KKN Special

भारत के लिए चीन की खतरनाक साजिश

गैर परंपरागत तरीके से भारत को कमजोर करना चाहता है चीन

KKN न्यूज ब्यूरो। धूल उड़ाती टैंक और आसमान में गर्जना करती फाइटर जेट। संगीन के साये में एक-एक इंच जमीन और अस्मिता की रक्षा के लिए गुथ्थम-गुथ्था करते हमारे जांबाज। जो, अपनी आहूति देने के लिए हरपल तैयार खड़े है। दरअसल, यह दृश्य है भारत-चीन सीमा की। सिपाही आर-पार के मूड में है। सियासतदान नफा-नुकसान तलाश रहे है। बार्ता बार-बार विफल हो रही है। सीमा पर बढ़ता तनाव खतरे का संकेत देने लगा है। ऐसे में सवाल उठता है कि युद्ध होगा क्या? आखिर ऐसा क्या हुआ कि चीन अचानक बिलबिला उठा? ऐसे और भी कई सवाल है और इसी सवाल का जवाब तलाशने की हमने कोशिश की है।

अनुच्छेद 370 से जुड़ा है चीन की बिलबिलाहट

दरअसल, जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद से ही चीन बिलबिलाया हुआ है। क्योंकि, अनुच्छेद 370 के हटते ही चीन के कब्जे वाला अक्साई चीन का इलाका पर अब भारत का दावा प्रवल हो गया है। कहते है कि अक्साई चीन यदि चीन के हाथो से निकल गया तो शीनजियांग में उईगर मुसलमानो को काबू में रखना चीन के लिए कठिन हो जायेगा। दूसरा ये कि यदि भारत ने पीओके पर कब्जा कर लिया तो चीन के  सीपीईसी प्रोजेक्ट को अरबो का नुकसान हो सकता है। इससे बचने के लिए चीन की सेना भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाए रखना चाहती है और गलवान की घटना को इस कड़ी से जोड़ कर देखा जाने लगा है। दुसरा बड़ा कारण कोरोना है। कोरोना वायरस को लेकर चीन इन दिनो दुनिया के निशाने पर है। इसका असर चीन के घरेलू राजनीति पर भी है। सत्ता पर शीजिंगपिंग की पकड़ कमजोर पड़ने लगी है। लिहाजा, एक रणनीति के तहत अपनी घरेलू राजनीति के दबाव से उबरने के लिए जान बूझ कर चीन ने सीमा पर तनाव पैदा करके लोगो का ध्यान बाटना चाह रही हैं।

भारत की सीमा सड़क परियोजना

भारत की सीमा सड़क परियोजना चीन के गले की हड्डी बन गई है। आजादी के सात दशक बाद पहली बार सीमा पर भारत की जबरदस्त सक्रियाता से चीन सकते में है। लिहाजा, इसको चीन के नाराजगी की सबसे बड़ा और शायद असली कारण बताया जा रहा है। दरअसल, भारत सरकार ने सीमा पर सामरिक महत्व के 73 सड़को के निर्माण का कर्य आरंभ कर दिया है।

 

