CBSE 10वीं परीक्षा: 2026 से साल में दो बार होगी सीबीएसई 10वीं बोर्ड परीक्षा, जानिए सबकुछ

CBSE 10th Exam 2025: Central Board of Secondary Education to Conduct Exams Twice a Year Starting 2026

KKN गुरुग्राम डेस्क | सीबीएसई (Central Board of Secondary Education) ने एक बड़ा ऐलान किया है। अब 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा साल में दो बार होगी। इस बदलाव को 2025-26 सत्र से लागू किया जाएगा। सीबीएसई ने इस निर्णय के बारे में एक मसौदा तैयार किया है और अब इसे लेकर सभी से सुझाव मांगे हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि इससे छात्रों पर क्या असर पड़ेगा, तो हम आपको विस्तार से बताते हैं कि यह नया सिस्टम कैसे काम करेगा।

सीबीएसई 10वीं परीक्षा साल में दो बार – क्या होगा बदलाव?

अब तक, सीबीएसई 10वीं बोर्ड परीक्षा हर साल एक बार ही होती थी, लेकिन अब इस साल से 10वीं के छात्रों को दो बार परीक्षा देने का मौका मिलेगा। 2026 में होने वाली पहली 10वीं परीक्षा 17 फरवरी से 6 मार्च तक आयोजित होगी, जबकि दूसरी परीक्षा 5 मई से 20 मई के बीच होगी। इस नई व्यवस्था के तहत, छात्रों को दो मौके मिलेंगे, ताकि वे अपनी प्रदर्शन को सुधार सकें और अगर पहली बार कम अंक आते हैं तो दूसरे मौके पर अपनी स्थिति बेहतर कर सकें।

यह नया बदलाव भारत सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत किया गया है, जो शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए कई उपायों की सिफारिश करती है। इस प्रणाली का उद्देश्य छात्रों को एक बार की परीक्षा पर निर्भर नहीं रहने देना है, बल्कि उन्हें मौका देना है कि वे दो बार अपने प्रदर्शन को जांच सकें।

सीबीएसई 10वीं परीक्षा के नए नियम: छात्रों के लिए तीन विकल्प

इस नई व्यवस्था में छात्रों को तीन विकल्प मिलेंगे:

  1. एक बार परीक्षा दें – अगर कोई छात्र केवल एक बार परीक्षा देना चाहता है, तो वह केवल पहली या दूसरी परीक्षा में से किसी एक को चुन सकता है।
  2. दोनों परीक्षाओं में शामिल हो सकते हैं – छात्र चाहें तो दोनों परीक्षाओं में हिस्सा ले सकते हैं।
  3. सिर्फ एक विषय में दूसरा मौका – यदि छात्र किसी विशेष विषय में असंतुष्ट रहते हैं और उसके अंक कम आते हैं, तो वह केवल उसी विषय की दूसरी परीक्षा दे सकता है।

इससे छात्रों को अपनी performance improvement करने का भी अवसर मिलेगा, जो पहले संभव नहीं था।

दोनों परीक्षा के अंकों का चयन कैसे होगा?

अगर कोई छात्र दोनों परीक्षाओं में हिस्सा लेता है, तो सबसे अच्छे अंक को ही final result के रूप में माना जाएगा। उदाहरण के लिए, अगर पहले परीक्षा में अच्छे अंक आते हैं, लेकिन दूसरी परीक्षा में अंक कम आते हैं, तो पहले परीक्षा के अंक ही फाइनल माने जाएंगे।

क्या सिलेबस अलग होगा?

नहीं, दोनों परीक्षाओं का सिलेबस और परीक्षा पैटर्न एक जैसा होगा। इसका मतलब है कि छात्रों को same syllabus के लिए तैयार होना होगा, चाहे वह पहली परीक्षा हो या दूसरी। इसलिए, उन्हें किसी भी परीक्षा के लिए अलग से तैयारी करने की जरूरत नहीं होगी।

क्या दोनों परीक्षाओं के बाद सप्लीमेंट्री परीक्षा का मौका मिलेगा?

नहीं, अब supplementary exams की व्यवस्था को समाप्त कर दिया जाएगा। पहले, अगर किसी छात्र को एक विषय में फेल हो जाते थे, तो वह सप्लीमेंट्री परीक्षा में हिस्सा लेकर फिर से प्रयास कर सकते थे। लेकिन अब, क्योंकि छात्रों को दो मौके मिलेंगे, इस कारण से पूरक परीक्षा की व्यवस्था खत्म कर दी गई है।

क्या दोनों परीक्षा के लिए अलग-अलग सेंटर होंगे?

नहीं, दोनों परीक्षाओं के लिए same exam center होगा। छात्रों को अपनी परीक्षा देने के लिए किसी भी नए सेंटर पर जाने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्हें वही परीक्षा केंद्र मिलेगा, जो पहले निर्धारित किया जाएगा।

क्या दोनों परीक्षा के लिए दो बार रजिस्ट्रेशन करना होगा?

