सामाजिक कार्यकर्ता Manoj Jarange ने मराठा आरक्षण आंदोलन को और कड़ा कर दिया है। रविवार को उन्होंने घोषणा की कि सोमवार से वह पानी पीना भी छोड़ देंगे। यह फैसला उनके अनिश्चितकालीन अनशन का चौथा दिन है। उन्होंने कहा कि अगर Devendra Fadnavis Government गोलियां भी चलवा दे तो वह पीछे नहीं हटेंगे।
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OBC Quota Demand पर अड़े जरांगे
जरांगे की मांग है कि मराठा समुदाय को OBC Quota Demand के तहत शामिल किया जाए। उनका कहना है कि सरकार के पास 58 लाख से अधिक ऐसे रिकॉर्ड मौजूद हैं, जो मराठों और कुनबियों का संबंध साबित करते हैं। वह चाहते हैं कि इन रिकॉर्ड्स के आधार पर सरकार तुरंत आदेश जारी करे।
गोली खाने तक का इरादा
अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए जरांगे ने कहा, “फडणवीस सरकार चाहे गोलियां चलाए, हम तैयार हैं। जब तक आरक्षण नहीं मिलता, हम आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह किसी भी कीमत पर आजाद मैदान छोड़ने वाले नहीं हैं।
Azad Maidan Protest Mumbai में भारी भीड़
पिछले चार दिनों से मुंबई के Azad Maidan Protest Mumbai में हजारों लोग एकत्रित हो रहे हैं। मराठा समुदाय से जुड़े लोग दूर-दराज़ इलाकों से भी आंदोलन में शामिल होने पहुंचे। पुलिस ने चेतावनी जारी की कि सोमवार को दक्षिण मुंबई की सड़कों पर यातायात धीमा रह सकता है।
सरकार का रुख और कानूनी सलाह
महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि वह मराठों को कुनबी दर्जा देने वाले हैदराबाद गजेटियर को लागू करने पर कानूनी राय लेगी। कैबिनेट उप-समिति के प्रमुख मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने बताया कि एडवोकेट जनरल बीरेन सराफ और हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज संदीप शिंदे इस पर अध्ययन करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सरकार ने यह भी याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट पहले कह चुका है कि मराठा और कुनबी एक नहीं हैं। ऐसे में किसी भी निर्णय से पहले कानूनी स्थिति साफ करना जरूरी है। हालांकि, जरांगे का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बावजूद दस्तावेजों के आधार पर आरक्षण देने से कोई नहीं रोक सकता।
राजनीतिक हलचल और विपक्ष की प्रतिक्रिया
रविवार को आंदोलन स्थल पर उस वक्त तनाव बढ़ गया जब प्रदर्शनकारियों ने NCP (शरद पवार गुट) की सांसद सुप्रिया सुले की कार रोक ली और नारे लगाए। सुले ने धरना स्थल पर जरांगे से मुलाकात की और बाद में राज्य सरकार से विशेष सत्र बुलाने की मांग की। उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण मुद्दे को लेकर सभी दलों को साथ बैठना चाहिए।
व्यापारियों की चिंता
मराठा आंदोलन से दक्षिण मुंबई में कारोबार प्रभावित हो रहा है। Federation of Retail Traders Welfare Association ने कहा कि आजाद मैदान में भारी भीड़ के कारण बाजारों में ग्राहकों की संख्या घटी है। अध्यक्ष वीरेन शाह ने कहा, “मुंबई जैसे बंधक बना दी गई है।” व्यापारियों ने हाई कोर्ट या सरकार से दखल देने की अपील की।
मीडिया कवरेज पर विवाद
इस बीच टीवी पत्रकार संघ ने शिकायत की है कि आंदोलन के दौरान कुछ समर्थकों ने महिला पत्रकारों से दुर्व्यवहार किया। संगठन ने चेतावनी दी कि अगर ऐसी घटनाएं जारी रहीं तो मीडिया आंदोलन का बहिष्कार करेगा।
जरांगे का संदेश
जरांगे ने अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ मेरा आंदोलन नहीं, पूरे मराठा समाज की लड़ाई है।” उन्होंने दोहराया कि जब तक मराठों को OBC में 10% आरक्षण नहीं मिलता, आंदोलन जारी रहेगा।
आरक्षण विवाद की पृष्ठभूमि
मराठा आरक्षण की मांग कई दशकों से जारी है। पिछली बार जब सरकार ने आरक्षण देने की कोशिश की थी, तो अदालत ने इसे रद्द कर दिया था। अदालत ने कहा था कि आरक्षण की सीमा 50% से अधिक नहीं हो सकती। यही कारण है कि मराठा समुदाय को OBC में शामिल करने की मांग तेज हो रही है।
महाराष्ट्र की राजनीति पर असर
यह आंदोलन ऐसे समय हो रहा है जब राज्य में नगर निगम चुनाव करीब हैं। विश्लेषकों का मानना है कि जरांगे का आंदोलन सीधे-सीधे राजनीतिक समीकरण बदल सकता है। विपक्ष पहले ही सरकार को घेर रहा है और सत्ता पक्ष पर दबाव बढ़ रहा है।
Maratha Reservation Protest अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। जरांगे का पानी छोड़ना और गोलियां खाने तक तैयार रहना आंदोलन की गंभीरता को दिखाता है। सरकार कानूनी सलाह ले रही है लेकिन जनता और व्यापार जगत पर असर साफ दिख रहा है। आने वाले दिनों में यह आंदोलन महाराष्ट्र की राजनीति और समाज दोनों पर गहरा असर डाल सकता है।
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