गोपाल खेमका की हत्या ने बिहार में एक बार फिर से गंभीर अपराधों के बढ़ते मामलों को उजागर किया है। इस हत्या ने हाजीपुर में 2018 में हुई गुंजन खेमका की हत्या की याद ताजा कर दी है, जिसमें अपराधियों ने समान तरीके से हमला किया था। दोनों हत्याओं में शूटर का तरीका एक जैसा था, जो अपनी कार के गेट से बाहर से गोली चला कर निर्दयता से हत्या करता है। इस प्रकार के हमले से यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह दो हत्याएं संघटनात्मक अपराध का हिस्सा हो सकती हैं।
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गोपाल खेमका की हत्या: 2018 हाजीपुर हत्या की याद
गोपाल खेमका की हत्या 4 जुलाई को उनके आवास के गेट के बाहर कार में गोली मारकर की गई। यह घटना ठीक वैसे ही हुई जैसे गुंजन खेमका की हत्या 20 दिसंबर 2018 को हाजीपुर के औद्योगिक क्षेत्र में स्थित एक फैक्ट्री के गेट पर की गई थी। दोनों मामलों में एक समान क्राइम पैटर्न देखने को मिला है, जहां शूटर ने कार के गेट से बाहर से गोली मारी थी।
पुलिस द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार, गोपाल खेमका हत्याकांड में जो फुटेज सामने आई है, उसमें एक ही शूटर को देखा गया है। पुलिस का अनुमान है कि गोपाल खेमका के हत्यारे की उम्र 30 साल से अधिक हो सकती है। वहीं, हाजीपुर में शूटर की उम्र 35-40 साल बताई गई थी, जो हेलमेट पहने हुए था। इन दोनों हत्याओं में अत्यधिक समानताएँ सामने आई हैं, जिससे पुलिस के लिए मामले की जड़ तक पहुंचना और भी जरूरी हो गया है।
दोनों हत्याओं में समानताएँ और उनके बीच संबंध
यदि हम गोपाल खेमका और गुंजन खेमका की हत्याओं को देखें, तो दोनों घटनाओं में कई समानताएँ मिलती हैं।
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कार से बाहर से गोली चलाना: दोनों हत्याओं में अपराधी कार के गेट से बाहर से गोली मारते हैं, जिससे यह तकनीक एक प्रोफेशनल हिट का संकेत देती है।
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शूटर का रूप और अंदाज: हाजीपुर में शूटर ने हेलमेट पहना था, जबकि पटना में गोपाल खेमका के हत्यारे का चेहरा भी स्पष्ट नहीं था, लेकिन फुटेज से उसकी उम्र 30-35 वर्ष के बीच बताई गई है।
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प्रोफेशनल तरीके से हमला: दोनों हत्याओं में शूटर ने बेहद पेशेवर तरीके से हत्या की, जिस पर एक उच्च स्तर की योजना और तैयारी की झलक मिलती है।
गोपाल खेमका हत्याकांड: जांच की दिशा
पटना में गोपाल खेमका की हत्या के बाद, पुलिस ने घटना स्थल से कुछ महत्वपूर्ण सबूत और फुटेज एकत्र किए हैं। फुटेज में एक ही शूटर को देखा गया है, और पुलिस का अनुमान है कि इस हत्याकांड में इस्तेमाल की गई तकनीक गुंजन खेमका हत्या के समान हो सकती है। पुलिस अब जांच को गहरे स्तर तक ले जा रही है और यह जानने की कोशिश कर रही है कि क्या इन दोनों हत्याओं के बीच कोई संपर्क है।
पुलिस ने घटनास्थल से खोखा और एक जिंदा गोली बरामद की है। इसके अलावा, वहां मौजूद गार्ड ने भी गोली की आवाज सुनने की बात कही, लेकिन शूटर को पहचानने में नाकाम रहा। इन खुलासों से पुलिस को आगे की जांच के लिए महत्वपूर्ण दिशा मिली है।
गुंजन खेमका की हत्या: एक विश्लेषण
2018 में गुंजन खेमका की हत्या हाजीपुर के एक फैक्ट्री गेट पर की गई थी। शूटर ने गुंजन के सिर में गोली मारी और फिर एक गोली चालक को भी मारी, जिससे गुंजन की मौत हो गई। पुलिस रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हत्याकांड के बाद घायल चालक ने बताया कि शूटर की उम्र 35-40 वर्ष थी और उसने हेलमेट पहना हुआ था। हाजीपुर में यह घटना दिनदहाड़े घटी, जिससे यह संकेत मिलता है कि इसमें प्रोफेशनल शूटर शामिल था।
उसी तरह, पटना में गोपाल खेमका को भी उनके कार के बाहर से गोली मारी गई, जो एक और प्रोफेशनल हिट की ओर इशारा करता है। दोनों घटनाओं में फुटेज और गवाह होने के बावजूद, अपराधी भागने में सफल रहे, जिससे इन दोनों हत्याओं में किसी बड़े नेटवर्क के हाथ होने का संदेह है।
पुलिस की कार्यवाही और आगामी कदम
पुलिस अब दोनों हत्याओं की जांच को जोड़ने की कोशिश कर रही है। वे यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या इन घटनाओं में किसी एक ही अपराधी गिरोह का हाथ हो सकता है। पुलिस की प्राथमिक जांच के अनुसार, यह संभावित है कि गोपाल और गुंजन खेमका की हत्याओं के पीछे प्रोफेशनल किलर्स हो सकते हैं, जो इन अपराधों को शानदार योजना के तहत अंजाम दे रहे हैं।
इस मामले में पुलिस ने CCTV फुटेज के माध्यम से शूटर की पहचान करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसके अलावा, पुलिस ने आवश्यक गवाहों से जानकारी जुटाने के लिए स्थानीय इन्फॉर्मेंट्स से संपर्क किया है, ताकि मामले का जल्द खुलासा हो सके।
क्या ये हत्याएं संगठित अपराध का हिस्सा हैं?
बिहार में संगठित अपराध के बढ़ते मामलों के साथ, यह दो हत्याएं उस क्षेत्र में एक चिंताजनक संकेत हैं। ऐसा लगता है कि यह हत्याएं किसी बड़े अपराधी नेटवर्क के तहत की गई हैं, जो बिहार के विभिन्न हिस्सों में पेशेवर हत्यारे भेज रहा है। इस तरह की घटनाओं ने बिहार के नागरिकों के बीच एक भय का माहौल बना दिया है, और लोग यह महसूस कर रहे हैं कि सुरक्षा को लेकर बड़ा खतरा है।
पटना में गोपाल खेमका की हत्या और हाजीपुर में हुई गुंजन खेमका की हत्या के बीच समानताएं इस ओर इशारा करती हैं कि दोनों हत्याएं शायद एक ही संगठित अपराध गिरोह द्वारा की गई हो सकती हैं। पुलिस अब इन दोनों हत्याओं को जोड़कर जांच कर रही है, ताकि अपराधियों तक पहुंचने की प्रक्रिया तेज़ हो सके।
इन हत्याओं से एक बात साफ है — बिहार में अपराधी नेटवर्क और संगठित अपराध के बढ़ते प्रभाव से राज्य में सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में सरकार और पुलिस को इसे नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे।
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