“मैं व्यापारी हो सकता हूं, पर अपराधी नहीं” – जहानाबाद में बोले प्रशांत किशोर

Jan Suraaj Party Finalizes Candidate for Key Bihar Seat: Prashant Kishor's Strategic Move Sparks Political Buzz

KKN गुरुग्राम डेस्क | राजनीतिक रणनीतिकार से जन आंदोलनकर्ता बने प्रशांत किशोर ने रविवार को बिहार के जहानाबाद में एक दिवसीय दौरे के दौरान जोरदार राजनीतिक बयान दिया। जनता के बीच अपनी छवि को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि वे व्यापारी हो सकते हैं, लेकिन अपराधी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने न तो कभी कोई घोटाला किया है और न ही कभी जेल गए हैं।

“मैं व्यापारी हो सकता हूं, लेकिन मैं चोर नहीं हूं। मैंने न तो बालू चुराया है, न ही चारा घोटाला किया है। मैं कभी जेल नहीं गया।”

जन सुराज यात्रा के तहत जहानाबाद पहुंचे PK

प्रशांत किशोर इन दिनों जन सुराज यात्रा के तहत बिहार के विभिन्न जिलों का दौरा कर रहे हैं। इस अभियान का मकसद है राजनीतिक सुधार, भ्रष्टाचार के खिलाफ जनजागरूकता और साफ़-सुथरी राजनीति को बढ़ावा देना। इसी क्रम में वे 4 मई को जहानाबाद पहुंचे, जहां उन्होंने संवाद कार्यक्रम में जनसभा को संबोधित किया।

इस दौरान उन्होंने अपने ऊपर लगने वाले आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वे किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं रहे हैं। उन्होंने खुद को “व्यवसायी लेकिन बेदाग व्यक्ति” बताते हुए बिहार की पारंपरिक राजनीति पर तीखा तंज कसा।

चारा और बालू घोटाले का संदर्भ क्यों?

बिहार की राजनीति में चारा घोटाला और बालू माफिया जैसे मुद्दे लंबे समय से विवाद और जन असंतोष का कारण रहे हैं। लालू प्रसाद यादव जैसे वरिष्ठ नेता चारा घोटाले में दोषी करार दिए जा चुके हैं। वहीं बालू खनन को लेकर भी कई बड़े नेताओं और ठेकेदारों के नाम सामने आ चुके हैं।

PK का यह बयान इस पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है, जहां उन्होंने अपनी नैतिक साख को रेखांकित करते हुए खुद को परंपरागत नेताओं से अलग बताया। यह बयान विशेष रूप से उन मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश है, जो राजनीति में शुचिता और पारदर्शिता चाहते हैं।

जहानाबाद का राजनीतिक महत्व

जहानाबाद जिला, सामाजिक आंदोलनों और राजनीतिक चेतना का गढ़ रहा है। यह क्षेत्र दलित, पिछड़े वर्गों और युवा वोटर्स का केंद्र माना जाता है। PK का यह दौरा स्पष्ट रूप से यह दिखाता है कि वे जमीनी स्तर पर संगठन विस्तार और स्थानीय समर्थन जुटाने की रणनीति अपना रहे हैं।

उनका यह स्पष्ट और सीधा संदेश ऐसे क्षेत्रों में खासा प्रभाव डाल सकता है, जहां राजनीतिक अपराधीकरण और भ्रष्टाचार के मुद्दे बेहद संवेदनशील हैं।

“मैं चुनाव नहीं लड़ता, लेकिन बदलाव लाना चाहता हूं” – PK की रणनीति

प्रशांत किशोर अब तक स्वयं चुनाव लड़ने से इनकार करते आए हैं। उनका फोकस है जनता के बीच जाकर राजनीतिक बदलाव की नींव तैयार करना। उनका कहना है कि बिहार को नई राजनीतिक सोच और नेतृत्व की जरूरत है।

जन सुराज यात्रा के माध्यम से वे गांव-गांव, पंचायत स्तर पर नवजवानों, महिलाओं और स्थानीय नेताओं से संवाद कर रहे हैं। उनका दावा है कि यह अभियान किसी दल या चुनावी गठबंधन से जुड़ा नहीं है, बल्कि “जनता की सरकार जनता के लिए” की अवधारणा को ज़मीन पर उतारने की कोशिश है।

साफ़-सुथरी राजनीति का संदेश

PK का यह बयान — “मैं व्यापारी हो सकता हूं, लेकिन अपराधी नहीं” — सिर्फ़ बचाव नहीं, बल्कि एक राजनीतिक प्लानिंग भी है। बिहार की राजनीति में जब ज्यादातर दल वर्चस्व, जातिवाद और पैसों की राजनीति में उलझे हैं, तब प्रशांत किशोर खुद को ईमानदार और वैकल्पिक नेता के रूप में पेश कर रहे हैं।

यह बयान उनके अभियान की मूल भावना से मेल खाता है — “राजनीति का अपराधीकरण और भ्रष्टाचार को खत्म करना।”

जनता और मीडिया की प्रतिक्रिया

PK के इस बयान को सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में तेजी से प्रसारित किया गया। ट्विटर (अब X), फेसबुक और व्हाट्सएप समूहों में लोगों ने इसे साहसिक बयान करार दिया।

  • कुछ लोगों ने इसे साफ़ राजनीति की मिसाल बताया।

  • तो वहीं विरोधी दलों के नेताओं ने इसे “नाटक” और “बचकानी प्रतिक्रिया” कहा।

हालांकि, इससे यह साफ़ है कि PK अब केवल एक रणनीतिकार नहीं, बल्कि एक जन नेता की भूमिका में खुद को स्थापित कर रहे हैं।

 क्या यह रणनीति चुनाव में कारगर होगी?

2025 में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं और PK की रणनीति धीरे-धीरे वास्तविक विकल्प के रूप में उभर रही है। हालांकि अभी उनके पास कोई पार्टी या बड़ा गठबंधन नहीं है, लेकिन:

  1. क्लीन इमेज

  2. गांव-गांव की पकड़

  3. राजनीतिक अनुभव और डेटा आधारित रणनीति

…उन्हें एक संभावित “थर्ड फ्रंट” के रूप में उभार सकते हैं।

प्रशांत किशोर का जहानाबाद में दिया गया बयान न सिर्फ़ आत्मरक्षा का प्रयास था, बल्कि एक राजनीतिक रणनीति भी है। उन्होंने पारंपरिक नेताओं से खुद को अलग करते हुए स्पष्ट किया कि बिहार को नए नेतृत्व और राजनीतिक सोच की जरूरत है

जन सुराज यात्रा की अगली चाल क्या होगी, यह आने वाले हफ्तों में साफ़ होगा। लेकिन इतना तय है कि प्रशांत किशोर अब राजनीतिक विमर्श का केंद्र बनने लगे हैं — और वह भी एक “साफ-सुथरी राजनीति” के संदेश के साथ।


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