पटना में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में निकली Voter Rights Yatra का समापन हुआ। लेकिन इस बीच बिहार की राजनीति और ज्यादा गरमा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने इस यात्रा और दोनों नेताओं पर करारा हमला बोला।
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मांझी ने यात्रा को निरर्थक बताते हुए कहा कि राहुल और तेजस्वी दोनों मानसिक रूप से दिवालिया हो चुके हैं। उनका दावा है कि Bihar Assembly Elections 2025 के बाद इन दोनों नेताओं की कोई राजनीतिक अहमियत नहीं रह जाएगी।
मांझी का सीधा हमला
जीतन राम मांझी ने कहा कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जिस यात्रा पर निकले हैं, उसका कोई सार नहीं है। उनके अनुसार, दोनों नेताओं के पास न तो बिहार की जनता के लिए कोई ठोस योजना है और न ही कोई स्पष्ट विजन।
मांझी ने कहा कि यह यात्रा केवल खोखले नारों और बयानबाजी तक सीमित है, और जनता इस पर भरोसा नहीं करेगी।
प्रधानमंत्री पर अपशब्दों की आलोचना
मांझी ने पटना में हुए कार्यक्रम के दौरान राहुल और तेजस्वी के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कही गई बातों पर भी आपत्ति जताई।
उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्द बोलना विपक्ष की छवि को और कमजोर करता है। उनके मुताबिक, नेताओं को व्यक्तिगत हमलों की जगह रोजगार, शिक्षा और विकास जैसे असली मुद्दों पर बात करनी चाहिए।
प्रशांत किशोर की पार्टी पर तंज
मांझी ने इस मौके पर प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी को भी निशाने पर लिया। उन्होंने पार्टी को “हवा-हवाई” बताते हुए कहा कि इसका बिहार की राजनीति में कोई स्थायी आधार नहीं है।
उनका कहना था कि बिहार की असली लड़ाई जमीनी हकीकत से जुड़ी है, जिसे प्रशांत किशोर जैसे नेता समझ ही नहीं पा रहे हैं।
मांझी के वादे
मौके पर मांझी ने अपनी पार्टी Hindustani Awam Morcha (Secular) की ओर से बड़े ऐलान भी किए। उन्होंने कहा कि अगर उनकी पार्टी के 20 से 30 विधायक विधानसभा तक पहुंचते हैं, तो वे गरीबों की आवाज़ और बुलंद करेंगे।
साथ ही उन्होंने कहा कि यदि उनकी पार्टी को और ज्यादा जनसमर्थन मिला तो वे बिहार के 13 लाख भूमिहीन परिवारों को घर और खेती के लिए सवा-सवा एकड़ ज़मीन दिलाने का प्रयास करेंगे।
उन्होंने यह भी घोषणा की कि हर पांच परिवार पर एक ट्रैक्टर उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि किसानों की उत्पादकता बढ़ सके।
वोटरों से अपील
जीतन राम मांझी ने जनता से अपील की कि वे चुनाव में लालच, दारू और पैसों के लालच में न आएं। उन्होंने कहा कि वोट अपनी और अपने बच्चों के भविष्य के लिए करें, न कि तात्कालिक लाभ के लिए।
मतदाता सूची संशोधन पर समर्थन
मांझी ने बिहार में चल रहे मतदाता पुनरीक्षण कार्य का समर्थन किया। उनका कहना था कि यह प्रक्रिया सही और पारदर्शी है। उन्होंने आरोप लगाया कि महागठबंधन के नेता अपनी हार के डर से लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
राहुल-तेजस्वी की यात्रा
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की यह Voter Rights Yatra मतदाताओं को जागरूक करने और लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती का संदेश देने के लिए निकाली गई थी। कई जिलों से गुजरने के बाद इसका समापन पटना में हुआ।
लेकिन मांझी का मानना है कि यह यात्रा जनता से जुड़ने में नाकाम रही। उनके मुताबिक, इसमें केवल बयानबाजी थी लेकिन कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया।
बिहार की सियासत और 2025 का चुनाव
Bihar Assembly Elections 2025 से पहले राज्य की सियासत बेहद गर्म हो चुकी है। एक ओर राहुल-तेजस्वी की जोड़ी जनता से जुड़ने की कोशिश कर रही है, वहीं मांझी जैसे नेता खुद को गरीबों और वंचितों की आवाज़ के रूप में पेश कर रहे हैं।
मांझी के हमलों से साफ है कि बिहार की चुनावी जंग और तीखी होती जा रही है। उनके वादे भी यह दिखाते हैं कि वे भूमिहीन और गरीब तबकों को साधने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
पटना में Voter Rights Yatra के समापन के साथ ही राजनीतिक बहस और तेज हो गई है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जहां जनता को साधने में लगे हैं, वहीं जीतन राम मांझी ने उन्हें “निरर्थक” और “मानसिक रूप से दिवालिया” करार देकर बड़ा राजनीतिक हमला किया है।
अब देखना होगा कि बिहार की जनता मांझी के Land Reforms और सामाजिक न्याय के वादों को कितना समर्थन देती है या फिर राहुल-तेजस्वी की गठबंधन राजनीति को।
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