पीरियड
बिहार की अधिकांश महिलाएं आज भी पीरियड के दौरान होने वाली समस्या को खामोशी से सह रही है और यह उनके बीमारी का बड़ा कारण बनता जा रहा है। यह समस्या शहर की तुलना में ग्रामीण इलाको में अब तेजी से पांच पसारने लगा है। मासिक धर्म के समय स्वच्छता को लेकर सावधानी नही बरतना ग्रामीण इलाकों में बड़ी समस्या बन गई है।
पीरियड पर खामोशी खतरनाक
गांव की महिलाओं में मासिक धर्म को लेकर कई भ्रांतियां आज भी मौजूद है और यह महिलाओं में यौन संक्रमण का रूप धारण करने लगा है। कहतें हैं कि इस अवधि में कई महिलाएं स्नान नही करती है। सेनेटरी पैड की जगह गंदे कपड़े का इस्तेमाल करती है और इसको लेकर छुआछूत जैसी बातों पर भी यकीन करती है।
जागरुकता अभियान
बिहार के मुजफ्फरपुर ऑब्स्टेट्रिक्स एण्ड गायनकोलॉजिकल सोसायटी की ओर से पिछले दो वर्षों में शहरी व अर्द्धशहरी क्षेत्र के सरकारी माध्यमिक व मध्य विद्यालयों में इस बाबत जागरूकता अभियान चलाया गया है। हालांकि, स्त्रीरोग विशेषज्ञ इस प्रयास को नाकाफी मानती हैं। डॉक्टरों के अनुसार 100 में पांच विवाहित महिलाएं माहवारी के दौरान इन्फेंक्शन का शिकार हो रही हैं। नतीजा, यूट्रस में इन्फेक्शन, तेज दर्द और गर्भपात जैसी समस्याएं महिलाओं में तेजी से फैलने लगा हैं। झिझक और अज्ञानता महिलाओं की सेहत पर भारी पड़ रहा है।
विश्व मासिक धर्म और स्वच्छता दिवस
स्त्रीरोग विशेषज्ञ मानतें हैं कि बदलाव आया है, पर अभी भी कई तरह की समस्याएं हैं। एक माह में 10 महिलाएं इन्फेक्शन से पीड़ित होकर इलाज को आती हैं। इसमें ग्रामीण क्षेत्र की गरीब महिलाओं की संख्या अधिक होती है। बांझपन की समस्या का बड़ा कारण मासिक धर्म के दौरान साफ सफाई से नहीं रहना बताया जा रहा है। हकीकत यह है कि महिलाओं के लिए मासिक धर्म कुदरत का एक बड़ा वरदान है। प्रकृति खुद महिलाओं की आंतरिक सफाई करती है। लेकिन भ्रांतियां स्थिति को गंभीर बना रही हैं।
खुद से दवा लेना खतरनाक
अध्ययन से पता चला है कि गलत खानपान, रहन सहन और खराब जीवनशैली से मासिक धर्म के दौरान तेज दर्द की समस्या हालिया दिनो में बढ़ी है। मासिक धर्म के दर्द को मेडिकल विज्ञान में एंडोमेट्रियोसिस कहते हैं। हर 10 में एक महिला जिनकी उम्र 12 से 40 वर्ष की है, वह एंडोमेट्रियोसिस से ग्रसित हैं। यह एक ऐसी समस्या है इसमें गर्भाशय के अंदर कई विकार उत्पन्न हो जाते हैं। इससे तेज दर्द होता है। अधिक दर्द हो तो अपने मन से दर्द की दवा का सेवन भी खतरनाक होता है। इससे महिलाओं में प्रजनन की क्षमता कमजोर होने का खतरा उत्पन्न हो जाता हैं। जानकार मानते है कि बांझपन का एक कारण एंडोमेट्रोसियोसिस है और इसको जागरुकता के आधार पर ठीक किया जा सकता है।
This post was last modified on मई 29, 2019 1:58 अपराह्न IST 13:58
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