शिक्षक से राष्ट्रपति बने सर्वपल्ली राधाकृष्णन का आज यानी 5 सितम्बर को जन्मदिन है और देश आज के दिन को शिक्षक दिवस के रूप में याद कर रहा है। बतातें चलें कि राधाकृष्णन न सिर्फ पहले उप-राष्ट्रपति थे, बल्कि वे देश के दूसरे राष्ट्रपति भी थे। इसके अलावा डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 40 सालों तक शिक्षक के रूप में कार्य किया था।
डॉ राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही किताबें पढ़ने के शौकीन थे और स्वामी विवेकानंद से काफी प्रभावित थे। राधाकृष्णन का निधन चेन्नई में 17 अप्रैल 1975 को हुआ था। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 1954 में देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया गया। इसके अलावा ऑर्डर ऑफ मेरिट, नाइट बैचलर आदि जैसे कई अवॉर्ड्स से उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर देश भर के शिक्षकों को बधाई दी और कहा कि हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम शिक्षकों के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करें। राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ़ सर्वपल्ली राधाकष्णन एक प्रख्यात दार्शनिक और महान शिक्षक थे।
उनका जन्म-दिन प्रत्येक साल पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। हमारे देश में गुरू-शिष्य की महान परंपरा रही है, जिसके तहत गुर अपना ज्ञान अपने शिष्यों को प्रदान करते हैं और उन्हें सशक्त बनाते हैं। हालांकि, बदले माहौल में बहुत कुछ बदल चुका है और हमारी परंपराए कलंकित होने लगी है। लिहाजा, आज हमें आत्म चिंतन भी करना चाहिए। विकासवाद की दौर में सात दशक बाद हम कहां खड़ें हैं? आज इसकी समीक्षा होनी चाहिए। समीक्षा दोनो के लिए अनिवार्य है।
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