देश के चर्चित आपराधिक मामलों में सरकारी पक्ष रखने वाले वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम को हाल ही में Rajya Sabha के लिए नामांकित किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सिफारिश पर उन्हें उच्च सदन की सदस्यता दी जा रही है।
राज्यसभा में नामांकन से पहले एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने लंबे कानूनी करियर के अनुभव साझा किए और Sanjay Dutt Case को लेकर कई अहम खुलासे किए।
“संजय दत्त ने अगर समय रहते पुलिस को बताया होता, तो बच जाती मुंबई”
Ujjwal Nikam Interview के दौरान उन्होंने 1993 Mumbai Blasts से जुड़ी एक महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि धमाके से कुछ दिन पहले एक वैन अभिनेता संजय दत्त के घर पहुंची थी, जिसमें भारी मात्रा में हथियार थे।
उनका दावा है कि गैंगस्टर अबू सलेम द्वारा लाए गए हथगोले और AK-47 राइफलें संजय दत्त ने देखीं। कुछ को छूने के बाद उन्होंने सब वापस कर दिए, लेकिन एक AK-47 अपने पास रख ली।
निकम ने कहा, “अगर उसी समय पुलिस को सूचना दी जाती, तो जांच होती और शायद वो बम धमाके ही नहीं होते।”
“कानून की नजर में अपराध था, लेकिन मैं उन्हें निर्दोष मानता हूं”
उन्होंने स्पष्ट कहा कि संजय दत्त ने कानून का उल्लंघन किया, लेकिन उनका इरादा आपराधिक नहीं था। निकम ने कहा, “उनके पास हथियार रखने की वजह शौक था, न कि कोई साजिश।”
उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने संजय के वकील को बताया था कि AK-47 से कोई फायरिंग नहीं हुई थी। परंतु प्रतिबंधित हथियार रखने और पुलिस को न बताने की वजह से वे दोषी माने गए।
“सजा सुनते ही संजय दत्त सदमे में थे”
निकम ने कोर्ट की उस घटना का ज़िक्र किया जो अब तक सार्वजनिक नहीं थी। उन्होंने बताया कि जब Court ने Arms Act के तहत संजय दत्त को दोषी ठहराया, तब वह बेहद घबरा गए थे।
निकम बोले, “उनके चेहरे के भाव अचानक बदल गए। मुझे महसूस हुआ कि वह मानसिक रूप से टूट चुके हैं। वे खामोश हो गए और सीधे चले गए।”
“संजय, ऐसा मत करना… लोग तुम्हें दोषी समझेंगे”
उज्ज्वल निकम ने पहली बार साझा किया कि उस क्षण उन्होंने संजय दत्त से क्या कहा। “मैंने उन्हें कहा, ‘संजय ऐसा मत करो। मीडिया तुम्हें देख रही है। तुम एक एक्टर हो। अगर तुम डरे हुए लगोगे तो लोग यही मानेंगे कि तुम दोषी हो।’”
उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने संजय को भरोसा दिलाया कि अपील का विकल्प खुला है। इस पर संजय ने कहा, “हां सर, हां सर।”
कोर्ट ने आतंकवाद के आरोप से बरी किया, लेकिन हथियार रखने पर सजा मिली
अदालत ने संजय दत्त को TADA (आतंकवाद निरोधक अधिनियम) के तहत बरी कर दिया, लेकिन Arms Act के तहत दोषी माना गया। सुप्रीम कोर्ट ने बाद में उनकी सजा को छह साल से घटाकर पांच साल कर दिया।
संजय दत्त ने अपनी पूरी सजा पुणे की यरवदा जेल में पूरी की और फिर फिल्मों में वापसी की।
“कानून अपना काम करता है, इंसानियत अपनी बात कहती है”
Ujjwal Nikam on Sanjay Dutt का यह बयान कई कानूनी विशेषज्ञों और सामाजिक विचारकों के लिए चर्चा का विषय बन गया है। कुछ लोगों का मानना है कि दोष साबित होने के बाद ‘निर्दोष’ कहने की कोई जगह नहीं, जबकि कुछ लोग निकम की बात को एक इंसानी नजरिए से देख रहे हैं।
उज्ज्वल निकम: कानूनी सेवा से संसद तक
उज्ज्वल निकम देश के सबसे प्रसिद्ध सरकारी वकीलों में गिने जाते हैं। उन्होंने कई बड़े मामलों में सरकार की पैरवी की, जिनमें शामिल हैं:
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1993 मुंबई ब्लास्ट केस
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26/11 मुंबई आतंकी हमला
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प्रमोद महाजन हत्या मामला
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2003 गेटवे ऑफ इंडिया ब्लास्ट
अब संसद में शामिल होकर वे न्यायिक सुधार, आतंकवाद रोधी कानून, और राष्ट्रीय सुरक्षा पर अपनी राय देंगे।
निकम ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या केवल कानून के तराजू से इंसान का मूल्यांकन पूरा हो जाता है? उनका यह बयान कि “कानून के हिसाब से दोषी, पर मेरे नज़रिए से निर्दोष” हमें सोचने पर मजबूर करता है।
जहां अदालतें साक्ष्य के आधार पर फैसला सुनाती हैं, वहीं किसी इंसान का व्यक्तित्व कई बार उससे कहीं बड़ा होता है।
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