इससे चीन की विस्तारवादी नीति को भारत के सीमा पर करारा तमाचा लगा है। दरअसल, यही वह बड़ी वजह है कि जिसकी वजह से चीन बिलबिला उठा है। इस बीच चीन से चल रही तानातानी के बीच में ही केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग यानी CPWD और सीमा सड़क संगठन यानी BRO के साथ बैठक करके सीमा पर सामरिक महत्व के 32 सड़को के निर्माण को मंजूरी दे दी है। इसी के साथ चीन की सीमा से सटे इलाको में सामरिक महत्व के 73 सड़को के निर्माण का काम शुरू हो चुका है। इनमें से 12 सड़कों का निर्माण CPWD और 61 सड़कों का निर्माण BRO कर रहा है। चीन के बौखलाहट की यह सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। यहां आपको बता देना जरुरी है कि सीमा पर बनने वाली सभी सड़को की देख-रेख का ज़िम्मा केन्द्रीय गृह मंत्रालय करती है। यानी गृह मंत्रालय के अनुमोदन और प्रर्यवेक्षण में ही सीमा पर सड़क बनाया जाता है। जानकारी के मुताबिक इसमें से कई पर काम फाइनल स्टेज में है। बताया जा रहा हैं कि इन सड़को के बन जाने से सैनिक उपकरण के साथ भारतीय सेना की सीमा तक पहुंच आसान हो जायेगी। लिहाजा, चीन इन तमाम सड़को के निर्माण कार्य को लेकर बेवजह  का अडंगा खड़ा कर रहा है और इन्हीं कारणो से चीन बौखलाया हुआ है। क्योंकि, चीन को अच्छे से मालुम है कि इन सड़को के बन जाने के बाद उसकी विस्तारवादी नीति को भारत की सीमा पर लागू करना मुश्किल हो जायेगा। यहां आपको जान लेना जरुरी है कि चीन अपने इलाके में सीमा से सटे सड़क का पहले ही निर्माण कर चुका है। यही काम अब भारत कर रहा है। तो चीन बौखला गया है। सड़क निर्माण के इस प्रोजेकट में लद्दाख वैली में बनाए जाने वाले सामरिक महत्व के सड़क भी शामिल हैं। इतना ही नहीं बल्कि, सड़कों के अलावा इन सीमावर्ती इलाको में सरकार ने ऊर्जा, स्वास्थ्य और शिक्षा के विकास के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने का काम भी शुरू कर दिया है।

470 किलोमीटर लम्बी सड़क तैयार

भारत- चीन सीमा पर सड़कों के निर्माण के लिए पत्थर हटाने का काम वर्ष 2017 में ही शुरू हो चुका था। इस बीच करीब 470 किलोमीटर में काम भी पूरा हो चुका है। इसी प्रकार 380 किलोमीटर में सड़क के लिए जमीन को समतल करने का काम पूरा हो चुका है। वर्ष 2017 से पहले के एक दशक में 170 किलोमीटर में चल रहे सड़क निर्माण कार्य में भी अब तेजी आ गई है। सीमा की छोटी बड़़ी सभी सड़को को मिला कर देखा जाए तो वर्ष 2014 के बाद सीमा पर 4 हजार 764 छोटी बड़ी सड़कों का निर्माण हुआ है। हालांकि, यहां पहले से भी 3 हजार 160 किलोमीटर की सड़के मौजूद थीं। दरअसल, यही वह कारण है, जिससे चीन बौखला गया है।

टनल और बजट से घबराया चीन

टनल निर्माण की बात करें तो वर्ष 2014 से लेकर अभी तक सीमा पर आधा दर्जन टनल का निर्माण हो चुका है। इससे पहले यहां मात्र एक टनल हुआ करता था। केन्द्र की सरकार ने सड़क प्रोजेक्ट के बजट में जबरदस्त इज़ाफा किया है। अब इस पर भी गौर करिए। साल 2008 से लेकर साल 2016 तक सीमा पर सड़क निर्माण हेतु अनुमानित बजट 4 हजार 600 करोड़ रुपये हुआ करता था। जबकि वर्ष 2018 में इसको बढ़ा कर 5 हजार 450 करोड़ कर दिया गया। वर्ष 2019 में इसको बढ़ा कर 6 हजार 700 करोड़ और वर्ष 2020-2021 के लिए इसको बढ़ा कर 11 हजार 800 करोड़ रूपए कर दिया गया है। जानकार मानते है कि इन सड़को के बन जाने के बाद सीमा पर चीन के चालबाजी को काउंटर करने में भारत सक्षम हो जायेगा और यही बात अब चीन को चूभने लगा है।

