36 फीसदी बच्चे नहीं जानते देश की राजधानी का नाम
नई दिल्ली। हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था का एक काला सच सामने आया है। द सर्वे फॉर द एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट फॉर रूरल इंडिया इन 2017 का सर्वे रिपोर्ट वास्तव में चौकाने वाला है। ग्रामीण शिक्षा पर आधारित यह चौंकानेवाली रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई है।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के 14 से 16 आयु वर्ग के बच्चों में से करीब एक चौथाई अपनी भाषा को बिना रुके फ्लुएंटली नहीं पढ़ सकते हैं। जबकि, 57 फीसदी बच्चे साधारण गुणा भाग भी ठीक से करने में सक्षम नहीं हैं। हैरान करनेवाली बात ये भी है कि 14 फीसदी बच्चों को जब भारत का मैप दिखाया गया तो उन्हें उसके बारे में कुछ भी मालूम नहीं था। वहीं, 36 फीसदी बच्चों को देश की राजधानी के बारे में नहीं पता है। भारत की ग्रामीण शिक्षा की दिखाती तस्वीर में ये भी निकलकर सामने आया कि 21 फीसदी बच्चों को अपने राज्य के बारे में कुछ नहीं पता है।
यह सर्वे देश के 24 राज्यों के 28 जिलों में किया गया था। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने इसे स्तब्धकारी बताते हुए कहा कि इससे यह जाहिर होता है कि वाकई में ग्रामीण शिक्षा की क्या स्थिति है और हमें इस ओर क्या करने की जरूरत है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 14 की आयु तक लड़का और लड़की के एडमिशन में किसी तरह का कोई अंतर नहीं है लेकिन 18 वर्ष तक आते ही 32 फीसदी लड़कियां आगे की पढ़ाई छोड़ रही हैं। जबकि, उसकी तुलना में 28 फीसदी लड़के आगे की पढ़ाई नहीं कर रहे।
जब उन छात्रों से पूछा गया कि ये कितने पैसे हैं? उनमें से करीब एक चौथाई ने गलत जवाब दिया। जबकि, करीब 44 फीसदी बच्चे किलोग्राम को वजन में नहीं बता पाए। समय देखना तो रोजना की बात है जो रोज की दिनचर्या में शामिल है। लेकिन, रिपोर्ट के मुताबिक करीब 40 फीसदी से ज्यादा बच्चे घंटा और मिनट के बारे में फर्क तक नहीं बता पाए।