उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा के फायर ब्रांड नेता और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को करारी हार का सामना करना पड़ा है। सूबे के फूलपुर और गोरखपुर लोगसभा सीट से सपा उम्मीदवार ने जीत दर्ज कराके भाजपा के चुनावी रणनीतिकारो को करारा जवाब दिया है। बतातें चलें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तेफे से रिक्त हुए इस दोनो सीट पर उपचुनाव में सपा ने अपना कब्जा जमा लिया है।
स्मरण रहे कि उक्त दोनो सीट पर उपचुनाव के दौरान मतदान काफी कम देखने को मिला। गोरखपुर में सिर्फ 47 फीसदी लोगों ने मतदान किया जबकि फूलपुर में 38 फीसदी लोगों ने वोटिंग की थी। भगवा पार्टी ने कौशलेन्द्र सिंह पटेल को फूलपुर सीट पर उतारा था। जबकि, कौशलेन्द्र दत्त शुक्ला को गोरखपुर में उतारा गया है। इनके खिलाफ फूलपुर सीट से समाजवादी पार्टी के प्रवीण निषाद और गोरखपुर सीट से नागेन्द्र प्रताप सिंह पटेल चुनावी मैदान में थे। कांग्रेस ने गोरखपुर से सुरीथा करीम और फूलपुर लोकसभा सीट से मनीष मिश्रा को उतारा था।
इस बीच बीएसपी सुप्रीमो मायावती की तरफ से समाजवादी पार्टी को समर्थन देने के बाद बीजेपी की मुश्किलें बढ़ गयी और सपा ने दोनो सीट पर कब्जा करके 2019 के आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की काट के स्पष्ट संकेत दे दिएं हैं।
बतातें चलें कि बीजेपी के लिए गोरखपुर का सीट इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ रहा है जो यहां से पांच बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं। आदित्यनाथ से पहले उनके गुरू योगी अवैधनाथ को गोरखपुर ने तीन बार संसद भेजा था। आज योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री है और उनके रहते गोरखपुर से भाजपा की हार का राजनीतिक के जानकारी दूरगामी परिणाम के रूप में देखने लगे है। वही, फूलपुर सीट एक समय में कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहलाल नेहरू यहां से जीत कर सांसद में पतिनिधित्व कर चुके हैं। लेकिन, 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के केशव प्रसाद मौर्य संसद में चुनकर आ गए थे। आज श्री मोर्य यूपी के उपमुख्यमंत्री है। यानी मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनो की जीती हुई सीट पर उपचुनाव में सपा की जीत होना राजनीतिक बदलाव के संकेत नही तो और क्या है?
This post was published on मार्च 14, 2018 19:10
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