मुंबई। महाराष्ट्र के बीड जिले में 28 वर्षीय एक महिला कांस्टेबल ने मुंबई उच्च न्यायालय में लिंग परिर्वतन हेतु विभाग से एक महीने की छुट्टी दिलावने की अर्जी लगा कर सभी को चौका दिया है। बताया कि उन्होंने लिंग परिवर्तन सर्जरी कराने के लिए महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को छुट्टी देने का अनुरोध किया था, जिसे रिजेक्ट कर दिया गया।
ललिता साल्वे अब ललित कहलाना पसंद करती हैं। उन्होंने पिछले महीने लिंग परिवर्तन सर्जरी कराने के लिए एक महीने की छुट्टी मांगी थी। हालांकि, उन्हें छुट्टी देने से मना कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। साल्वे के वकील एजाज नकवी ने गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया। नकवी ने कहा कि न्यायमूर्ति एस एम केमकर की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ के समक्ष कल इस पर बहस होनी है।
याचिका के अनुसार जून 1988 में जन्मी साल्वे ने तीन साल पहले अपने शरीर में बदलाव देखा और मेडिकल जांच कराई। इसमें पाया गया कि उनके शरीर में वाई क्रोमोसोम की अधिकता हो गई है। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने सरकारी जेजे अस्पताल में मनोचिकित्सकों से परामर्श लिया। चिकित्सकों ने पाया कि उसे लैंगिक असंतोष विकृति है और सलाह दी कि अगर वह इच्छुक हैं और उनकी दिमागी हालत ठीक है तो लिंग परिवर्तन सर्जरी करा लें। याचिका में आरोप लगाया गया कि लिंग परिर्वतन हेतु उन्हें अवकास नही देना याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का हनन है।