बिहार। उगते सूर्य को अर्ध्य देकर लोक आस्था का महापर्व छठ संपन्न हो गया। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। प्रायः हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाले इस पर्व को इस्लाम सहित कई अन्य धर्मावलम्बी भी मनाते हैं।
नहाय खाय से आरंभ हो कर चार रोज तक चलने वाले इस महापर्व का समापन उषा अर्ध्य के साथ होता है। इस बीच दूसरे रोज छठब्रती के द्वारा खरना और तीसरे रोज संध्या अर्ध्य का उपासना की परंपरा रही है। सूर्योपासना की यह परम्परा आरोग्य देवता के रूप में भी की जाती है। छठ पर्व, षष्ठी का अपभ्रंश माना गया है।
लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है। लोक मातृका षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी। छठ पर्व को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो षष्ठी तिथि को एक विशेष खगोलीय परिवर्तन होता है। इस समय सूर्य की पराबैगनी किरणें Ultra Violet Rays पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाता हैं।
इस कारण इसके सम्भावित कुप्रभावों से मानव की यथासम्भव रक्षा करने के लिए कुदरत से बेहतर तालमेल करने की विधि को छठ पूजा कहा जाता है। कहतें हैं कि सूर्य और तारा का प्रकाश पराबैगनी किरण के हानिकारक प्रभाव से जीवों की रक्षा के लिए इस पर्व को मनाने की परंपरा रही है। जानकार बतातें हैं कि सूर्य के प्रकाश के साथ उसकी पराबैगनी किरण चंद्रमा और पृथ्वी पर समान रूप से आती हैं। सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी पर पहले वायुमंडल से सामना होता है। लिहाजा, इसे प्रकृति से इंसान के गहरे जुड़ाव का पर्व भी कहा जाता है।
This post was published on अक्टूबर 27, 2017 08:18
या आप जानते हैं कि गिद्ध क्यों विलुप्त हो गए? और इसका मानव जीवन पर… Read More
भारत और पाकिस्तान के 1947 के बंटवारे में केवल जमीन ही नहीं, बल्कि घोड़ागाड़ी, बैंड-बाजा,… Read More
7 दिसंबर 1941 का पर्ल हार्बर हमला केवल इतिहास का एक हिस्सा नहीं है, यह… Read More
सफेद बर्फ की चादर ओढ़े लद्दाख न केवल अपनी नैसर्गिक सुंदरता बल्कि इतिहास और संस्कृति… Read More
आजादी के बाद भारत ने लोकतंत्र को अपनाया और चीन ने साम्यवाद का पथ चुना।… Read More
मौर्य साम्राज्य के पतन की कहानी, सम्राट अशोक के धम्म नीति से शुरू होकर सम्राट… Read More