KKN गुरुग्राम डेस्क | लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने हाल ही में एक बयान में कहा कि उनका तेजस्वी यादव के साथ पारिवारिक संबंध जरूर हैं, लेकिन उनके बीच वैचारिक मतभेद हैं, जिनके कारण राजनीतिक तालमेल संभव नहीं है। चिराग पासवान ने यह बयान बिहार के नवादा जिले में हाल ही में हुए अपने दौरे के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए दिया, जहां उनकी तेजस्वी यादव से मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात के बाद मीडिया में अटकलें लगने लगी थीं कि क्या दोनों के बीच कोई राजनीतिक गठबंधन हो सकता है, लेकिन चिराग पासवान ने स्पष्ट रूप से इन अटकलों को नकारते हुए अपने बयान में यह साफ किया कि उनकी राजनीतिक विचारधाराएं अलग-अलग हैं, इसलिए एक साथ काम करना संभव नहीं है।
पारिवारिक संबंध लेकिन वैचारिक मतभेद
चिराग पासवान ने कहा, “हमारे पारिवारिक संबंध हमारे पिताओं के समय से हैं, इसलिए हम सामाजिक रूप से एक-दूसरे से बातचीत कर सकते हैं, लेकिन हमारे बीच बहुत अधिक वैचारिक मतभेद हैं, जो राजनीतिक तालमेल को असंभव बनाते हैं।” उनका यह बयान साफ करता है कि भले ही उनके और तेजस्वी यादव के परिवारों के बीच पुरानी दोस्ती हो, लेकिन उनके राजनीतिक दृष्टिकोण अलग-अलग हैं, जिससे गठबंधन का विचार असंभव हो जाता है।
चिराग पासवान ने यह भी कहा कि अगर दोनों के बीच राजनीतिक तालमेल होता तो वे 2020 के विधानसभा चुनावों में एक साथ चुनावी मैदान में उतरते। उन्होंने कहा, “मैंने बिना किसी गठबंधन का हिस्सा बने लड़ने का फैसला किया था,” यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि चिराग ने खुद को लोक जनशक्ति पार्टी का स्वतंत्र रूप से नेतृत्व करने का निर्णय लिया था।
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में लड़ा था स्वतंत्र रूप से
चिराग पासवान ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू (जदयू) और एनडीए (बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन) से अलग हो कर स्वतंत्र रूप से चुनावी लड़ाई लड़ी थी। इस चुनाव में उन्होंने नीतीश कुमार की सरकार को निशाने पर लिया था और पार्टी की स्वतंत्र पहचान बनाने का प्रयास किया था। हालांकि, चुनाव परिणाम उनके पक्ष में नहीं रहे, और लोक जनशक्ति पार्टी ने केवल एक सीट जीती, जो पार्टी के लिए एक बड़ी असफलता थी।
पार्टी की इस खराब प्रदर्शन ने यह साफ कर दिया कि बिहार की राजनीति में लोक जनशक्ति पार्टी के लिए बिना किसी बड़े गठबंधन के खुद को स्थापित करना आसान नहीं है। बावजूद इसके, चिराग ने पार्टी के स्वतंत्र रूप से कार्य करने का रुख अपनाया और गठबंधन के बिना ही अपनी राजनीतिक यात्रा जारी रखी।
तेजस्वी यादव और चिराग पासवान की वैचारिक दूरी
चिराग पासवान और तेजस्वी यादव के बीच वैचारिक मतभेदों का मुख्य कारण दोनों दलों की राजनीतिक विचारधारा में अंतर है। राजद (राश्ट्रिय जनता दल) और लोजपा की नीतियों में भिन्नताएं हैं। जबकि तेजस्वी यादव और लालू यादव की राजद पार्टी सामाजिक न्याय, पिछड़ा वर्ग, धर्मनिरपेक्षता और समाजवादी विचारधारा को प्रमोट करती है, वहीं चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन में रहती है और देश के विकास के लिए समानतावादी और बाज़ार-आधारित नीतियों की ओर झुकाव रखती है। यही वैचारिक अंतर उन्हें एकजुट होने से रोकता है।
बिहार की राजनीति में जातिवाद, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दे अहम हैं, और ऐसे में चिराग पासवान और तेजस्वी यादव की पार्टी अपने-अपने आधार वर्ग को लेकर अलग-अलग नीतियां अपनाती हैं। यही कारण है कि, हालांकि दोनों के परिवारों के बीच अच्छे संबंध हैं, फिर भी उनके राजनीतिक विचार बिल्कुल अलग हैं।
बिहार की राजनीति में बढ़ता वैचारिक विभाजन
बिहार में राजनीति जातिवाद, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय पर आधारित है। राजद और बीजेपी के साथ चिराग पासवान की पार्टी की वैचारिक मतभेद यह साफ करते हैं कि आने वाले समय में बिहार में राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ सकता है। लालू यादव और उनकी पार्टी ने हमेशा पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की बात की है, जबकि बीजेपी और चिराग पासवान की पार्टी ने विकास, सरकार की योजनाओं और समान अवसरों के लिए अपनी नीतियां बनाई हैं।
राजद और लोजपा के बीच इस वैचारिक दूरी को लेकर आगामी चुनावों में राजनीतिक रणनीतियां अलग-अलग हो सकती हैं। हालांकि दोनों नेता बिहार के लिए अच्छा चाहते हैं, लेकिन उनके रास्ते अलग-अलग हैं।
बिहार के आगामी चुनावों के लिए रणनीतियाँ
चिराग पासवान और तेजस्वी यादव के बीच की यह वैचारिक दूरी आने वाले बिहार विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। जहां राजद अपने पारंपरिक वोट बैंक पर जोर देगा, वहीं चिराग पासवान को यह समझना होगा कि बीजेपी से अलग रहते हुए पार्टी को किस प्रकार मजबूत किया जाए।
वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में, बीजेपी और लोक जनशक्ति पार्टी के गठबंधन को देखना होगा कि क्या वे जेडीयू के साथ मिलकर अपनी नीतियों को आगे बढ़ाते हैं या फिर चिराग अपनी पार्टी को स्वतंत्र रूप से स्थापित करने के लिए कोई नई दिशा अपनाते हैं।
चिराग पासवान ने अपनी बात स्पष्ट की है कि तेजस्वी यादव के साथ उनके पारिवारिक संबंध तो हैं, लेकिन उनके वैचारिक मतभेदों के कारण राजनीतिक तालमेल असंभव है। यह बयान बिहार की राजनीति में परिवारों के बीच के संबंधों और वैचारिक मतभेदों के बीच के संतुलन को दर्शाता है।
चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी और तेजस्वी यादव की राजद की नीतियों में अंतर उनके राजनीतिक गठबंधन को नकारते हैं। इस असमंजस में, आने वाले चुनावों में बिहार के मतदाता के सामने दो बिल्कुल अलग-अलग विचारधाराओं का सामना होगा। बिहार की राजनीति का भविष्य अब पारिवारिक रिश्तों और वैचारिक मतभेदों के बीच संतुलन बनाने में है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि किसे आगामी चुनावों में सफलता मिलती है।
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