क्विक कॉमर्स सेक्टर की प्रमुख कंपनी Blinkit अब अपने संचालन के स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव करने जा रही है। कंपनी ने विक्रेताओं को सूचित किया है कि वह 1 सितंबर 2025 से inventory-led model पर पूरी तरह शिफ्ट हो जाएगी। इस निर्णय के तहत अब कंपनी स्वयं इन्वेंट्री की मालिक होगी और प्रोडक्ट्स को डायरेक्ट लिस्ट करेगी, न कि केवल उन्हें गोदाम में स्टोर करके प्लेटफॉर्म पर प्रदर्शित करेगी।
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यह बदलाव उस समय आया है जब Blinkit की मूल कंपनी Eternal ने अप्रैल में पूरी तरह से भारतीय स्वामित्व और नियंत्रण वाली संस्था (Indian Owned and Controlled Company – IOCC) का दर्जा प्राप्त किया।
नया मॉडल क्या है, और यह क्यों अहम है?
अब तक Blinkit दो मॉडल पर काम कर रही थी। एक online marketplace model, जिसमें छोटे विक्रेता अपने उत्पाद प्लेटफॉर्म पर लिस्ट करते थे और Blinkit उन्हें अपने गोदामों में संग्रहित करता था, बदले में एक स्टोरेज फीस लेता था। दूसरा मॉडल मुख्यतः बड़े और लोकप्रिय ब्रांड्स के लिए था, जो थोक में प्रोडक्ट उपलब्ध कराते थे और Blinkit उन्हें कस्टमर तक पहुंचाने का माध्यम मात्र होता था।
नए inventory-led model में Blinkit अब सीधे ब्रांड्स और विक्रेताओं से प्रोडक्ट खरीदेगा और स्वयं उन्हें अपने प्लेटफॉर्म पर लिस्ट करेगा। यानी अब प्रोडक्ट्स का स्वामित्व Blinkit के पास होगा और पूरी इन्वेंट्री उसकी बैलेंस शीट पर दर्ज की जाएगी।
विक्रेताओं को भेजी गई ईमेल, 30 जुलाई है अंतिम तारीख
कंपनी ने शनिवार को अपने सभी विक्रेताओं को एक विस्तृत ईमेल भेजकर जानकारी दी है कि 30 जुलाई तक सभी विक्रेताओं को नए सिस्टम में शामिल होना अनिवार्य है। जो विक्रेता इस डेडलाइन तक ट्रांजिशन को स्वीकार नहीं करेंगे, उनकी इन्वेंट्री 31 अगस्त के बाद Blinkit के गोदामों में स्वीकार नहीं की जाएगी और कोई नई लिस्टिंग की अनुमति नहीं दी जाएगी।
ईमेल में साफ कहा गया है, “31 अगस्त से आपकी इन्वेंट्री आपके अकाउंट से हटकर Blinkit के रिकॉर्ड में आ जाएगी।”
नियमों के अनुपालन में मिलेगी राहत
कई विक्रेताओं के अनुसार, यह बदलाव उनके लिए प्रशासनिक प्रक्रिया को सरल बनाएगा। वर्तमान में जो ब्रांड्स marketplace model के तहत काम करते हैं, उन्हें Blinkit के हर गोदाम को अपने GST और FSSAI रजिस्ट्रेशन में जोड़ना पड़ता है। खासकर खाद्य और पेय ब्रांड्स के लिए यह एक बड़ी चुनौती होती है।
अब जब Blinkit सीधे purchase order के जरिए इन्वेंट्री खरीदेगा, तो यह एक नियमित बिक्री मानी जाएगी, न कि स्टॉक ट्रांसफर। इससे विक्रेताओं को गोदाम रजिस्ट्रेशन और टैक्स डॉक्युमेंटेशन की जटिलता से राहत मिलेगी।
वित्तीय दृष्टि से क्या होगा असर?
