Home Economy भारत-अमेरिका व्यापार समझौता: बातचीत जारी, लेकिन कोई ठोस फैसला नहीं

भारत-अमेरिका व्यापार समझौता: बातचीत जारी, लेकिन कोई ठोस फैसला नहीं

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता पर अभी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है। इसी बीच, अमेरिका ने इंडोनेशिया के साथ एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौता करने की घोषणा की है। यह समझौता उस समय हुआ है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में व्यापारिक साझेदारों को 1 अगस्त तक शुल्क बढ़ाने की चेतावनी दी थी। इस समझौते में इंडोनेशिया और अमेरिका के बीच 19% टैरिफ की दर तय की गई है।

अमेरिका और इंडोनेशिया के बीच समझौता

डोनाल्ड ट्रंप ने 15 जुलाई 2025 को ऐलान किया कि अमेरिका और इंडोनेशिया के बीच एक नया टैरिफ समझौता हुआ है। इसके तहत, इंडोनेशिया से अमेरिका आने वाले उत्पादों पर 19% टैक्स लगेगा, जबकि अमेरिका से इंडोनेशिया में जाने वाले उत्पादों पर कोई शुल्क नहीं होगा। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “इंडोनेशिया 19% टैक्स देगा, और हम कुछ नहीं देंगे। अब हमें इंडोनेशिया तक पूरी पहुंच मिल रही है।”

यह समझौता उस समय हुआ है जब ट्रंप ने पहले ही कई देशों को टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी दी थी, और इंडोनेशिया इस मामले में पहला देश है जिसने ट्रंप के साथ टैरिफ समझौता किया है।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर अभी बातचीत जारी है। हालांकि, दोनों देशों के बीच कृषि और डेयरी उत्पादों को लेकर सहमति नहीं बन पाई है, जिससे समझौता अभी तक अटका हुआ है। इन क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच मतभेद मुख्य वजह बने हैं।

ट्रंप ने इंडोनेशिया के साथ समझौता होने के बाद दावा किया कि भारत भी इंडोनेशिया की तर्ज पर अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करेगा। उन्होंने कहा, “भारत भी उसी दिशा में काम कर रहा है। हमें भारत तक पूरी पहुंच मिल रही है। अब हम उन देशों से व्यापार कर पा रहे हैं, जहां पहले हम नहीं जा सकते थे।”

भारत के दृष्टिकोण से व्यापार समझौता

हालांकि भारत ने ट्रंप के बयान को हल्के में लिया है और यह स्पष्ट किया है कि वह किसी भी व्यापार समझौते को तभी स्वीकार करेगा जब यह दोनों देशों के हित में होगा। भारत का मानना है कि अगर अमेरिका कृषि और डेयरी क्षेत्रों में भारतीय उत्पादों के लिए आसान शर्तें नहीं रखेगा, तो ऐसा समझौता संभव नहीं होगा।

भारत ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने खनिज संसाधनों को अमेरिका के लिए पूर्ण पहुंच देने के लिए तैयार नहीं है, जैसा कि इंडोनेशिया ने अपने तांबे के भंडारों के मामले में किया था। इसके अलावा, भारत अमेरिका से पहले से लागू कुछ टैरिफ और ड्यूटी को भी हटाने की मांग कर रहा है।

इंडोनेशिया-अमेरिका व्यापार समझौते के लाभ

अमेरिका के लिए यह व्यापार समझौता बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है। इस समझौते से अमेरिका को इंडोनेशिया के 280 मिलियन की आबादी वाले बाजार में बिना किसी टैरिफ या गैर-टैरिफ बाधाओं के प्रवेश मिलेगा। अमेरिकी उत्पाद, जैसे ऊर्जा, कृषि उत्पाद, और विमान, अब इंडोनेशिया में बिना किसी शुल्क के निर्यात किए जा सकेंगे।

इसके अलावा, इंडोनेशिया ने अमेरिका से 15 बिलियन डॉलर की ऊर्जा खरीद, 4.5 बिलियन डॉलर के कृषि उत्पाद, और 50 बोइंग विमान खरीदने का वादा किया है। यह समझौता अमेरिका के लिए हर लिहाज से फायदेमंद है, और इससे व्यापारिक संबंधों में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी हो सकती है।

व्यापार में वृद्धि और नए व्यापारिक अवसर

2024 में अमेरिका और इंडोनेशिया के बीच कुल व्यापार करीब 40 अरब डॉलर था। जबकि इंडोनेशिया अमेरिका के शीर्ष 15 व्यापारिक साझेदारों में शामिल नहीं था, दोनों देशों के बीच व्यापार में लगातार वृद्धि हो रही है। पिछले साल, अमेरिका से इंडोनेशिया को निर्यात में 3.7% की बढ़ोतरी हुई, जबकि वहां से आयात में 4.8% की वृद्धि दर्ज की गई।

इस समझौते से अमेरिका का इंडोनेशिया के साथ वस्तुओं का व्यापार घाटा भी कम हो सकता है, जो पिछले वर्ष 18 अरब डॉलर था। अब यह संभावना बन रही है कि अमेरिका और इंडोनेशिया के बीच व्यापारिक संबंध और मजबूत होंगे।

भारत-अमेरिका व्यापार समझौता: क्या हो सकता है भविष्य?

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते के बारे में कई पहलू अभी भी चर्चा में हैं। दोनों देशों के बीच अब तक जो भी बातचीत हुई है, उसमें कृषि और डेयरी उत्पादों रहा है। भारत अपनी कृषि नीति और डेयरी उद्योग को सुरक्षित रखने के लिए कुछ समझौतों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।

वहीं, अमेरिका ने अपनी व्यापारिक पहुंच बढ़ाने के लिए भारत से कृषि उत्पादों और तकनीकी वस्तुओं के आयात की मांग की है। हालांकि, भारत के सामने अपनी स्वदेशी अर्थव्यवस्था और कृषि उत्पादों को खतरे में डालने का सवाल है।

अमेरिका और इंडोनेशिया के बीच टैरिफ समझौता ने दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में एक नई दिशा दी है, लेकिन भारत और अमेरिका के बीच यह प्रक्रिया अभी लंबी और कठिन है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल तब ही समझौता करेगा जब यह दोनों देशों के हित में होगा।

भारत और अमेरिका के बीच कोई व्यापार समझौता एक सकारात्मक कदम साबित हो सकता है, यदि इसमें भारत के हितों का उचित ध्यान रखा जाए। भारत का ध्यान अब अपने कृषि और खनिज संसाधनों की रक्षा करने पर है, और वह किसी भी समझौते से पहले इस बात को सुनिश्चित करना चाहता है कि यह समझौता दोनों देशों के दीर्घकालिक लाभ में होगा।

Read this article in

KKN लाइव WhatsApp पर भी उपलब्ध है, खबरों की खबर के लिए यहां क्लिक करके आप हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं।

KKN Public Correspondent Initiative


Discover more from KKN Live

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

NO COMMENTS

Leave a ReplyCancel reply

Exit mobile version