बिहार की राजनीति में आज एक नया मोड़ आया जब महागठबंधन (Grand Alliance) ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के खिलाफ राज्यव्यापी बंद (Bihar Bandh) का आह्वान किया। इस बंद का असर पूरे राज्य में देखने को मिला, जहां कई जिलों में सड़क जाम, रेल रोकने की कोशिश, और राजनीतिक नेताओं के तीखे बयान सामने आए।
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे मतदाता सूची संशोधन पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं और इसे “राजनीतिक चाल” करार दिया है। इस बंद में तेजस्वी यादव, राहुल गांधी, और पप्पू यादव जैसे प्रमुख नेता सड़कों पर उतरे और सरकार पर जमकर निशाना साधा।
वोटर लिस्ट रिवीजन पर क्यों मचा बवाल?
चुनाव आयोग द्वारा बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान शुरू किया गया है, जिसके तहत मतदाता सूची को अपडेट किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में नए मतदाताओं को जोड़ा जा रहा है, मृत या डुप्लीकेट नामों को हटाया जा रहा है।
लेकिन विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है, और सत्ताधारी गठबंधन इसे चुनाव से पहले वोटर डेटा में छेड़छाड़ के लिए इस्तेमाल कर रहा है। विपक्ष ने इस प्रक्रिया को “वोटबंदी” करार देते हुए इसे रोकने की मांग की है।
बिहार बंद की प्रमुख घटनाएं | Bihar Bandh Live Highlights
तेजस्वी यादव का बड़ा बयान: “कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं”
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने पटना के आयकर गोलंबर से विरोध मार्च की शुरुआत की और मीडिया को संबोधित करते हुए कहा:
“बिहार में कानून व्यवस्था नहीं, क्रिमिनल डिसऑर्डर चल रहा है। नीतीश कुमार अब फैसले लेने की स्थिति में नहीं हैं। जनता सब जानती है, चुनाव के बाद क्या होगा, ये भी देखेगी।”
तेजस्वी यादव का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया।
राहुल गांधी पहुंचे पटना, कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पटना पहुंचकर महागठबंधन के बंद को समर्थन दिया। बिहार कांग्रेस की ओर से सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर कहा गया:
“जननायक राहुल गांधी जी पटना पहुंच चुके हैं। वे वोटबंदी और लोकतंत्र की हत्या के खिलाफ बिहार बंद और चक्का जाम में शामिल होंगे।”
राहुल गांधी की मौजूदगी से इस आंदोलन को राष्ट्रीय समर्थन मिला और बंद को और ताकत मिली।
पप्पू यादव सड़क पर उतरे, समर्थकों के साथ किया प्रदर्शन
जन अधिकार पार्टी के नेता और सांसद पप्पू यादव भी सड़क पर उतरे। उन्होंने X (पूर्व ट्विटर) पर वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा:
“शंखनाद हो गया है, जनता सड़क पर उतर गई है। बिहार अब वोटबंदी की सरकार को उखाड़ फेंकेगा। राहुल गांधी जी, हम बिहारी तैयार हैं।”
पप्पू यादव के समर्थकों ने पटना के सचिवालय हॉल्ट रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन किया और रेल पटरियों पर बैठ गए।
सड़कों पर जाम, ट्रेनें रोकी गईं | बिहार बंद का जनजीवन पर असर
बिहार बंद का असर पटना, नालंदा, जहानाबाद, गया सहित कई जिलों में देखा गया। प्रमुख सड़कों पर प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर रास्ता रोका, जिससे आम लोगों को भारी परेशानी हुई।
नालंदा में सड़क जाम और आगजनी
नालंदा के दीपनगर थाना क्षेत्र में आरजेडी समर्थकों ने मघड़ा के पास सड़क जाम कर दिया और टायर जलाकर प्रदर्शन किया।
जहानाबाद में ट्रेन रोकने की कोशिश
जहानाबाद में आरजेडी कार्यकर्ताओं ने ट्रेन रोकने की कोशिश की। रेलवे और पुलिस प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में लिया।
पटना में सचिवालय हॉल्ट पर प्रदर्शन
पप्पू यादव के समर्थकों ने पटना में सचिवालय हॉल्ट स्टेशन पर रेल पटरियों पर बैठकर विरोध किया। हालांकि पुलिस ने समझा-बुझाकर उन्हें हटाने का प्रयास किया।
पुलिस प्रशासन की सतर्कता और कानून व्यवस्था
बिहार पुलिस ने बंद को देखते हुए संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त बल तैनात किए। किसी भी तरह की हिंसा की खबर नहीं है, लेकिन कई जगहों पर ट्रैफिक जाम, प्रदर्शन, और सड़क अवरोध देखे गए।
पुलिस ने सोशल मीडिया पर भी नजर रखी और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्ती की चेतावनी दी।
सत्ता पक्ष का जवाब: “वोटर लिस्ट संशोधन नियमित प्रक्रिया”
जेडीयू और बीजेपी ने विपक्ष के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। सरकार का कहना है कि मतदाता सूची संशोधन चुनाव आयोग की नियमित प्रक्रिया है और इसमें कोई भी राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं किया गया है।
सरकार ने विपक्ष पर जनता को गुमराह करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बाधा डालने का आरोप लगाया।
बंद का असर कहां-कहां दिखा?
क्षेत्र | असर |
---|---|
पटना | रेल और सड़क यातायात प्रभावित, बाजार बंद |
नालंदा | सड़क जाम, टायर जलाए गए |
जहानाबाद | ट्रेन रोकने की कोशिश |
गया | बाजार बंद, आवागमन ठप |
समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर | आंशिक असर, स्कूल-कॉलेज बंद |
9 जुलाई का बिहार बंद दर्शाता है कि बिहार की सियासत चुनाव से पहले किस कदर उबाल पर है। मतदाता सूची संशोधन, जो एक सामान्य प्रक्रिया है, अब राजनीतिक हथियार बन चुका है।
महागठबंधन की मांग है कि इस प्रक्रिया को विलंबित किया जाए, और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। आने वाले दिनों में यह विवाद और भी गहराने की संभावना है, खासकर जब चुनावी बिगुल बज चुका है।
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