तीन तलाक पर छिड़ी राष्ट्रीय बहस

योगी के दरबार में गुहार लेकर पहुंची मुस्लिम महिलाएं

यूपी। हैदराबाद की दो महिलाओं को विदेश में रह रहे इनके पतियों ने वॉटसएप पर तलाक दे दिया। कानपुर की महिला आलिया सिद्दीकी को उसके पति ने स्पीड पोस्ट भेज कर तलाक दे दिया। आलिया के पति बिजनौर में सहायक श्रम आयुक्त के पद पर हैं। इसी प्रकार बांदा की आशिया की उसके पति से झगड़ा हो गया गया था। उसने सोचा कि दो चार दिन में सब ठीक हो जाएगा। लेकिन उसके पति ने फोन करके तलाक दे दिया।
बात यही खत्म नही होती है। बल्कि, सहारनपुर के नानौता थाना की शगुफ्ता का निकाह पांच साल पहले गंगोह के बुढ्ढाखेड़ा निवासी शमशाद के साथ हुआ था। उससे दो बेटियों पैदा हुई तो ससुराल वाले नाराज हो गए। ससुराल वालों ने उसके साथ मारपीट कर घर से निकाल दिया और पति ने तलाक दे दिया। यह तो महज चंद बानगी है। भारत में इस तरह से तलाक पीड़ित मुस्लिम महिलाओं की संख्या हजारो में है।
अब ये तलाक पीड़त मुस्लिम महिलाएं यूपी के सीएम योगी की दरबार में पहुंच कर न्याय की गुहार लगा रही है। बतातें चलें कि इससे पहले पीएम मोदी ने भी तलाक पीड़ित महिलाओं को न्याय का भरोसा दिया था। इस बीच ऑल इंडिया मुस्ल‍िम पर्सनल लॉ बोर्ड के अड़ियल रुख के कारण फिलहाल इन महिलाओं को न्याय मिलने के आसार नही दीख रहें हैं।
हालांकि, तीन तलाक राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बन जाने के बाद मुस्लिम समाज के प्रगतिशील विचारधारा के कई लोग इन तलाक पीड़ित महिलाओं के पक्ष में खुल कर बोलने भी लगे हैं। दुसरी ओर शरियत के जानकारों का मानना है कि जब कोई पुरुष गुस्से में, नशे में या फिर बिना तलाक की नियत से भी एक साथ तीन बार तलाक बोल दे, तो उसे गुनाह माना जाता है। बावजूद इसके पुरुष के द्वारा बोले गये तलाक को शरियत के मुतल्लिक वैध मान लिया जाता है। लिहाजा पल भर में ही बेबा बनी मुस्लिम महिलाओं ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल कर मुस्लिम धर्म गुरुओं को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है।


Discover more from

Subscribe to get the latest posts sent to your email.