KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार में नॉवेल कोरोना संक्रमण का खतरा धीरे-धीरे महामारी का रूप लेने लगा है। प्रतिदिन करीब 800 संदिग्ध लोगो का सैम्पल जांच के लिए आ रहा है। हालांकि, इसमें से मात्र 600 सैम्पल की प्रतिदिन जांच की जा रही है। दो केंद्रों पर नियमित सैम्पल की जांच हो रही थीं। अब तीसरे केंद्र पर भी सैम्पल जांच की प्रक्रिया शुरू हो चुकीं है।
बिहार में कोरोना के संक्रमण की रोकथाम और जांच की गति तेज करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने व्यापक तैयारी की है। आरएमआरआई, पटना में रोज औसतन 350 सैम्पल और आईजीआईएमएस, पटना में दो शिफ्ट में औसतन 150-180 सैम्पल की जांच हो रही है। इसके अतिरिक्त दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ट्रायल रन के पूरा होने के बाद अब 60-70 सैम्पल की जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। भविष्य की आवश्यकता को देखते हुए केंद्र सरकार से और जांच किट, पीपीई किट, एन 95 मास्क उपलब्ध कराने की मांग की गई है।
बिहार में कोरोना वायरस की जांच की गति तेज होते ही किट की किल्लत हो गई है। सूत्रों ने बताया कि शुरुआत में सभी जिलों को तीन हजार सैम्पल रखने के लिये और आरएमआरआई को 750 जांच किट उपलब्ध कराए गए थे। वहीं, 10 हजार जांच किट हाल ही में केंद्र सरकार ने फिर उपलब्ध कराए हैं। ऐसे में फिलहाल जांच किट की कमी नहीं है। किंतु जब पीएमसीएच और डीएमसीएच में भी पूरी तरह जांच प्रक्रिया शुरू हो जाएगी तो कमी अवश्य होगी।
राज्य स्वास्थ्य समिति के सूत्रों ने बताया कि कोरोना के एक सैम्पल की जांच में करीब 7 से 8 घंटे का समय लगता है। सैम्पल में जांच को लेकर आरएनए को डालने में 4 घंटे का समय लगता है, उसके बाद मशीन से उसकी जांच में 3 से 4 घंटा समय लगता है। एक मरीज का 48 घंटे के बाद पुन: सैम्पल लेकर जांच की जाती है। लगातार 2 रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उसे मुक्त घोषित किया जाता है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जांच केंद्रों की क्षमता तत्काल प्रतिदिन 900 से अधिक करने की तैयारी है। डीएमसीएच की क्षमता को 60-70 से बढ़ाकर 150-180 जल्द ही हो जाएगी। वहीं, पीएमसीएच में भी जांच की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। यहां 150 से 180 सैम्पल की जांच रोज हो सकेगी।
This post was published on अप्रैल 4, 2020 11:36
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