Son of Sardaar 2 आखिरकार 1 अगस्त 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज़ हो गई है। इस फिल्म में अजय देवगन, मृणाल ठाकुर, रवि किशन, दीपक डोबरियाल और विंदू दारा सिंह जैसे कलाकार शामिल हैं। निर्देशन की कमान विजय कुमार अरोड़ा ने संभाली है। यह फिल्म साल 2012 में आई Son of Sardaar का सीक्वल नहीं है, बल्कि एक नई कहानी के साथ प्रस्तुत की गई है। यदि आप यह फिल्म देखने का मन बना रहे हैं, तो पहले जानिए इसका संक्षिप्त विश्लेषण।
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कहानी: जस्सी, तलाक और फर्ज़ी माता-पिता की कॉमिक यात्रा
कहानी की शुरुआत होती है जस्सी (अजय देवगन) से, जो पंजाब में अपनी पत्नी का इंतजार कर रहा है। लेकिन पत्नी नीरू बाजवा लंदन में रहती है और तलाक की बात करती है। जस्सी इस बदलाव से हक्का-बक्का रह जाता है। इसी बीच उसकी मुलाकात होती है रबिया (मृणाल ठाकुर) से।
रबिया की छोटी बहन सबा एक लड़के से प्यार करती है जो राजा (रवि किशन) का बेटा है। राजा को “शुद्ध नस्ल” का अत्यधिक शौक है, चाहे बात जानवर की हो या इंसान की। जब वह सबा के माता-पिता से मिलने आता है, तो सामने आता है कि उनके माता-पिता हैं ही नहीं। ऐसे में जस्सी पिता और रबिया मां बनने का नाटक करते हैं।
इसके बाद कहानी में ड्रामा, कॉमेडी और रिश्तों की उलझनें सामने आती हैं, जो फिल्म को आगे बढ़ाती हैं।
स्क्रीनप्ले और निर्देशन: सिंपल टोन, लेकिन असमान गति
Son of Sardaar 2 पहले भाग से जुड़ी नहीं है और अपने-आप में एक नई कहानी पेश करती है। इसकी स्क्रीनप्ले हल्की और सरल है। शुरुआत थोड़ी धीमी लगती है, लेकिन जैसे-जैसे किरदार आते हैं, हास्य बढ़ता है।
पहला भाग जहां ऊर्जा से भरा था, वहीं इस फिल्म की पहली छमाही कुछ जगह कमजोर प्रतीत होती है। जगदीप सिंह सिद्धू और मोहित जैन की लेखनी सरल है, और फिल्म में ओवरएक्टिंग जैसी कोई बात नहीं दिखती। दूसरा हाफ इमोशन से शुरू होता है लेकिन क्लाइमेक्स तक आते-आते ट्रैक पर लौट आता है।
लेखनी काल्पनिक है, लेकिन अव्यवस्थित नहीं। भारत-पाकिस्तान तनाव जैसे मुद्दे को फिल्म में हास्य के बीच शामिल करना, फिल्म की लेखनी को संतुलित बनाता है।
परफॉर्मेंस: अजय देवगन स्थिर, रवि किशन की कॉमिक एनर्जी दमदार
अजय देवगन ने जस्सी के रूप में एक सधा हुआ प्रदर्शन दिया है। उनकी कॉमिक टाइमिंग आज भी दर्शकों को हँसाने में सक्षम है। लेकिन फिल्म की असली जान रवि किशन हैं, जिनका गैंगस्टर किरदार मनोरंजन में चार चांद लगा देता है।
दीपक डोबरियाल, एक महिला के भेष में अपने किरदार को बहुत संजीदगी से निभाते हैं और उनका काम सराहनीय है। मृणाल ठाकुर, जो इस हल्के-फुल्के ड्रामे में शामिल हैं, ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है। उनकी कॉमिक टाइमिंग संतुलित है।
रोशनी वालिया (सबा) का किरदार छोटा है लेकिन प्रभावी है। वहीं विंदू दारा सिंह और दिवंगत मुकुल देव भी कुछ अच्छे पल लेकर आते हैं। कुब्रा सैत का किरदार सीमित है और उन्हें स्क्रीन पर ज्यादा अवसर नहीं मिला।
हास्य और पारिवारिक मनोरंजन
Son of Sardaar 2 ऐसी फिल्मों की श्रेणी में आती है जो Family Comedy Film कहलाती हैं। इसमें कोई द्विअर्थी संवाद नहीं हैं, और ना ही कोई अतिशयोक्ति। फिल्म अपने आप को हल्के-फुल्के हास्य तक सीमित रखती है।
पंजाबी परिवेश, रिश्तों की उलझनें और फर्ज़ी पहचान जैसे पहलुओं को कॉमिक अंदाज़ में दिखाया गया है। हालांकि सभी दृश्य एक जैसे प्रभावी नहीं हैं, फिर भी फिल्म एक सहज मनोरंजन का अनुभव देती है।
निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी
विजय कुमार अरोड़ा ने फिल्म को चमकीला और रंगीन रखा है। सिनेमैटोग्राफी पंजाब की मिट्टी और संस्कृति को अच्छे से उभारती है। संगीत अधिक नहीं है, लेकिन जहां जरूरी है, वहां Background Score हास्य दृश्यों को सपोर्ट करता है।
कुछ कमज़ोर कड़ियां
फिल्म की सबसे बड़ी कमी है इसकी प्रेडिक्टेबल राइटिंग। कुछ दृश्य विशेष रूप से दूसरे हाफ में खिंचे हुए लगते हैं। एडिटिंग थोड़ी टाइट होती तो गति बेहतर होती। साथ ही, फिल्म का पहला भाग से कोई संबंध नहीं होना, फ्रेंचाइज़ी प्रेमियों को निराश कर सकता है।
कुब्रा सैत जैसे कलाकार को पर्याप्त स्कोप न देना भी एक चूक कही जा सकती है।
Son of Sardaar 2 एक ऐसी फिल्म है जिसे आप परिवार और दोस्तों के साथ बैठकर देख सकते हैं। यह कोई मास्टरपीस नहीं है, लेकिन अपने उद्देश्य को पूरा करती है — हल्के-फुल्के अंदाज़ में दर्शकों का मनोरंजन करना।
अजय देवगन अपने पुराने फॉर्म में दिखते हैं और रवि किशन अपनी कॉमिक टाइमिंग से सभी का ध्यान खींचते हैं। मृणाल ठाकुर की मौजूदगी भी फिल्म को मजबूत बनाती है। अगर आप Bollywood Comedy Film 2025 देखने का सोच रहे हैं, तो यह फिल्म एक बेहतर विकल्प हो सकती है।
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