बिहार बोर्ड द्वारा इंटरमीडिएट एडमिशन के लिए OFSS (Online Facilitation System for Students) के माध्यम से तीन मेरिट लिस्ट जारी की जा चुकी हैं। इसके बावजूद, मुजफ्फरपुर जिले के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में इंटर की आठ हजार से अधिक सीटें अब भी खाली हैं। साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स तीनों संकायों में हजारों सीटें रिक्त हैं, जिससे छात्र-छात्राओं के बीच असमंजस और स्कूलों के बीच चिंता का माहौल है।
बोर्ड की ओर से अब इन बची हुई सीटों के लिए ऑन-स्पॉट नामांकन की अनुमति दी गई है। विद्यार्थी मंगलवार तक ऑन-स्पॉट नामांकन के लिए आवेदन कर सकते थे। इन आवेदनों के आधार पर 6 अगस्त से संबंधित संस्थानों में नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ऑनलाइन एडमिशन प्रणाली OFSS का उद्देश्य था कि विद्यार्थियों को पारदर्शी और सहज प्रक्रिया के ज़रिए नामांकन मिल सके। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि इस व्यवस्था के बावजूद मुजफ्फरपुर में बड़ी संख्या में सीटें खाली हैं। कहीं तकनीकी वजह रही, तो कहीं कॉलेजों की cut-off ने छात्रों को पीछे कर दिया।
तीन मेरिट लिस्ट के बाद भी ज़्यादातर संस्थानों में दर्जनों से लेकर सैकड़ों तक सीटें खाली हैं। कई कॉलेज अब ऑन-स्पॉट एडमिशन को अंतिम मौका मानकर छात्रों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।
साइंस स्ट्रीम में सबसे अधिक सीटें खाली रह गई हैं। प्रतिष्ठित स्कूलों में भी सैकड़ों सीटें अब तक नहीं भरी जा सकीं। प्रभात तारा स्कूल में साइंस संकाय की 256 सीटें अब भी रिक्त हैं। आबेदा हाईस्कूल में 120 सीटें खाली हैं, जबकि BCBBD कॉलेज में 195 और चैपमैन गर्ल्स हाईस्कूल में 90 सीटें अब भी भराव की प्रतीक्षा कर रही हैं।
अन्य स्कूलों की बात करें तो कुढ़नी प्रोजेक्ट स्कूल में 106, नरमा हाईस्कूल में 82, कमतौल हाईस्कूल में 102, कांटा प्रोजेक्ट स्कूल में 114 और चंदवारा उर्दू बालिका विद्यालय में 120 सीटें साइंस संकाय में अब भी खाली हैं। यह दर्शाता है कि या तो छात्र साइंस स्ट्रीम से कतराते हैं या उन्हें मनपसंद स्कूल में एडमिशन नहीं मिल पा रहा।
आर्ट्स स्ट्रीम में विद्यार्थियों की रुचि अन्य स्ट्रीम्स के मुकाबले अधिक रही। अधिकांश स्कूलों में नामांकन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। अधिकतर संस्थानों में सिर्फ 5 से 10 सीटें खाली हैं। हालांकि कुछ संस्थानों में अब भी दर्जनभर से ज़्यादा सीटें रिक्त हैं।
आबेदा हाईस्कूल और इंटर कॉलेज चन्द्रहट्टी जैसे संस्थानों में अब भी 120-120 सीटें आर्ट्स संकाय में खाली हैं। वहीं MSKB में 49, BB कॉलेजिएट में 35 और जिला स्कूल में 35 सीटें अब भी रिक्त हैं। यह आंकड़ा इस बात की ओर इशारा करता है कि आर्ट्स संकाय छात्रों की पहली पसंद बनता जा रहा है।
कॉमर्स स्ट्रीम में एडमिशन की स्थिति सबसे अधिक चिंताजनक है। तीन मेरिट लिस्ट के बावजूद कई कॉलेजों में 50 प्रतिशत से अधिक सीटें अब भी नहीं भरी गई हैं। बीसीबीडी कॉलेज में कॉमर्स की 352 सीटें अब भी खाली हैं। इसी तरह पुरूषोत्तमपुर हाईस्कूल में 100, कांटी प्रोजेक्ट गर्ल्स स्कूल में 118 और तुर्की इंटर कॉलेज में 245 सीटें रिक्त हैं।
