KKN गुरुग्राम डेस्क | कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी आगामी 15 मई 2025 को बिहार के दौरे पर आ रहे हैं। इस दौरान उनका कार्यक्रम पटना और दरभंगा—दोनों स्थानों पर तय किया गया है। पटना में राहुल गांधी एक विशेष फिल्म स्क्रिनिंग में भाग लेंगे, जबकि दरभंगा में एक जनसभा के माध्यम से आम जनता से सीधे संवाद करेंगे।
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यह दौरा आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 और कांग्रेस की दलित समुदाय के साथ नए सिरे से जुड़ाव की रणनीति के दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है।
पटना में ‘फुले’ फिल्म देखेंगे राहुल गांधी
राहुल गांधी पटना के एक सिनेमाघर में ज्योतिराव फुले के जीवन पर आधारित फिल्म ‘फुले’ को देखने के लिए पहुंचेंगे। इस फिल्म के माध्यम से राहुल गांधी का उद्देश्य दलित समाज के महापुरुषों के विचारों को सम्मान देना और उनके योगदान को रेखांकित करना है।
इस स्क्रिनिंग में मौजूद रहेंगे:
सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि
दलित समुदाय के सामाजिक कार्यकर्ता
कांग्रेस पार्टी के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता
इस कार्यक्रम को कांग्रेस की ओर से दलित मतदाताओं को जोड़ने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
कांग्रेस की दलित रणनीति का हिस्सा है यह दौरा
राहुल गांधी का यह दौरा केवल एक सामान्य राजनीतिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह कांग्रेस की एक सोच-समझी चुनावी रणनीति का हिस्सा है। कुछ ही दिन पहले पार्टी ने राजेश राम को बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी (BPCC) का अध्यक्ष नियुक्त किया है, जो खुद एक दलित नेता हैं।
कांग्रेस का लक्ष्य है कि बिहार में दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग को फिर से अपने पक्ष में जोड़ा जाए, जहां पिछले कुछ चुनावों में इन वर्गों का रुझान अन्य दलों की ओर गया था।
दरभंगा में जनसभा: राहुल गांधी करेंगे जनता से संवाद
पटना के कार्यक्रम के बाद राहुल गांधी सीधे दरभंगा पहुंचेंगे, जहां वह एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। इस रैली में राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी की चुनावी प्राथमिकताओं, मुद्दों और विजन को जनता के सामने रखेंगे।
जनसभा में उठाए जा सकते हैं ये मुद्दे:
बेरोजगारी और महंगाई
किसानों की समस्याएं
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली
सामाजिक न्याय और समानता
यह रैली राहुल गांधी का बिहार की आम जनता से सीधा संवाद मानी जा रही है, जिससे कांग्रेस पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने में मदद मिलेगी।
बिहार में कांग्रेस की चुनावी स्थिति और नई रणनीति
बिहार में पिछले दो दशकों में कांग्रेस का जनाधार लगातार कमजोर होता गया है। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद राजनीतिक समीकरणों में बदलाव आया है और कांग्रेस को अब एक बार फिर राज्य में वापसी का अवसर दिख रहा है।
कांग्रेस के हालिया कदम:
राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दलित वर्ग को साधने की कोशिश
जमीनी स्तर पर संगठन को पुनर्गठित करना
युवा और महिला कार्यकर्ताओं को सक्रिय भूमिका देना
डिजिटल और सोशल मीडिया अभियान को मजबूत करना
राहुल गांधी की यात्रा से पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार होगा और आगामी चुनावों के लिए तैयारियों को गति मिलेगी।
क्यों खास है दरभंगा और पटना का चुनावी महत्व?
पटना और दरभंगा बिहार के राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण जिले हैं। पटना जहां प्रशासनिक और शहरी मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं दरभंगा मिथिलांचल क्षेत्र का एक बड़ा केंद्र है, जहां ग्रामीण और जातीय समीकरणों का खासा प्रभाव है।
राहुल गांधी का इन दोनों स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित करना यह दर्शाता है कि कांग्रेस शहरी और ग्रामीण दोनों वर्गों को साधने की रणनीति पर काम कर रही है।
‘भारत जोड़ो’ की सोच का विस्तार
राहुल गांधी की यह यात्रा उनकी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की सोच का विस्तार मानी जा रही है, जो समावेशिता, भाईचारे और सामाजिक न्याय पर केंद्रित रही है। ‘फुले’ फिल्म देखना और जनता से सीधे जुड़ना इस विचारधारा को बिहार के संदर्भ में आगे बढ़ाने का प्रतीक है।
सुरक्षा और तैयारियां जोरों पर
राहुल गांधी के बिहार दौरे को लेकर कांग्रेस संगठन और स्थानीय प्रशासन दोनों स्तरों पर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
दरभंगा में रैली के लिए हजारों की संख्या में लोगों के पहुंचने की उम्मीद है।
पटना और दरभंगा दोनों जगह सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
पार्टी कार्यकर्ताओं को जनसंपर्क और प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी दी गई है।
जनता की प्रतिक्रिया और राजनीतिक विश्लेषण
राहुल गांधी की इस यात्रा को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कांग्रेस की ओर से बिहार में पुनर्स्थापना की गंभीर कोशिश है। वहीं जनता के बीच भी इस दौरे को लेकर जिज्ञासा और उम्मीद देखी जा रही है।
कुछ लोग इसे केवल प्रतीकात्मक राजनीति मानते हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक पुनर्निर्माण की शुरुआत के रूप में देख रहे हैं।
15 मई को राहुल गांधी की बिहार यात्रा केवल एक दिन का कार्यक्रम नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी की एक दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है। ‘फुले’ फिल्म के जरिए दलित वर्ग से भावनात्मक जुड़ाव और दरभंगा में जनसभा के माध्यम से चुनावी संवाद—दोनों को मिलाकर यह दौरा कांग्रेस की बिहार में पुनरागमन की योजना का महत्वपूर्ण कदम है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि यह रणनीति आगामी विधानसभा चुनाव में वोटों में तब्दील होती है या नहीं, लेकिन एक बात तय है—कांग्रेस ने बिहार को फिर से अपने राजनीतिक मानचित्र में केंद्र में रख लिया है।
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