दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत से ही सदन में जबरदस्त हंगामा देखने को मिला। सत्र के पहले दिन ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन महादेव की सफलता पर सरकार की ओर से धन्यवाद प्रस्ताव लाया गया, लेकिन विपक्ष ने इसे लेकर तीखी आलोचना की। इसी दौरान दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने संसद में दिए गए जया बच्चन के बयान को लेकर उन पर सीधा तंज कस दिया।
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मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि जया बच्चन ने संसद में जो टिप्पणी की, वह न केवल असंवेदनशील थी, बल्कि भारतीय संस्कृति और सेना के प्रति अपमानजनक भी थी। उन्होंने जवाब में फिल्मी अंदाज़ अपनाते हुए कहा – “एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो…” यह टिप्पणी न केवल एक प्रतीकात्मक जवाब था, बल्कि पूरे राजनीतिक विमर्श को एक भावनात्मक मोड़ भी दे गया।
जया बच्चन के बयान पर रेखा गुप्ता का तीखा पलटवार
दरअसल, संसद में समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के नाम पर सवाल उठाया था। उन्होंने पूछा था कि एक सैन्य अभियान का नाम किसी पारंपरिक प्रतीक से क्यों जोड़ा गया। उनके इस बयान को कई राजनीतिक दलों ने आलोचना के रूप में लिया।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का नाम एक सम्मान और बलिदान का प्रतीक है। सिंदूर भारतीय संस्कृति में आस्था, रिश्तों और सुरक्षा का भाव है, और उसे लेकर ऐसी टिप्पणियाँ करना सेना का मनोबल गिराने के समान है।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर जया बच्चन को ऑपरेशन के नाम पर आपत्ति है, तो यह उनके सोचने का तरीका है, लेकिन हम भारतीय संस्कृति के प्रतीकों को गर्व और गरिमा के साथ देखते हैं।
संजीव झा के बयान से विधानसभा में बवाल, स्पीकर ने दिया बाहर निकालने का आदेश
सत्र के दौरान आप विधायक संजीव झा ने सरकार की सेना वापसी नीति की आलोचना करते हुए कहा कि जब PoK पर कब्ज़ा करने का सही मौका था, तब सरकार ने सेना को वापस बुला लिया। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में किसी प्रधानमंत्री ने इतना कमज़ोर और डरपोक फैसला नहीं लिया होगा।
इस टिप्पणी पर तुरंत हंगामा शुरू हो गया। विधानसभा अध्यक्ष बिजेंदर गुप्ता ने इस बयान को असंवैधानिक और आपत्तिजनक बताया और संजीव झा से अपने शब्द वापस लेने को कहा। जब उन्होंने इनकार किया तो स्पीकर ने मार्शल की मदद से उन्हें सदन से बाहर निकलवाने का आदेश दे दिया।
सत्र के बीच में कांग्रेस ने भी झुग्गी-झोपड़ी तोड़े जाने के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया, जिससे सदन का माहौल और गर्म हो गया।
विपक्ष पर लगा INDIA गठबंधन के नाम पर ‘भारत विरोधी एजेंडा’ चलाने का आरोप
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने विपक्षी नेताओं पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने मिलकर एक टीम बना ली है, जिसका नाम है INDIA, लेकिन जब ये बोलते हैं तो लगता है कि पाकिस्तान या अमेरिका के नेता बोल रहे हैं।
उन्होंने पूछा कि जब पाकिस्तान कश्मीर पर कब्ज़ा कर रहा था, तब किसने जिम्मेदारी ली? जब भारत का विभाजन हुआ, तब कौन जवाबदेह था? उन्होंने 1962 में चीन से युद्ध, 1965 और 1971 के युद्धों की भी चर्चा की, और कहा कि विपक्ष सिर्फ राजनीति करता है, लेकिन जिम्मेदारी कभी नहीं लेता।
उनका ये बयान विपक्ष को घेरने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, खासतौर पर ऐसे समय में जब देश में आगामी चुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है।
निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण के लिए विधेयक पेश
राजनीतिक तूफान के बीच, दिल्ली सरकार ने एक अहम बिल भी पेश किया जिसका उद्देश्य है कि निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर रोक लगाई जाए।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने CAG रिपोर्ट भी सदन में पेश की और कहा कि जब तक किसी निजी स्कूल का ऑडिट पूरा नहीं होता, तब तक वह अपनी फीस नहीं बढ़ा सकता। फीस बढ़ाने से पहले फीस निर्धारण समिति की अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
यह विधेयक दिल्ली के हजारों अभिभावकों के लिए राहत की खबर है, जो लंबे समय से फीस की बढ़ती बोझ को लेकर परेशान हैं।
झुग्गी-झोपड़ी तोड़ने को लेकर कांग्रेस का विरोध
इसी सत्र में कांग्रेस ने झुग्गी तोड़ने के मुद्दे पर विरोध दर्ज कराया और सरकार पर आरोप लगाया कि वह गरीबों को बिना पुनर्वास किए उजाड़ रही है। कांग्रेस नेताओं ने इसके खिलाफ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने की बात कही है।
इस विरोध ने सरकार के शहरी विकास के एजेंडे पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं और एक नया राजनीतिक मोर्चा खोल दिया है।
दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र एक बार फिर राजनीतिक टकराव का केंद्र बन गया है। एक तरफ राष्ट्रीय सुरक्षा और सेना के अभियान को लेकर सरकार ने आक्रामक रुख अपनाया, वहीं विपक्ष ने सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का जया बच्चन को दिया गया फिल्मी जवाब, संसद से लेकर सोशल मीडिया तक चर्चा का विषय बन गया है।
यह सत्र यह साफ़ करता है कि आने वाले समय में राष्ट्रवाद, संस्कृति और शिक्षा जैसे मुद्दे राजनीति का केंद्र बने रहेंगे और सभी पार्टियां इन पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश करेंगी।
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