इसके अलावा पियर हाईस्कूल में 117, मारवाड़ी हाईस्कूल में 197, मोतीपुर हाईस्कूल में 114 और बोचहां उनसर हाईस्कूल में 109 सीटें कॉमर्स स्ट्रीम में अब तक भर नहीं पाई हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि Commerce stream में student interest या तो बहुत कम है या संस्थानों की outreach कमजोर रही है।
इंटर एडमिशन 2025 में इतने बड़े पैमाने पर सीटों का खाली रहना कई कारणों से जुड़ा है। पहला कारण यह हो सकता है कि छात्रों ने high cut-off वाले कॉलेजों को प्राथमिकता दी, जिससे वे selection से बाहर रह गए। दूसरे, कई छात्रों को डिजिटल माध्यम से आवेदन करने में तकनीकी परेशानी हुई होगी। ग्रामीण इलाकों के छात्र अक्सर ऑनलाइन प्रक्रियाओं में पिछड़ जाते हैं।
इसके अलावा निजी संस्थान भी एक कारण हो सकते हैं। बहुत से विद्यार्थी ऐसे कॉलेजों की ओर रुख करते हैं जो सीधे एडमिशन या बेहतर सुविधा देते हैं। इससे सरकारी या OFSS से जुड़े कॉलेजों में सीटें खाली रह जाती हैं।
बोर्ड ने अब बची हुई सीटों पर ऑन-स्पॉट नामांकन की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है। यह आखिरी मौका है जब स्कूल और कॉलेज अपनी सीटों को भर सकते हैं। छात्रों को मंगलवार तक आवेदन की अनुमति दी गई थी। अब 6 अगस्त से एडमिशन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
संस्थानों को निर्देश दिया गया है कि वे बोर्ड के नियमों के तहत ही नामांकन करें। नियमों की अनदेखी पर कार्रवाई भी हो सकती है। ऑन-स्पॉट एडमिशन से न केवल छात्र लाभान्वित होंगे, बल्कि कॉलेज भी अपने target enrollment को पूरा कर सकेंगे।
बड़ी संख्या में सीटों का खाली रह जाना स्कूलों और छात्रों दोनों के लिए नुकसानदायक है। स्कूलों को आर्थिक नुकसान हो सकता है और उनके टीचिंग स्टाफ का भी पूर्ण उपयोग नहीं हो पाएगा। वहीं छात्रों के लिए एडमिशन में देरी का मतलब है कि उनका academic calendar प्रभावित हो सकता है।
ऐसे छात्र जो अब तक एडमिट नहीं हुए हैं, उन्हें मजबूरी में ऐसे संस्थानों में जाना पड़ सकता है जो उनकी पसंद में नहीं हैं। इससे उनकी पढ़ाई और परफॉर्मेंस दोनों प्रभावित हो सकते हैं।
बिहार बोर्ड को इस पूरे घटनाक्रम से सीख लेते हुए अपनी admission process की समीक्षा करनी चाहिए। OFSS एक बेहतरीन व्यवस्था है, लेकिन ground level पर इसकी पहुंच और student support को बेहतर बनाना ज़रूरी है। कटऑफ सिस्टम, आवेदन प्रक्रिया और communication में पारदर्शिता और सरलता लाना भी जरूरी हो गया है।
डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिस और स्कूलों को भी मिलकर काम करना होगा ताकि छात्रों को सही गाइडेंस मिले और भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न आए।
मुजफ्फरपुर में इंटर एडमिशन की मौजूदा स्थिति बिहार के एजुकेशन सिस्टम के लिए एक चेतावनी है। आठ हजार से अधिक सीटें खाली रह जाना दर्शाता है कि व्यवस्था में कहीं न कहीं कमी रह गई। साइंस और कॉमर्स स्ट्रीम की स्थिति ज्यादा खराब है, जबकि आर्ट्स में नामांकन संतोषजनक रहा।
अब सारी उम्मीद ऑन-स्पॉट एडमिशन पर टिकी है। 6 अगस्त से शुरू हो रही इस प्रक्रिया से तय होगा कि स्कूल और कॉलेज अपने शैक्षणिक लक्ष्यों को पूरा कर पाएंगे या नहीं। ज़रूरत है कि बोर्ड, संस्थान और छात्र मिलकर इस संकट से उभरें और भविष्य के लिए एक मज़बूत व्यवस्था तैयार करें।
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