नहीं, छात्रों को single registration के लिए आवेदन करना होगा। हालांकि, examination fee दो बार चुकानी होगी—पहली परीक्षा के लिए और दूसरी परीक्षा के लिए। दोनों परीक्षाओं की फीस एक साथ जमा की जाएगी।

क्या प्रयोगात्मक परीक्षाएं दो बार होंगी?

नहीं, practical exams केवल एक बार आयोजित किए जाएंगे, जैसा कि पहले होता था। ये परीक्षाएं दिसंबर और जनवरी के बीच आयोजित की जाएंगी। इंटरनल असेसमेंट और प्रयोगात्मक परीक्षाएं पहले की तरह ही पूरी की जाएंगी, और इन्हें दो बार आयोजित करने की आवश्यकता नहीं होगी।

सीबीएसई ने 9 मार्च तक फीडबैक मांगे

सीबीएसई ने इस मसौदे पर stakeholders से सुझाव देने के लिए 9 मार्च तक का समय दिया है। इसमें स्कूल प्रशासन, शिक्षक संघ, पैरेंट्स एसोसिएशन, नीति निर्माता, और कुछ चुने हुए एनजीओ शामिल हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यह नीति छात्रों के लिए फायदेमंद हो और सभी हितधारकों के विचारों को ध्यान में रखा जाए।

इस नए सिस्टम से छात्रों और अभिभावकों पर क्या असर होगा?

इस बदलाव के कारण, छात्रों को अब अधिक flexibility मिलेगी। एक ही साल में दो बार परीक्षा होने से वे बेहतर तरीके से तैयार हो पाएंगे और अगर किसी कारणवश पहली बार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं, तो उनके पास दूसरा मौका होगा। इससे छात्रों का मानसिक दबाव भी कम हो सकता है क्योंकि एक ही परीक्षा के परिणाम से उनका भविष्य निर्धारित नहीं होगा।

अभिभावकों के लिए भी यह राहत की बात हो सकती है, क्योंकि वे अब कम चिंतित होंगे कि उनके बच्चे केवल एक ही बार परीक्षा देंगे। अगर किसी कारणवश पहली बार रिजल्ट अच्छा न हो, तो अभिभावकों को दूसरे अवसर का समर्थन मिलेगा। हालांकि, कुछ अभिभावकों को यह चिंता भी हो सकती है कि दो बार परीक्षा देने से बच्चों पर अधिक दबाव ना बन जाए।

क्या इस बदलाव से शिक्षा प्रणाली में सुधार होगा?

इस बदलाव के माध्यम से शिक्षा प्रणाली में flexible learning environment स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। जहां पहले बच्चे एक ही परीक्षा पर निर्भर होते थे, अब वे दो बार परीक्षा दे सकते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा। इसके अलावा, इससे छात्रों को continuous learning का अनुभव मिलेगा, जिससे वे पूरी साल भर अपने अध्ययन पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।

यह नई प्रणाली शिक्षा के दृष्टिकोण को बदलने की दिशा में एक कदम है। पहले के मुकाबले यह प्रणाली अधिक student-friendly होगी, जिससे हर बच्चे को अपनी तैयारी और प्रदर्शन को सुधारने का अवसर मिलेगा।

आखिरकार, क्या यह बदलाव सही है?

यह बदलाव छात्रों के लिए निश्चित रूप से एक positive shift है, क्योंकि उन्हें अपनी पढ़ाई में सुधार करने के ज्यादा मौके मिलेंगे। हालांकि, इसके साथ ही इस नई व्यवस्था को लागू करने में कुछ चुनौतियाँ आ सकती हैं, जैसे कि परीक्षा की logistical management, दोनों परीक्षा के बीच उचित समय अंतराल, और बच्चों की मानसिक स्थिति को संतुलित करना।

फिर भी, यह कदम भारत की शिक्षा व्यवस्था को और अधिक inclusive और holistic बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह बदलाव लंबे समय में छात्रों के लिए और भी बेहतर परिणाम लेकर आएगा, क्योंकि वे अब एक ही अवसर पर निर्भर नहीं रहेंगे।

सीबीएसई 10वीं परीक्षा साल में दो बार होने से छात्रों को अधिक opportunities मिलेंगी। इस कदम से छात्रों को अपनी academic performance में सुधार करने का मौका मिलेगा और परीक्षा का तनाव कम होगा। यह बदलाव सीबीएसई बोर्ड परीक्षा के लिए एक नया अध्याय होगा, जो छात्रों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

हालांकि, इस व्यवस्था को लागू करते समय कुछ चुनौतियाँ जरूर होंगी, लेकिन यदि सही तरीके से लागू किया जाता है, तो यह भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार का एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है

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