सूचनाएं भ्रामक हो तो गुमराह होना लाजमी हो जाता है। सोशल मीडिया के इस जमाने में जाने अनजाने हम सभी अक्सर इसके शिकार होते रहतें है। आज के समय में झूठी खबरों का नेटवर्क इतना बड़ा हो गया है कि हम पहचान नहीं पाते हैं कि कौन सी खबर झूठी है और कौन सही? कुछ झूठी खबरें ऐसी होती हैं जो, समाज में किसी विशेष समुदाय के प्रति नफरत फैलाती हैं। कभी-कभी तो इनके कारण कई स्थानों पर दंगे, झगड़े, मारपीट और हत्या तक हो जाती है। मॉब लिंचिंग या समाजिक तनाव, आम हो गया है। ऐसे में यह जान लेना बहुत जरूरी हो गया है कि हम इन झूठी खबरों को कैसे पहचाने? कैसे पहचाने कि फेक न्यूज क्या है?
KKN न्यूज ब्यूरो। इंटरनेट मानव जाति के लिए जितना महत्वपूर्ण है उतना ही खतरनाक भी है। अगर इसका सही इस्तेमाल किया जाए तो यह आपको समृद्ध बना सकता है। लेकिन, इसका गलत इस्तेमाल हुआ तो गुमराह होना तय है। आज की दौर में स्मार्टफोन और लैपटॉप मानव जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है। इन डिवाइस की मदद से यूजर अपने खूबसूरत पलों को कैद कर सकता है। एक दूसरे से साझा भी कर सकता है। जानकारी शेयर करना आज बहुत ही आसान हो गया है। इन्हीं डिवाइसो की मदद से अपना बिजनेस या कारोबार को भी बढ़ाया जा सकता है। इनका इस्तेमाल जितना आसान है। उतना ही आसान है, इन्हीं डिवाइसो की मदद से फेक न्यूज या भ्रामक जानकारी को फैलाना। इससे देश और समाज का माहौल खराब करना भी आसान हो गया है। लोगो के दिलो में नफरत या घृणा भर देना। घर बैठे दंगा फैला देना, आज बहुत आसान हो गया है। अक्सर राजनीतिक स्वार्थ और घृणा फैलाने के लिए फेक न्यूज का सहारा लिया जाता है। यह तेजी से फैलता है।
इंटरनेट पर कई ट्रिक्स उपलब्ध है। जिसकी मदद से आप चाहे तो खुद ही फैक्ट चेक कर सकते हैं। आप पता लगा सकते है कि जो खबर, फोटो या वीडियो आपके सामने पड़ोसी गई है। दरअसल, वह सच है या झूठ? आपके पास कोई खबर किसी तस्वीर के साथ आती है। तो, सबसे पहले उस तस्वीर को ध्यान से देखें। क्योंकि, फेक न्यूज में इस्तेमाल की गई तस्वीर फोटोशॉप हो सकता है। यह फोटो कई बार असली की तरह या उससे भी अच्छा दिखता है। पर, यदि वह तस्वीर सनसेशन फैला रही हो, तो आप गूगल के रिवर्स सर्च इमेज में जाकर उस तस्वीर की सच्चाई का पता लगा सकते है। रिवर्स सर्च के माध्यम से उस तस्वीर की सच्चाई सामने आ जायेगी। कई बार फेक न्यूज की पुष्टि के लिए पुराना तस्वीर लगा दिया जाता है। ऐसा भी सम्भव है कि वह तस्वीर किसी दूसरे देश या दूसरे परिस्थिति की हो। फोटोशॉप से तस्वीर के साथ छेड़छाड़ करना आज की दौर में बहुत ही आसान हो गया है। यह इतना बारीक होता है कि आसानी से इसको समझना मुश्किल हो जाता है। ऐसी तस्वीर को अक्सर लोग सच मान कर गुमराह हो जातें हैं।