कंपनी के जनवरी से मार्च तिमाही के वित्तीय नतीजों में Eternal के सीएफओ अक्षंत गोयल ने बताया था कि यदि Blinkit वित्त वर्ष 2025 में अपनी 100% इन्वेंट्री खुद रखता, तो उसे ₹1,000 करोड़ से कम working capital की ज़रूरत होती। यह Blinkit की कुल अनुमानित ₹28,274 करोड़ की gross order value का केवल 3-4% हिस्सा है।
इससे यह संकेत मिलता है कि नया मॉडल आर्थिक रूप से व्यवहार्य है और कंपनी के लिए लागत को नियंत्रित रखने में सहायक साबित हो सकता है।
FDI नियमों की पृष्ठभूमि और Blinkit की रणनीति
भारत के FDI नियमों के तहत विदेशी निवेश वाली ऑनलाइन मार्केटप्लेस कंपनियों को न तो इन्वेंट्री पर स्वामित्व रखने की अनुमति है और न ही वे अपने प्लेटफॉर्म पर विक्रेताओं को नियंत्रित कर सकती हैं। यही कारण है कि quick commerce कंपनियां आमतौर पर अपने dark stores – यानी 10 मिनट डिलीवरी के लिए बनाए गए छोटे गोदाम – खुद नहीं चलातीं, बल्कि उन्हें थर्ड-पार्टी ऑपरेटर्स के माध्यम से संचालित करती हैं।
अब जबकि Eternal ने IOCC का दर्जा प्राप्त कर लिया है, Blinkit इन सभी प्रतिबंधों से मुक्त हो चुका है और इन्वेंट्री पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ा चुका है।
प्रतिस्पर्धी कंपनियों की नजर भी इस बदलाव पर
Blinkit के इस कदम पर पूरे क्विक कॉमर्स सेक्टर की नजर है। खासतौर पर Zepto जैसी कंपनियां भी अब अपने भारतीय शेयरधारिता को बढ़ा रही हैं, ताकि वे भी FDI नियमों के दायरे से बाहर आ सकें और अधिक रणनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त कर सकें।
विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले महीनों में Swiggy, Instamart और अन्य प्रतिस्पर्धी ब्रांड्स भी inventory-led commerce को गंभीरता से अपनाने पर विचार कर सकते हैं।
ग्राहकों के लिए क्या बदलेगा?
इस मॉडल से उपभोक्ताओं को सीधा लाभ मिलेगा। Blinkit के पास अब वास्तविक इन्वेंट्री मौजूद होगी, जिससे product availability बेहतर होगी और डिलीवरी में देरी की संभावना घटेगी।
स्टॉक आउट होने की घटनाएं कम होंगी और उत्पादों की गुणवत्ता पर बेहतर नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सकेगा।
तेज़ और भरोसेमंद डिलीवरी अनुभव देने की दिशा में यह बड़ा कदम साबित हो सकता है।
संभावनाएं और जोखिम
जहां एक ओर Blinkit को मार्जिन पर बेहतर नियंत्रण और अधिक पारदर्शिता मिलेगी, वहीं दूसरी ओर इन्वेंट्री के मालिक होने से अब कंपनी को एक्सपायरी, स्टोरेज कॉस्ट और डेड स्टॉक जैसे जोखिमों का सामना भी करना पड़ेगा।
इसके लिए Blinkit को उन्नत डिमांड फोरकास्टिंग सिस्टम, मजबूत सप्लाई चेन नेटवर्क और कुशल वेयरहाउस मैनेजमेंट की आवश्यकता होगी।
छोटे विक्रेताओं पर असर
यह मॉडल बड़े ब्रांड्स के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि उन्हें भुगतान तेजी से मिलेगा और प्रक्रिया सरल होगी। लेकिन छोटे विक्रेताओं के लिए यह एक चुनौती हो सकती है, क्योंकि उन्हें पहले ही Blinkit को इन्वेंट्री बेचनी होगी।
ऐसे में संभावना है कि Blinkit आने वाले समय में vendor financing या credit support जैसे विकल्प उपलब्ध कराए।
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