अनिश्चितता की भंवर में फंसा सीपीईसी

जानकार मानते है कि चीन के बौखलाहट का बड़ा कारण सीपीईसी यानी चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर है। दरअसल, यह प्रोजेक्ट चीन की महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट है। यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन जैसे विवादित इलाको से होकर गुजरता है। भारत इस प्रोजेक्ट का शुरू से ही विरोध करता रहा है। किंतु, चीन ने भारत के विरोध को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया। इस बीच जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पीओके और अक्साई चीन पर भारत का दावा प्रवल हो गया और यही बात अब चीन को चूभने लगा है। क्योंकि सीपीईसी का पूरा गलियारा पाक अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन से होकर गुजरता है। यह पूरा प्रोजेक्ट मुख्य तौर पर यह एक हाइवे और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है और यह चीन के काशगर को पाकिस्तान के ग्वारदर से जोड़ता है। आपको बतादें कि चीन के इस महत्वाकांक्षी सीपीईसी प्रोजेक्ट की कुल लागत 46 अरब डॉलर यानी करीब 31 लाख करोड़ रुपए की है। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद पीओके और अक्साई चीन पर कानूनी तौर पर भारत का दावा प्रवल हो गया है। यदि भारत ने पीओके पर कब्जा कर लिया तो चीन के इस महत्वाकांक्षी सीपीईसी प्रोजेक्ट को 31 लाख करोड़ रुपये का भारी  नुकसान हो जायेगा। नतीजा, इससे बचने के लिए चीन की सरकार ने भारत को कमजोर करने के लिए भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाना शुरू कर दिया है और गलवान का विवाद इसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है। हालिया वर्षो में भारतीय सेना ने आक्रामक रूख अख्तियार कर लिया है। इसको देख कर चीन हैरान है। डोकलाम से लेकर गलवान तक। भारतीय फौज के आक्रामक रूख को देख चीन हैरान है।

चीन कर सकता है जैविक हमला

तानातानी के बीच चीन के साथ कॉनवेंसनल वार या एटोमिक वार होने की सम्भावना बहुत ही कम है। पर, हो सकता है कि लिमिट वार हो जाये। इसके लिए भारतीय सेना मुस्तैद है और चीन को मुहकी खानी पड़ेगी। इसमें कोई दो राय नहीं है। पर, चीन के वायोलॉजिकल वेपन से खतरा हो सकता है। क्योंकि, चीन के पास प्रयाप्त वायोलॉजिकल वेपन है और उस पर यकीन करना आत्मघाती हो सकता है। एक खतरा और है। और वह है साइवर अटैक का। दरअसल, कई मोर्चे पर मुंहगी खाने के बाद चीन ने बड़े पैमाने पर साइवर अटैक करने की योजना बना ली है और कुछ क्षेत्रो में यह हमला शुरू भी हो चुका है। आने वाले दिनो में इसमें और तेजी आने के पूरे आसार है। सीमा पर हालात युद्ध के जैसा है। पर मुझे लगता है कि युद्ध नहीं होगा। अलबत्ता एक दो रोज की झड़प हो जाये या कोई लिमिट वार हो जाये। पर, युद्ध नहीं होगा। क्योंकि, भारत से पांच अरब डॉलर से अधिक का कारोबार करने वाला चीन युद्ध का जोखिम नहीं उठा सकता है। यानी युद्ध की सम्भवना बहुत कम है। अब एक हकीकत और समझिए। दरअसल, चीन ने पिछले 16 वर्षों में भारत में जितना निवेश किया है। उसका 77 फीसदी निवेश पिछले पांच वर्षो में हुआ है। चीन ने अपने कुल निवेश का करीब 59 फीसदी हिस्सा अकेले मोटर और वाहन उद्योग में किया है। इसी प्रकार 11 फीसदी धातु उद्योग में और 7 फीसदी सर्विस सेक्टर में निवेश किया है। मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया को सफल बनाने के लिए आयात को महंगा कर दिया है। सरकार ने मोबाइल कंपोनेंट पर 30 फीसदी और तैयार मोबाइल पर 10 फीसदी आयात शुल्क लगा दिया है। इसके बाद चीनी की कई कंपनिया भारत में यूनिट लगा चुकी है। इसके अतिरिक्त चीन में उत्पादन लागत की तुलना में भारत का बाजार सस्ता होने की वजह से बड़ी संख्या में चीन के उद्योगपति अब भारत में निवेश करने लगे हैं। ऐसे हालात में चीन द्वारा भारत से युद्ध की बात करना, कपोल कल्पना नहीं, तो और क्या है? दूसरी बड़ी वजह ये कि चीन अभी दक्षिण चीन सागर में अमेरिका से उलझा हुआ है। चीन को अपने कई पड़ोसी देशों से सीमा विवाद है और हालात तनावपूर्ण बना हुआ है। ऐसे में भारत के साथ युद्ध की हालत में अपनी पूरी सैन्य क्षमता झोकना चीन के लिए मुश्किल हो जायेगा। एक बात और है। वह ये कि कोरोनाकाल में चीन के राष्ट्रपति शीजिनपिंग की छवि को बड़ा झटका लगा है। चीन पर दुनिया का विश्वास पहले से कम हुआ है। ऐसे में युद्ध हो गया तो पूरे विश्व में चीन की छवि धूमिल हो जायेगी। ऐसे में एशिया और अफ्रीका के कई देशों में आर्थिक साझेदारी करना चीन को मुश्किल हो जाएगा। यानी कुल मिला कर कहा जा सकता है कि बर्चश्व की धौसपट्टी चाहे जितना लम्बा हो जाये। पर, युद्ध के आसार बहुत ही कम है।

