पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रवासी मजदूरों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है। सरकार ने ‘श्रमश्री योजना’ की शुरुआत की है जिसके तहत हर महीने 5,000 रुपये की आर्थिक सहायता मजदूरों को दी जाएगी। यह योजना उन मजदूरों के लिए है जो बंगाल लौटना चाहते हैं और जिन्हें फिलहाल स्थायी रोजगार नहीं मिल पाया है।
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यह स्कीम 12 महीने तक या मजदूर को रोजगार मिलने तक लागू रहेगी। विधानसभा चुनाव 2026 से पहले इस कदम को सियासी दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है।
श्रमश्री योजना: क्या है खास
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट किया कि इस योजना का मकसद मजदूरों को नए सिरे से बसने और जीवनयापन शुरू करने में मदद करना है। प्रवासी मजदूरों के खाते में Direct Benefit Transfer (DBT) के जरिए यह राशि भेजी जाएगी।
सरकार का दावा है कि 22 लाख से अधिक प्रवासी मजदूर और उनके परिवार अन्य राज्यों में उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। ऐसे में यह योजना उनके पुनर्वास की दिशा में अहम साबित होगी।
बीजेपी शासित राज्यों पर ममता का हमला
ममता बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी शासित राज्यों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि बंगाली मजदूरों को उन राज्यों में जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें जबरन भगाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री के मुताबिक यह सब pre-planned attacks का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार किसी भी हालत में अपने लोगों को बेसहारा नहीं छोड़ेगी और उनकी सुरक्षा तथा आजीविका की पूरी जिम्मेदारी लेगी।
कैबिनेट की मंजूरी और लागू होने की प्रक्रिया
राज्य मंत्रिमंडल ने इस योजना को मंजूरी दे दी है। अधिकारियों के अनुसार, पहले चरण में लाखों मजदूरों को कवर किया जाएगा। आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से होगी ताकि अधिक से अधिक लोगों तक इसका लाभ पहुंच सके।
सरकार इस योजना के साथ ही मजदूरों के लिए skill development programs और छोटे उद्योगों में रोजगार के अवसर भी तैयार करने पर विचार कर रही है।
चुनावी सियासत से जोड़कर देखा जा रहा कदम
विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी का यह ऐलान राजनीतिक तौर पर भी अहम माना जा रहा है। विपक्ष का कहना है कि यह कदम पूरी तरह से वोट बैंक को साधने की रणनीति है।
हालांकि, ममता बनर्जी ने साफ किया है कि यह केवल एक welfare initiative है और इसका मकसद मजदूरों की कठिनाइयों को कम करना है।
पीएम मोदी के कार्यक्रम से दूरी
मुख्यमंत्री ने यह भी साफ कर दिया कि वह 22 अगस्त को कोलकाता में होने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगी।
प्रधानमंत्री तीन मेट्रो प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करने आ रहे हैं, लेकिन ममता बनर्जी ने कहा कि वह केंद्र और बीजेपी नेताओं के साथ मंच साझा नहीं करेंगी।
सूत्रों का कहना है कि मजदूरों के साथ हो रहे कथित उत्पीड़न के विरोध में ही ममता ने यह निर्णय लिया है।
मजदूरों की स्थिति और आर्थिक असर
प्रवासी मजदूरों की वापसी ने बंगाल की अर्थव्यवस्था पर भी असर डाला है। लौटने वाले ज्यादातर मजदूरों के पास न तो पर्याप्त बचत है और न ही रोजगार।
ऐसे में ₹5,000 मासिक सहायता उनके लिए जीवनयापन का आधार बनेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस राशि से स्थानीय बाजारों में मांग बढ़ेगी और छोटे व्यापारियों को भी लाभ होगा।
आलोचनाएं और सवाल
योजना की घोषणा के बाद विपक्ष ने सवाल उठाए हैं कि क्या राज्य सरकार इतनी बड़ी योजना को लंबे समय तक चला पाएगी।
कई नेताओं का कहना है कि यह केवल चुनावी स्टंट है। हालांकि, सरकार का दावा है कि इसके लिए बजट का प्रावधान किया जा चुका है और योजना पूरी पारदर्शिता से लागू होगी।
भविष्य की योजना
ममता बनर्जी सरकार ने संकेत दिया है कि भविष्य में लौटे मजदूरों को self-employment schemes, सरकारी प्रोजेक्ट्स और छोटे उद्योगों से जोड़ा जाएगा।
training programs और job creation initiatives के जरिए उन्हें स्थायी रोजगार देने पर भी जोर दिया जाएगा।
ममता बनर्जी की ‘श्रमश्री योजना’ न केवल एक आर्थिक सहायता स्कीम है बल्कि इसे राजनीतिक संदेश के तौर पर भी देखा जा रहा है। प्रवासी मजदूरों को ₹5,000 प्रति माह की सहायता मिलना उनके जीवन में राहत लाएगा, लेकिन इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि सरकार इसे कितनी पारदर्शिता और स्थायित्व के साथ लागू करती है।
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