नई दिल्ली में मंगलवार को Vice President Election 2025 को लेकर बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिला। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद मौजूद रहे और वे उनके पहले प्रस्तावक बने। संसद भवन परिसर में आयोजित इस नामांकन कार्यक्रम में भाजपा और एनडीए के कई वरिष्ठ नेता एकजुट होकर पहुंचे और राधाकृष्णन के साथ खड़े दिखाई दिए। यह नजारा एनडीए की राजनीतिक मजबूती और एकजुटता का प्रतीक माना गया।
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संसद में हुआ नामांकन दाखिल
सीपी राधाकृष्णन ने निर्वाचन अधिकारी को नामांकन पत्रों के चार सेट सौंपे। यह केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं बल्कि एनडीए की ताकत दिखाने का मौका भी था। कार्यक्रम में भाजपा और सहयोगी दलों के नेता एक साथ आए। इससे यह संदेश गया कि NDA Candidate CP Radhakrishnan के समर्थन में पूरा गठबंधन एकजुट है।
पीएम मोदी बने पहले प्रस्तावक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का खुद नामांकन कार्यक्रम में मौजूद रहना इस पूरे घटनाक्रम को खास बना गया। मोदी ने पहले प्रस्तावक के रूप में दस्तखत किए और इस तरह उन्होंने भाजपा और एनडीए की ओर से राधाकृष्णन को पूरा समर्थन देने का संकेत दिया। यह कदम इस बात का भी प्रमाण है कि पार्टी और गठबंधन राधाकृष्णन की उम्मीदवारी को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं।
नामांकन के दौरान मौजूद रहे बड़े नेता
सीपी राधाकृष्णन के नामांकन दाखिल करने के दौरान भाजपा और एनडीए के कई दिग्गज नेता मौजूद थे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
गृह मंत्री अमित शाह
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी
जेडीयू से ललन सिंह और संजय झा
लोजपा (रामविलास) से चिराग पासवान
केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी
इन नेताओं की मौजूदगी ने यह संदेश दिया कि एनडीए इस चुनाव को लेकर गंभीर और एकजुट है।
सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर
सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं और वहां भाजपा को मजबूत करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है। वे कोयंबटूर से दो बार सांसद रह चुके हैं और पार्टी के पुराने वफादार नेताओं में गिने जाते हैं। वर्तमान में वे महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। उनका प्रशासनिक अनुभव और संसदीय कार्यशैली उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार बनाती है।
एनडीए की रणनीति और दक्षिण भारत का संदेश
एनडीए ने इस चुनाव के लिए राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाकर साफ संकेत दिया है कि गठबंधन दक्षिण भारत को भी बराबरी से महत्व देता है। भाजपा लंबे समय से तमिलनाडु में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है और यह नामांकन उसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
उपराष्ट्रपति पद का महत्व
भारत का उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं। यह जिम्मेदारी ऐसे व्यक्ति को चाहिए, जिसके पास संसदीय अनुभव और संतुलित दृष्टिकोण हो। सीपी राधाकृष्णन का अनुभव और उनकी राजनीतिक समझ इस पद के लिए उन्हें उपयुक्त बनाती है।
विपक्ष और संभावित मुकाबला
जहां एनडीए ने पूरी ताकत से राधाकृष्णन के नामांकन को अंजाम दिया है, वहीं अब सबकी निगाहें विपक्ष पर टिकी हैं। विपक्षी दल भी अपना उम्मीदवार खड़ा कर सकते हैं। उपराष्ट्रपति का चुनाव सीधे तौर पर सरकार को प्रभावित नहीं करता, लेकिन यह राजनीतिक शक्ति संतुलन का अहम प्रतीक होता है।
नामांकन के बाद राधाकृष्णन का वक्तव्य
नामांकन दाखिल करने के बाद सीपी राधाकृष्णन ने प्रधानमंत्री मोदी और अन्य नेताओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए सम्मान की बात है कि उन्हें इतने बड़े संवैधानिक पद के लिए उम्मीदवार चुना गया है। राधाकृष्णन ने भरोसा जताया कि यदि वे चुने जाते हैं तो वे लोकतंत्र की मर्यादा और संसदीय परंपराओं को बनाए रखेंगे।
Vice President Election 2025 के लिए सीपी राधाकृष्णन का नामांकन भाजपा और एनडीए की एकजुटता का परिचायक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सभी सहयोगी दलों के नेताओं की मौजूदगी ने इस बात को और मजबूत किया कि गठबंधन पूरी तरह साथ है। राधाकृष्णन का अनुभव, उनका सादगीपूर्ण राजनीतिक जीवन और दक्षिण भारत से उनका प्रतिनिधित्व उन्हें इस चुनाव में एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है।
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