युद्ध होने पर कमजोर पड़ेगा चीन

हालात के दूसरे पहलू पर भी विचार कर लेते है। यानी, यदि युद्ध हो गया, तो क्या होगा? तुलनात्मक तौर पर भारत की सेना चीन के समक्ष भले ही कमजोर दिखता है। परंतु, वास्तविक स्थिति ऐसी नहीं है। चीनी की सेना 1969 में वियतनाम युद्ध हारने के बाद किसी युद्ध में भाग नहीं लिया है। जबकि भारतीय सेना हिमालय की सरहदों में लगातार संघर्ष करती रही है। दूसरा ये कि चीन से सटी बॉर्डर की भौगोलिक स्थिति भारत के पक्ष में है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि युद्ध होने पर चीन के विमानों को तिब्बत के ऊंचे पठार से उड़ान भरनी होगी। वहां ऑक्सिजन की बेहद कमी है। ऐसे में चीन के विमानों को फूललेंथ विस्फोटक और ईंधन के साथ उड़ान भरना मुश्किल होगा। सेटेलाइट से प्राप्त तस्वीरो से पता चला है कि युद्ध की स्थिति में चीन ने अपने जे-11 और जे-10 विमान को चोंगडू से उड़ान भरने के लिए तैयार कर दिया है। पर इसको क्षमता से कम विस्फोटक लेकर उड़ान भरना होगा। क्योंकि, वहां ऑक्सिजन की बेहद कमी है। जबकि, भारत ने असम के तेजपुर में सुखोई 30 को अग्रीम मोर्चा पर तैनात कर दिया है। अत्याधुनिक राफेल भारत को प्राप्त हो चुका है। युद्ध की स्थिति में विमान यहां से फूललेंथ के साथ उड़ान भर सकता है। बेशक, चीन के पास भारत से अधिक लड़ाकू विमान हैं। लेकिन भारत के सुखोई 30 एमआई का चीन के पास कोई तोड़ नहीं है। चीन के पास सुखोई 30 एमकेएम है। अब इस दोनो का फर्क समझिए। भारत के पास मौजूद एमआई एक साथ 30 निशाना लगा सकता है। जबकि, चीन के पास मौजूद एमकेएम एक साथ सिर्फ दो निशाना ही लगा सकता है। यानी भारत की सेना उतना कमजोर नहीं है। जितना की हमे बताया जा रहा है। यदि बड़े पैमाने पर युद्ध हो गया तब क्या होगा? ऐसे में मिशइल टेक्नोलॉजी पर गौर करना होगा। भारत ने ब्रह्मोस मिशाइल पर भरोसा जताया है। सम्भव है कि सबसे पहले इसका इस्तेमाल हो जाये। यह 952 मीटर प्रति सेकेण्ड की रफ्तार से चल कर चीन के रडारों को चकमा देने और सटीक निशाना लगाने में पूरी तरीके से सक्षम है। ब्रह्मोस का उत्पादन भारत में ही होता है। यानी युद्ध के दौरान इसके सप्लाई में कोई अरचन नहीं होगी। दूसरी ओर चीन के पास मौजूद बैलेस्टिक मिसाइल DF-11, DF-15 और  DF-21 बेहद ही शक्तिशाली मिशाइल है। फिलहाल भारत के पास इसका कोई तोड़ नहीं है। चीन की ये मिशाइलें भारत के किसी भी शहरों को तबाह कर सकता है। हालांकि इसके जवाब में भारत के पास मौजूद अग्नी मिशाइल बीजिंग से लेकर चीन के अधिकांश शहर को तबाह करने की क्षमता रखता है।

