KKN गुरुग्राम डेस्क | महाराष्ट्र के पुणे जिले में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के AMAN वेरिएंट के कारण पहली मौत दर्ज की गई है। 64 वर्षीय महिला, जो पिंपरी के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट-यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल हॉस्पिटल (PGI-YCMH) में इलाज करवा रही थी, ने मंगलवार सुबह 9:45 बजे अंतिम सांस ली।
पुणे में GBS मामलों की इस अचानक वृद्धि ने स्वास्थ्य अधिकारियों और डॉक्टरों को सतर्क कर दिया है। अब तक 67 मामलों की पुष्टि की जा चुकी है, जिसमें से अधिकांश AMAN वेरिएंट से संबंधित हैं।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जो पेरिफेरल नर्वस सिस्टम (परिधीय तंत्रिका तंत्र) को प्रभावित करती है। यह स्थिति शरीर की नसों पर हमला करती है, जिससे निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
AMAN वेरिएंट विशेष रूप से मोटर नर्व फाइबर्स को प्रभावित करता है, जिससे तेज़ी से मांसपेशियों में लकवा हो सकता है। यदि समय पर इलाज न हो, तो यह स्थिति जीवन के लिए खतरा बन सकती है, खासकर जब सांस लेने की मांसपेशियां प्रभावित हों।
PGI-YCMH अस्पताल के मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. प्रवीन सोनी ने बताया कि महिला को 17 नवंबर, 2025 को पुणे के रूबी हॉल क्लिनिक में भर्ती कराया गया था। उस समय उन्हें बुखार और पैरों में कमजोरी की शिकायत थी, जो बाद में सांस लेने की मांसपेशियों में लकवे में बदल गई।
महिला की मृत्यु के साथ-साथ पुणे में GBS के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। अब तक 67 मामले सामने आए हैं, जिनकी भौगोलिक स्थिति निम्नलिखित है:
पिंपरी-चिंचवड़ के पिंपल गुरव से 34 वर्षीय पुरुष का AMAN वेरिएंट का एक और मामला गुरुवार को दर्ज किया गया। इसके अलावा, दो अन्य संदिग्ध GBS मरीजों का इलाज चल रहा है।
पुणे में GBS के मामलों में वृद्धि को कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी (Campylobacter jejuni) नामक बैक्टीरिया से जोड़ा गया है। यह एक स्पायरल-आकार का ग्राम-निगेटिव बैक्टीरिया है, जो आमतौर पर जानवरों, खासकर मुर्गियों की आंतों में पाया जाता है।
यह बैक्टीरिया कैम्पिलोबैक्टेरिओसिस (Campylobacteriosis) नामक बीमारी का कारण बनता है, जिसके लक्षण हैं:
आमतौर पर, इसके लक्षण 2-5 दिनों के भीतर दिखते हैं और एक हफ्ते तक रहते हैं। हल्के मामलों में यह बीमारी बिना इलाज के ठीक हो सकती है, लेकिन गंभीर मामलों में एजिथ्रोमाइसिन या सिप्रोफ्लॉक्सासिन जैसे एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता होती है।
कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी GBS का प्रमुख ट्रिगर माना जाता है। यह बैक्टीरिया इम्यून सिस्टम को भ्रमित करता है, जिससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही नसों पर हमला करने लगती है। कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों में इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं।
महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक, डॉ. बबिता कमलापुरकर, ने बताया कि GBS मामलों की प्रारंभिक पहचान और इलाज पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “संक्रमित भोजन और पानी के सेवन के कारण यह समस्या बढ़ रही है। हमारा लक्ष्य समय पर मरीजों की पहचान और उचित इलाज सुनिश्चित करना है।”
GBS के लक्षणों को जल्दी पहचानना और इलाज शुरू करना जरूरी है। आम लक्षण:
इलाज के विकल्पों में शामिल हैं:
पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के कारण पहली मौत ने इस बीमारी को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी है। कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी से जुड़े मामलों की वृद्धि साफ तौर पर यह संकेत देती है कि स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा पर जोर देना बेहद जरूरी है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय पर मामलों की पहचान और उचित इलाज के प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि, यह घटना यह भी याद दिलाती है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को और मजबूत किया जाना चाहिए, ताकि इस तरह की बीमारियों के प्रकोप को रोका जा सके।
सरकार और स्वास्थ्य विभाग की साझा जिम्मेदारी है कि वे न केवल बीमारी को नियंत्रित करें, बल्कि इसके कारणों को भी जड़ से समाप्त करने का प्रयास करें
This post was published on जनवरी 24, 2025 16:55
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