भारत द्वारा हाल ही में किए गए Operation Sindoor के प्रभाव से हतप्रभ पाकिस्तान ने तेजी से रणनीतिक कदम उठाते हुए चीन से मिले Z-10ME अटैक हेलिकॉप्टर को अपनी वायुसेना में शामिल कर लिया है। यह वही हेलिकॉप्टर हैं जिन्हें पाकिस्तान ने कुछ समय पहले परीक्षण में असफल होने के कारण लौटा दिया था। अब एक बार फिर इन्हें मामूली बदलावों के साथ पाकिस्तान के बेड़े में शामिल किया गया है। यह फैसला पाकिस्तान के सैन्य दबाव और भारत की बढ़ती सैन्य ताकत के चलते लिया गया है।
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परीक्षण में फेल, फिर भी लिया बेड़े में
Z-10ME हेलिकॉप्टर चीन की चांगहे एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन द्वारा विकसित किए गए हैं। यह डबल इंजन वाले हेलिकॉप्टर हैं जिनकी लंबाई लगभग 14.2 मीटर है और पेलोड क्षमता करीब 1500 किलोग्राम है। इससे पहले पाकिस्तान ने इन हेलिकॉप्टरों को परीक्षण के लिए मंगाया था लेकिन प्रदर्शन में विफल रहने के कारण इन्हें वापस भेज दिया गया था। अब, कुछ तकनीकी बदलावों के बाद, इन्हें फिर से पाकिस्तान को सौंपा गया है।
पाकिस्तान के मुल्तान एविएशन बेस पर एक औपचारिक समारोह के दौरान इन हेलिकॉप्टरों को वायुसेना में शामिल किया गया। पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों का दावा है कि ये हेलिकॉप्टर एडवांस रडार, नाइट विजन सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर तकनीक से लैस हैं। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि यह फैसला रणनीतिक घबराहट का प्रतीक है, न कि आत्मनिर्भर रक्षा नीति का।
ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया भारत की तैयारी का स्तर
Operation Sindoor के दौरान भारत ने जिस तरह से अपनी सैन्य रणनीति और युद्धक्षमता का प्रदर्शन किया, उसने पाकिस्तान को चौंका दिया। भारतीय वायुसेना और थलसेना के संयुक्त अभियान में उच्च स्तर की तालमेल, सटीकता और तकनीकी दक्षता नजर आई। पाकिस्तान को इस ऑपरेशन के दौरान सामरिक रूप से पीछे हटना पड़ा, जिससे उसकी वायुशक्ति की खामियां उजागर हो गईं।
इस शर्मनाक पराजय के बाद पाकिस्तान ने चीन से तेजी से संपर्क साधा और जल्दबाजी में रक्षा सौदे को आगे बढ़ाया। इससे स्पष्ट है कि पाकिस्तान अपने पुराने और कमजोर पड़ चुके हेलिकॉप्टर बेड़े को बदलने की हड़बड़ी में है।
Z-10ME बनाम भारत का एलसीएच प्रचंड
भारत द्वारा विकसित स्वदेशी Light Combat Helicopter (LCH) Prachand ऊंचाई वाले क्षेत्रों में युद्ध के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। यह हेलिकॉप्टर अधिकतम 6000 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है और दुश्मन के टारगेट्स को अत्यंत सटीकता से निशाना बना सकता है।
प्रचंड हेलिकॉप्टर में आधुनिक एवियोनिक्स, स्टेल्थ तकनीक, एयर-टू-एयर मिसाइलें और 20 मिमी की टर्रेट गन जैसे हथियार शामिल हैं। इसकी डिजाइनिंग विशेष रूप से हिमालयी इलाकों की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए की गई है।
