हाल के हफ्तों में अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump के बयानों ने भारतीय जनभावनाओं को प्रभावित किया है। देश में एक ओर अमेरिका के खिलाफ नाराज़गी बढ़ी है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में लहर तेज हुई है। विपक्ष और किसान संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अमेरिका को किसी भी तरह की अत्यधिक रियायत न दी जाए।
Article Contents
बिहार चुनाव से पहले बढ़ा राजनीतिक तापमान
मोदी सरकार अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। लक्ष्य है किसानों का समर्थन मजबूत करना, खासकर बिहार विधानसभा चुनाव से पहले। यहां की आधी से ज्यादा आबादी खेती और उससे जुड़े कार्यों पर निर्भर है।
Trump द्वारा भारत से अमेरिका जाने वाले निर्यात पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा के एक दिन बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने समर्थकों को आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए वह व्यक्तिगत कीमत चुकाने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
केंद्रीय मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्यों ने संकेत दिया कि भारत अमेरिकी दबाव में कृषि और डेयरी बाजार को नहीं खोलेगा। इस बीच, प्रमुख किसान संगठनों ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर सरकार को अपने समर्थन का भरोसा दिया।
अमेरिकी दबाव के खिलाफ एकजुटता
Trump के हालिया बयानों ने भारत में अमेरिका के प्रति विरोध और मोदी के पक्ष में माहौल मजबूत किया है। विपक्षी दल और किसान संगठन एक सुर में चेतावनी दे रहे हैं कि किसी भी स्थिति में अमेरिका को extra concessions न दी जाएं।
ग्लोबलडेटा टीएस लोम्बार्ड की मुख्य अर्थशास्त्री शुमिता देवेश्वर का कहना है कि भारत का रुख बदला है। उन्होंने कहा, “कृषि क्षेत्र में अमेरिकी दखल किसानों को स्वीकार नहीं होगा। यह जरूरी है कि भारत किसी विदेशी ताकत के आगे झुकता न दिखे।”
मोदी की लोकप्रियता बरकरार
बिहार चुनाव में भाजपा अपने सहयोगियों पर निर्भर है, लेकिन किसान वोट निर्णायक साबित हो सकता है। सी-वोटर सर्वे के अनुसार, 1 अगस्त को मोदी से ‘बेहद संतुष्ट’ लोगों का आंकड़ा 46% था, जो 15 अप्रैल के 45.8% के करीब है।
सी-वोटर के संस्थापक यशवंत देशमुख का कहना है कि Trump-भारत विवाद मोदी के लिए राजनीतिक रूप से फायदेमंद है। उनके अनुसार, इससे विपक्ष के लिए माहौल में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा।
राष्ट्रीय प्राथमिकता पहले
2021 में सालभर चले किसान आंदोलन ने मोदी सरकार को तीन विवादित कृषि कानून वापस लेने पर मजबूर किया था। अब मोदी अमेरिकी कंपनियों को कृषि और डेयरी क्षेत्र में प्रवेश न देने के फैसले से ग्रामीण वोटबैंक को और मजबूत कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ यूथ प्रोग्रेसिव फार्मर्स एसोसिएशन के वीरेंद्र लोहन ने कहा, “आपने साबित किया कि भारतीय किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं, बल्कि इस राष्ट्र की आत्मा है। इसे कोई विदेशी ताकत नियंत्रित नहीं कर सकती।” भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि राष्ट्रीय प्राथमिकताएं सर्वोपरि हैं और किसानों तथा कृषि के साथ किसी भी तरह का जोखिम स्वीकार्य नहीं है।
अमेरिकी ब्रांड्स के बहिष्कार की मांग
स्वदेशी जागरण मंच ने अमेरिकी उत्पादों और फूड चेन जैसे McDonald’s के बहिष्कार का आह्वान किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत को दंडित करने की कोशिश उसकी बढ़ती वैश्विक हैसियत से असहजता का परिणाम है।
वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी पर Trump से शुरुआती नजदीकी का आरोप लगाया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि किसानों को टैरिफ के असर से बचाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए।
अर्थव्यवस्था पर असर का अनुमान
सिटीग्रुप इंक का अनुमान है कि 50% टैरिफ से भारत की वार्षिक आर्थिक वृद्धि दर में 0.8 प्रतिशत अंक तक गिरावट आ सकती है। अहमदाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नीलांजन सिरकार का कहना है कि Trump का रुख भारत के प्रति दबंगई जैसा है। ऐसे में लोग अपने नेताओं के साथ खड़े होना चाहेंगे, लेकिन यह लाभ तभी तक रहेगा जब तक आर्थिक चोट गहरी न हो।
किसानों की एकजुटता से राजनीतिक बढ़त
मोदी सरकार किसानों की एकजुटता को रणनीतिक लाभ में बदलने की कोशिश कर रही है। इसे केवल व्यापारिक विवाद नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता की रक्षा के रूप में पेश किया जा रहा है।
बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्य में यह संदेश गहराई से असर डाल रहा है। चुनावी रैलियों में मोदी खुद को ऐसे नेता के रूप में पेश कर रहे हैं जो विदेशी दबाव का विरोध कर किसानों के हित की रक्षा करते हैं।
Discover more from KKN Live
Subscribe to get the latest posts sent to your email.