बिहार विधानसभा का अल्पकालीन सत्र मंगलवार को विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गया और मात्र 25 मिनट की कार्यवाही के बाद सत्र को स्थगित करना पड़ा। राज्य में विधि-व्यवस्थाखराब होने, हत्या, लूट, अपहरण सहित अन्य आपराधिक घटनाओं में वृद्धि का आरोप लगाते हुए विपक्ष ने मंगलवार को विधानसभा में जमकर हंगामा किया।
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मात्र 25 मिनट चली सदन
नतीजा, सदन मात्र 25 मिनट ही चली। दोनों पालियों में सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष की ओर से हंगामा किया गया। सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विपक्ष के सदस्य वेल में आ गए। अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी की कोई अपील काम न आई। हंगामा जारी रहने के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
मॉब लिंचिंग का उठा मामला
पहली पाली की कार्यवाही 11 बजे शुरू शुरू होते ही राजद के नवाज आलम व आलोक कुमार मेहता ने बीते दिनों सीतामढ़ी में दंगा होने व एक युवक को जिंदा जला देने का मामला उठाते हुए कार्यस्थगन प्रस्ताव दे दिया। पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में मॉब लिचिंग की घटना पर विपक्षी सदस्य शोर-शराबा करने लगे। विपक्षी सदस्य दोषियों को फांसी देने, घटनास्थल पर मौजूद पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग कर रहे थे।
नहीं हुआ प्रश्नकाल
हंगामे के बीच ही अध्यक्ष ने प्रश्नकाल की अहमियत बताते हुए नियमानुकूल ही विपक्षी सदस्यों को अपनी बात कहने का अनुरोध किया। अध्यक्ष बार-बार कहते रहे कि सदन संचालन के नियम है और हर सवाल उठाने का प्रावधान तय है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने आसन से कार्यस्थगन प्रस्ताव मंजूर करने का अनुरोध किया। वहीं संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि जब तक सदन व्यवस्थित नहीं होगा, किसी सवाल का जवाब सरकार कैसे दे सकती है। इस बीच अध्यक्ष ने कार्यस्थगन प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इसके बाद सम्पूर्ण विपक्ष वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। दूसरी पाली की कार्यवाही दो बजे शुरू होते ही हंगामा फिर शुरू हो गया। सीतामढ़ी मामले की न्यायिक जांच की मांग करते हुए विपक्षी सदस्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
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