वहीं दूसरी ओर, Z-10ME एक सामान्य अटैक हेलिकॉप्टर है, जिसे निर्यात के लिए अनुकूलित किया गया है। इसकी कार्यक्षमता अब तक किसी असली युद्ध में सिद्ध नहीं हो सकी है। इस लिहाज से प्रचंड की तुलना में Z-10ME तकनीकी और सामरिक रूप से कमजोर प्रतीत होता है।
अपाचे हेलिकॉप्टर ने बदली भारत की रणनीतिक तस्वीर
भारत ने अमेरिका से जो Apache Attack Helicopters खरीदे हैं, उन्हें ‘उड़ता टैंक’ कहा जाता है। यह हेलिकॉप्टर अत्यंत खतरनाक और अत्याधुनिक हैं। इनकी पेलोड क्षमता 2500 किलोग्राम तक है और ये Hellfire Missiles, Hydra Rockets तथा Stinger Missiles जैसे घातक हथियारों से लैस हैं।
अपाचे हेलिकॉप्टरों की ताकत का लाभ भारत को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में विशेष रूप से मिलता है। ये हेलिकॉप्टर खराब मौसम और कठिन परिस्थितियों में भी मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने की क्षमता रखते हैं। Z-10ME की तुलना में अपाचे तकनीकी रूप से कहीं आगे हैं और असल युद्धों में भी खुद को साबित कर चुके हैं।
जल्दबाजी में लिया गया फैसला
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान द्वारा Z-10ME हेलिकॉप्टरों की खरीद एक सोच-समझकर लिया गया दीर्घकालिक रक्षा निर्णय नहीं है, बल्कि यह एक जल्दबाजी में उठाया गया कदम है। भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान को अपनी कमजोर होती वायुसेना की सच्चाई का एहसास हुआ और उसने चीन के दरवाजे खटखटाए।
चीन ने भी इस अवसर का लाभ उठाते हुए पाकिस्तान को उन हेलिकॉप्टरों को सौंप दिए जिन्हें पहले परीक्षण में फेल बताया गया था। हालांकि, इस बार उन्हें ‘थोड़े सुधारों’ के साथ फिर से भेजा गया है। यह रक्षा सौदा पाकिस्तान की सैन्य मजबूरी और चीन की रणनीतिक चालबाजी का प्रतीक बन गया है।
क्षेत्रीय संतुलन में भारत की बढ़त बरकरार
चीन की मीडिया इस रक्षा सौदे को बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश कर रही है, लेकिन रक्षा विश्लेषकों की नजर में यह सौदा पाकिस्तान की सीमित विकल्पों की मजबूरी को दर्शाता है। भारत के पास इस समय न केवल अपाचे जैसे अमेरिकी हेलिकॉप्टर हैं, बल्कि वह खुद स्वदेशी युद्ध प्रणालियों को तेजी से विकसित कर रहा है।
इसके अलावा भारत के पास मजबूत रडार नेटवर्क, डिजिटल कमांड सिस्टम और सटीक मिसाइल तकनीक है, जो उसे पाकिस्तान की तुलना में कहीं अधिक रणनीतिक बढ़त देती है।
Z-10ME हेलिकॉप्टरों की पाकिस्तान वायुसेना में तैनाती एक डर और दबाव में उठाया गया कदम प्रतीत होता है। इन हेलिकॉप्टरों की युद्ध क्षमता अब तक परखी नहीं गई है और इन्हें भारत के प्रचंड या अपाचे के समकक्ष कहना वास्तविकता से कोसों दूर है।
भारत लगातार अपनी रक्षा नीति को मजबूत करते हुए स्वदेशी तकनीक पर जोर दे रहा है और सामरिक रूप से सटीक कदम उठा रहा है। पाकिस्तान का यह कदम न तो दीर्घकालिक समाधान है और न ही यह भारत के सामने कोई संतुलन बना पाएगा।
वास्तव में देखा जाए तो यह सौदा पाकिस्तान की सैन्य निर्भरता और रणनीतिक असमर्थता का प्रतीक बनकर रह गया है, वहीं भारत की बढ़ती ताकत क्षेत्रीय संतुलन को नए स्तर पर ले जा रही है।
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