समुद्री क्षेत्र में तैयार है भारत

समुद्री क्षेत्र में भारत की स्थिति काफी मजबूत है। हिंद महासागर में भारतीय नौसेना ने यूरोप, मध्यपूर्व और अफ्रीका के साथ मिल कर चीन के रास्ते की नाकेबंदी करने का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है। बतातें चलें कि चीन का कारीब 87 फीसदी कच्चा तेल इसी रास्ते से होकर आयात होता है। यदि भारत की यह रणनीति कारगर साबित हुआ तो चीन को घुटने के बल पर आना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त भारत के पास स्पेशल फ्रंटियर फोर्स नाम का एक बेहद ही खतरनाक लड़ाकू दस्ता है। यह तिब्बत में घुसकर चीन की रणनीति को बिगाड़ देने की माद्दा रखता है। कुल मिला कर कहा जा सकता है कि आंकड़ों में कमजोर दिखने के बावजूद भारत की स्थिति बेहद ही मजबूत है। भारत ने एक साथ दो मोर्चा पर युद्ध लड़ने की तैयारी पूरी कर ली है। क्योंकि, यह माना जा रहा है कि यदि चीन के साथ युद्ध हुआ तो पाकिस्तान चुप नहीं बैठेगा। भारत ने इसकी सभी तैयारी पूरी कर ली है। कहतें है कि युद्ध सिर्फ हथियारों से नहीं जीता जा सकता है। बल्कि, इसके लिए बुलंद हौसला और राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरुरत होता है। गलवान की झड़प के बाद भारतीय फौज का हौसला सातवें आसमान पर है। रही बात राजनीतिक इच्छाशक्ति की, तो भारत एक  प्रजातांत्रिक देश है और प्रजातंत्र में आरोप प्रत्यारोप से ही शासन सत्ता की शक्ति प्रखर होती है। लिहाजा, इस वक्त दोनो शक्ति हमारे पास है। ऐसे में परिणाम को लेकर बेवजह चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है।

This post was published on अगस्त 7, 2020 13:24

KKN लाइव WhatsApp पर भी उपलब्ध है, खबरों की खबर के लिए यहां क्लिक करके आप हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं।

Show comments
Published by
KKN न्‍यूज ब्यूरो

Recent Posts

  • Videos

गिद्धों के विलुप्त होने की चौंकाने वाली हकीकत – क्या मानव जीवन खतरे में है?

या आप जानते हैं कि गिद्ध क्यों विलुप्त हो गए? और इसका मानव जीवन पर… Read More

दिसम्बर 18, 2024
  • Videos

1947 का बंटवारा: घोड़ागाड़ी से ट्रॉम्बोन तक की कड़वी हकीकत

भारत और पाकिस्तान के 1947 के बंटवारे में केवल जमीन ही नहीं, बल्कि घोड़ागाड़ी, बैंड-बाजा,… Read More

दिसम्बर 11, 2024
  • Videos

पर्ल हार्बर से मिडिल ईस्ट तक: इतिहास की पुनरावृत्ति या महाविनाश का संकेत?

7 दिसंबर 1941 का पर्ल हार्बर हमला केवल इतिहास का एक हिस्सा नहीं है, यह… Read More

नवम्बर 20, 2024
  • Videos

लद्दाख की अनकही दास्तां: हिमालय की गोद में छिपे राज़ और संघर्ष की रोचक दास्तान

सफेद बर्फ की चादर ओढ़े लद्दाख न केवल अपनी नैसर्गिक सुंदरता बल्कि इतिहास और संस्कृति… Read More

नवम्बर 13, 2024
  • Videos

भारत बनाम चीन: लोकतंत्र और साम्यवाद के बीच आर्थिक विकास की अनकही कहानी

आजादी के बाद भारत ने लोकतंत्र को अपनाया और चीन ने साम्यवाद का पथ चुना।… Read More

नवम्बर 6, 2024
  • Videos

मौर्य वंश के पतन की असली वजह और बृहद्रथ के अंत की मार्मिक दास्तान…

मौर्य साम्राज्य के पतन की कहानी, सम्राट अशोक के धम्म नीति से शुरू होकर सम्राट… Read More

अक्टूबर 23, 2024