दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके सीलमपुर (Seelampur) में शनिवार सुबह एक बड़ी इमारत गिरने की घटना सामने आई, जिसने पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी मचा दी। ईदगाह जनता कॉलोनी में स्थित एक तीन मंजिला अवैध इमारत अचानक भरभराकर गिर गई। इस हादसे में कुल 7 लोग मलबे के नीचे दब गए, जिनमें से तीन लोगों को जीवित बाहर निकाल लिया गया है और उन्हें नजदीकी जेपीसी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
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फिलहाल दमकल विभाग और पुलिस की टीमें घटनास्थल पर मौजूद हैं और राहत-बचाव अभियान (Rescue Operation) तेजी से जारी है।
हादसा कैसे हुआ?
यह हादसा सुबह लगभग 6:45 बजे हुआ, जब सीलमपुर की जनता मजदूर कॉलोनी में एक पुरानी और जर्जर तीन मंजिला इमारत अचानक गिर गई। इमारत के गिरते ही आसपास के लोग घबराकर बाहर निकल आए और पुलिस व दमकल विभाग को सूचना दी गई।
घटनास्थल अत्यधिक घनी बस्ती में स्थित है, जहां एक गली में इमारत बनी हुई थी। शुरुआती जांच में सामने आया है कि यह मकान मात्र 30 गज क्षेत्रफल में बना हुआ था, और अवैध रूप से तीन मंजिल तक बढ़ाया गया था।
दमकल विभाग की 7 गाड़ियां राहत कार्य में जुटीं
हादसे की सूचना मिलते ही दिल्ली फायर सर्विस (DFS) की 7 गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं और राहत कार्य में जुट गईं। दिल्ली पुलिस, स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीम के साथ मिलकर दमकलकर्मी मलबा हटाने में लगे हुए हैं।
घनी बस्ती और संकरी गलियों के कारण राहत कार्य में बाधाएं आ रही हैं, लेकिन टीमें पूरी सतर्कता और तेजी से काम कर रही हैं। अभी भी मलबे में कई लोगों के दबे होने की आशंका है।
अब तक जिन लोगों को बाहर निकाला गया
पुलिस और दमकल विभाग की सहायता से जिन लोगों को मलबे से निकालकर अस्पताल पहुंचाया गया है, उनकी पहचान निम्नलिखित है:
परवेज, 32 वर्ष, पुत्र अब्दुल
नावेद, 19 वर्ष, पुत्र अब्दुल
सिज़ा, 21 वर्ष, पत्नी परवेज
दीपा, 56 वर्ष, पत्नी गोविंद
गोविंद, 60 वर्ष, पुत्र राम चरण
रवि कश्यप, 27 वर्ष, पुत्र राम चरण
ज्योति, 27 वर्ष, पत्नी रवि कश्यप
इनमें से तीन की हालत स्थिर बताई जा रही है, जबकि अन्य का इलाज जारी है। जेपीसी अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा है कि सभी घायलों की निगरानी की जा रही है।
अवैध निर्माण बना हादसे की वजह
प्रशासनिक अधिकारियों की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यह इमारत पूरी तरह से अवैध (Illegal Construction in Delhi) थी। यह मकान मतलूब नामक व्यक्ति के स्वामित्व में था, जो बिना किसी नगरपालिका स्वीकृति के तीन मंजिला बना दिया गया था।
विशेष बात यह है कि यह इमारत झुग्गी क्षेत्र में स्थित थी, जहां पहले ही कई अवैध निर्माण मौजूद हैं। हादसे में आसपास के तीन अन्य मकानों को भी नुकसान पहुंचा है, जिनमें दरारें आ गई हैं और वे भी असुरक्षित घोषित किए जा सकते हैं।
स्थानीय लोगों ने जताया आक्रोश
सीलमपुर और इसके आसपास के इलाकों के लोग इस घटना से बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि इस क्षेत्र में अवैध निर्माण धड़ल्ले से हो रहे हैं, और स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण आए दिन जान का खतरा बना रहता है।
स्थानीय निवासी मोहम्मद यूसुफ ने बताया, “हमने कई बार निगम में शिकायत की कि यह बिल्डिंग खतरनाक है, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। अगर समय रहते कदम उठाया जाता, तो आज यह हादसा नहीं होता।”
राजनीतिक प्रतिक्रिया और जांच के आदेश
इस हादसे के बाद स्थानीय विधायक और पार्षद मौके पर पहुंचे। उन्होंने नगर निगम और जिला प्रशासन से तत्काल जांच और कार्रवाई की मांग की है। दिल्ली सरकार ने भी मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं, और कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) की ओर से कहा गया है कि घायलों को हरसंभव सहायता प्रदान की जाएगी, और मृतकों (यदि कोई) के परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा।
दिल्ली में अवैध निर्माण बन रहे जानलेवा खतरा
यह घटना दिल्ली में अवैध निर्माण और शहरी नियोजन की विफलता को उजागर करती है। पूर्वी और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में ऐसे ही जर्जर और अवैध भवन मौजूद हैं, जिन पर कोई निगरानी नहीं रखी जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नगर निगम को चाहिए कि वह इन क्षेत्रों में संरचनात्मक ऑडिट करवाए और जो भी इमारतें असुरक्षित हैं, उन्हें या तो ध्वस्त करें या मजबूत बनाएं।
2024 की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (NIUA) की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के 60% से अधिक आवासीय भवन बिना अनुमति के बनाए गए हैं, और उनमें बेसिक सेफ्टी मानकों की भारी कमी है।
सीलमपुर में इमारत गिरने की यह घटना न सिर्फ एक हादसा है, बल्कि यह दिल्ली की शहरी अव्यवस्था और प्रशासनिक उदासीनता का प्रमाण भी है।
जब तक अवैध निर्माण पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, और नगर निगम व प्रशासन पारदर्शिता के साथ काम नहीं करता, तब तक इस तरह की दुर्घटनाएं टलती नहीं हैं।
KKNLive इस घटना पर अपनी नजर बनाए हुए है और हम आपको देंगे पल-पल की अपडेट — बचाव कार्य की स्थिति, घायलों का हाल, और प्रशासन की कार्रवाई।
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