फेक न्यूज को बड़ी चालाकी से परोसा जाता है। सरसरी तौर पर फेक न्यूज में पत्रकारिता के सभी मापदंड पढ़ने को मिल जाता है। इसको इतनी चालाकी से लिखा जाता है कि कई बार मान्यता प्राप्त पत्रकार भी धोखा खा जाये। समझने की बात ये है कि दंगे वाली खबर में पीड़ित की पहचान को उजागर नही किया जाता है। क्योंकि, इससे दंगा के और भड़कने का खतरा रहता है। इसी प्रकार यौन उत्प्रीड़न की शिकार हुई महिला की पहचान को उजागर नहीं किया जाता है। यह एक गाइडलाइन है और मान्यता प्राप्त मीडिया संस्थान या न्यूज पोर्टल इसका पालन करतें हैं। दूसरी ओर आप गौर से देखें तो फेक न्यूज फैलाने वाले सबसे पहले पीड़ित की पहचान को ही उजागर कर देता है। क्योंकि, उनका मकसद समाज में तनाव फैलाना होता है। फेक न्यूज को पहचानने की यह सबसे प्रबल कारणो में से एक है। इन दिनो फेक न्यूज के लिए अखबार के कतरन का सहारा लेने का प्रचलन काफी बढ़ गया है। अखबार का कतरन देख कर लोग आसानी से फेक न्यूज पर यकीन कर लेते है। यहां गौर करने वाली बात ये है कि ऐसा कतरन अक्सर दूसरे प्रदेश का होता है या बहुत पुराना होता है। ताकि, आसानी से उसके सच होने पर यकीन कर लिया जाये।
जिस अखबार का कतरन आपके सामने आया है। आप उसी अखबार के वेबसाइट पर जाकर स्वयं सच्चाई का पता लगा सकते है। ज्यादेतर मामले में आप पायेंगे कि मूल अखबार में वह खबर है ही नहीं। यानी कतरन के साथ छेड़छाड़ हुआ है। दरअसल, आज कई प्रकार के डिजाइन सॉफ्टवेयर या एप्लिकेशन इंटरनेट पर उपलब्ध है। इसकी मदद से कुछ लोग अखबार का नकल करके, ठीक उसी डिजाइन में अपने एजेंडा को खबर बना कर प्लांट कर देते है। इसको विभिन्न सोशल साइट के माध्यम से फैला दिया जाता है। इसका असर होता है और लोग आसानी से गुमराह हो जाते है। इससे बचने के लिए सबसे आसान तरिका है कि आप उसी अखबार के वेबसाइट पर जाकर खुद ही सच का पता लगा सकते है।
फेक न्यूज की पहचान के लिए आप यू.आर.एल की मदद ले सकते है। मान्यता प्राप्त यू.आर.एल से खबर आई है तो इसको समझा जा सकता है। पर, मिलता-जुलता यू.आर.एल से आने वाली खबरें अक्सर भ्रामक होती है। ऐसा कई वेबसाइट है, जो मूल वेबसाइट के यू.आर.एल में मामूली बदलाव करके फेक न्यूज का सोर्स मुहैय्या करा रही है। यानी खबरो की सोर्स की पड़ताल कर लेना चाहिए। किसी खबर के असली या नकली होने का सबसे बड़ा पहचान उसका सोर्स होता है। लिहाजा, सोर्स की जांच कर लेना चाहिए। सोर्स की जांच के लिए आप उसी वेबसाइट की अबाउट सेक्सन में जाकर देख सकते है। यदि सोर्स मौजूद नहीं है या अनाम एक्सपर्ट के हवाले से खबर दी गई है, तो इसके फेक होने की प्रबल संभावना है। ऐसी खबरो पर यकीन करना घातक हो सकता है।
