी वक्त लिया। यादव ने कहा, “मुख्यमंत्री ने 17 घंटे बाद शोक व्यक्त किया, जबकि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने घटना के तुरंत बाद शोक व्यक्त किया।”

भाजपा सांसद हेमा मालिनी की विवादास्पद टिप्पणी

महाकुंभ मेला की त्रासदी पर भा.ज.पा. सांसद हेमा मालिनी के द्वारा की गई टिप्पणियों ने भी राजनीति में हलचल मचा दी। हेमा मालिनी ने इस घटना को “छोटी घटना” करार दिया और कहा, “यह सही है कि एक घटना हुई थी, लेकिन यह कोई बहुत बड़ी घटना नहीं थी। यह बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा है। यह बहुत अच्छे से प्रबंधित किया गया था, और सब कुछ बहुत अच्छे तरीके से किया गया था।”

उनकी इस टिप्पणी के बाद समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की। उनका कहना था कि यह टिप्पणियां घटना की गंभीरता और पीड़ितों के दर्द को नकारने वाली हैं।

यूपी सरकार की निंदा और जवाबदेही की मांग

अखिलेश यादव ने अपनी टिप्पणियों में यह भी कहा कि यूपी सरकार को जवाबदेही का सामना करना चाहिए और इस घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि महाकुंभ मेला जैसे बड़े धार्मिक आयोजन को बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जाना चाहिए था, ताकि इस प्रकार की त्रासदी से बचा जा सके।

यादव ने यह भी कहा कि सरकार को मृतकों की संख्या और उनके परिवारों की मदद के लिए स्पष्ट आंकड़े सार्वजनिक करने चाहिए ताकि सही जानकारी लोगों तक पहुंच सके। इसके अलावा, उन्होंने सरकार से इस घटना के लिए दंडात्मक कार्रवाई की मांग की, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

सरकार के साथ क्या हो रहा है?

महाकुंभ मेला की इस त्रासदी ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि बड़े धार्मिक आयोजनों की सुरक्षा व्यवस्था और प्रबंधन में सुधार की जरूरत है। लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के बीच उचित भीड़ नियंत्रण और आपातकालीन व्यवस्थाएं सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है।

जब तक सरकार इस मुद्दे पर गंभीर कदम नहीं उठाती, तब तक इस प्रकार की घटनाएं होती रहेंगी। उत्तर प्रदेश सरकार को अपनी प्रतिक्रिया और जवाबदेही में सुधार करना होगा, ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदी को रोका जा सके।

महाकुंभ मेला में हुई भगदर  त्रासदी ने यह सिद्ध कर दिया कि इस प्रकार के विशाल आयोजन के दौरान सुरक्षा और आपातकालीन प्रबंधन की योजनाओं को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। इस घटना के बाद की सरकारी प्रतिक्रिया और मीडिया रिपोर्ट्स में कई बारीकियां छुपाई गई हैं, जिससे जनता में असंतोष बढ़ रहा है।

अखिलेश यादव के आरोपों ने यूपी सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। अब देखना यह होगा कि सरकार किस तरह से इस मुद्दे पर जवाबदेही लेती है और भविष्य में इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से बचने के लिए क्या कदम उठाती है। सुरक्षा प्रबंधन और आपातकालीन व्यवस्था को सुधारने के साथ-साथ सरकार को मृतकों की जानकारी और पीड़ितों की मदद में पारदर्शिता लानी चाहिए।

इस त्रासदी ने यह सिद्ध कर दिया कि स्वास्थ्य सेवाएंआपातकालीन उपाय और भीड़ नियंत्रण के उपायों को प्राथमिकता देना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

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