गौर से देखिए तो ऐसे वेबसाइट पर उपलब्ध खबरो का हेडलाइन बहुत ही आकर्षक होता है। ऐसी हेडिंग पर यकीन करने की जगह आप गूगल के जरिए सही जानकारी हासिल कर सकतें हैं। इससे फर्जी खबर की पहचान करना आसान हो जायेगा। कोई भी सम्मानित मीडिया संस्थान ऐसा लेआउट इस्तेमाल नहीं करता है। आजकल इंटरनेट पर नकली समाचार वेबसाइट की भरमार हो गई है। ऐसी वेबसाइट अक्सर झूठी और भ्रामक खबरें प्रकाशित करती है। छोटी-छोटी बातों को इतना बढ़ा चढ़ाकर बताया जाता हैं कि लोगो के मन में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होना स्वभाविक है। ऐसे लोग अनावश्यक रूप से किसी की बहुत ज्यादा तारीफ कर देतें हैं या फिर किसी के बारे में अत्यधिक अपमानजनक लेख प्रकाशित कर देते है। इनका मकसद एजेंडा पड़ोसना होता है। ऐसे लोगो से सावधान रहने की जरुरत है। मेन स्ट्रीम मीडिया इस मामले में आज भी अधिक भरोसेमंद है।
वर्तमान में फेक न्यूज का सबसे बड़ा या पसंदीदा प्लेटफार्म व्हाट्सएप या फेसबुक बन गया है। व्हाट्सएप के माध्यम से सबसे ज्यादा झूठी खबरें फैलाई जाती हैं। अखबार का कतरन, वीडियो लींक या पीडीएफ फॉर्मेट में व्हाट्सएप पर खबरो की भरमार लगी रहती है। बड़ा सवाल ये कि इसमें कौन खबर सच है और कौन झूठ? पहचान पाना मुश्किल हो जाता है। दरअसल, व्हाट्सएप एक ऐसा प्लेटफार्म है, जो अपने यूजर की मुश्किलो को आसान बनाने के लिए फैक्ट चेक करता है। इसके लिए व्हाट्सएप ने कई नंबर जारी किया हुआ है। इसमें से कोई भी एक नंबर आप अपने स्मार्ट फोन के कॉन्टेक्ट लिस्ट में शामिल कर लें। इसके बाद व्हाट्सएप टेकप्वाइंट टिपलाइन के इस नंबर पर आप उस लिंक, वीडियो या फोटो को सेंड कर दीजिए। मैसेज सेंड करने के बाद व्हाट्सएप चेकप्वाइंट की ओर से आपको एक मैसेज आएगा। आपसे कंफर्म करने के लिए कहा जाएगा। कंफर्मेशन मिलते ही व्हाट्सएप उस न्यूज की सत्यता की जांच करके आपको बता देगा। इस प्रक्रिया को पूरा करके आप व्हाट्सऐप पर फेक न्यूज और रियल न्यूज की आसानी से पहचान कर सकते हैं।
इन्फॉर्मेशन टेक्नलॉजी, मौजूदा समय में वार फेयर का हिस्सा बन चुकी है। सोशल मीडिया इसका सबसे बड़ा हथियार है। हमारे पड़ोसी चीन और पाकिस्तान में बैठे, कई हैंडलर दिन रात इसी काम में लगे हुए है। सोशल मीडिया के माध्यम से भारत में समाजिक और धार्मिक उन्माद फैलाना चाहतें हैं। ताकि, भारत में गृहयुद्ध की स्थिति बन जाये। इसके लिए एक बड़ी साजिश के तहत भ्रामक और तथ्यहीन जानकारी को भारत में फैलाया जाता है। अनजाने में ही सही। पर, इस कार्य में हममें से कई लोग उन्हीं की मदद कर रहें है। बिना सोचे समझे तथ्यहीन मैसेज को फॉरवार्ड करके दुश्मन के मंसूबे को आकार देने में हम उनकी मदद कर देते है। भ्रमक सूचनाओं को सच मान कर हम आपस में लड़ते है और मौका मिलते ही वही दुश्मन हम सभी को अपना गुलाम बनाने की साजिश रचता है। समय आ गया है, सच को पहचानिए और गुमराह होने से बचिए।
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