KKN गुरुग्राम डेस्क | पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले में वक्फ कानून को लेकर अचानक हुई हिंसा ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। ताज़ा रिपोर्ट्स के अनुसार, इस घटना में तीन लोगों की जान चली गई जबकि कई लोग घायल हुए हैं। इस मुद्दे को लेकर अब भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के बीच तीखी राजनीतिक बयानबाज़ी शुरू हो गई है।
भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार पर “तुष्टीकरण की राजनीति” का आरोप लगाते हुए कहा है कि “बंगाल में हिंदू सुरक्षित नहीं हैं।” वहीं TMC ने हिंसा को “स्थानीय विवाद” बताया है।
वक्फ एक्ट एक केंद्रीय कानून है जो मुसलमानों द्वारा धर्मार्थ कार्यों के लिए दी गई संपत्तियों के प्रबंधन से संबंधित है। राज्य वक्फ बोर्ड इन संपत्तियों की देखरेख करता है। लेकिन हाल के वर्षों में कई जगह यह आरोप लगे हैं कि वक्फ बोर्ड द्वारा ज़मीन कब्ज़ा किया जा रहा है — वो भी बिना सही दस्तावेज़ों या नोटिस के।
बिना पूर्व जानकारी के ज़मीन का अधिग्रहण
दस्तावेज़ों की पारदर्शिता की कमी
धार्मिक असंतुलन और पक्षपात के आरोप
सरकार की निष्क्रियता या चुप्पी
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, जब कुछ लोगों ने वक्फ बोर्ड द्वारा ज़मीन चिन्हित करने का विरोध किया, तब दो समुदायों के बीच कहासुनी शुरू हुई। यह जल्दी ही हिंसक झड़प में बदल गई। हालात इतने बिगड़ गए कि भीड़ ने कुछ घरों में तोड़फोड़ की और आगजनी भी की।
3 लोगों की मौत हुई है
कई अन्य घायल और अस्पताल में भर्ती
भारी पुलिस बल और RAF की तैनाती
इंटरनेट सेवा अस्थायी रूप से बंद
धारा 144 लागू
भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि यह हिंसा सरकार की तुष्टीकरण नीति का परिणाम है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा:
“वक्फ कानून की आड़ में ज़मीन हड़पी जा रही है और आवाज़ उठाने वालों की हत्या की जा रही है। यह ममता सरकार की नाकामी नहीं, उनकी नीति है।”
भाजपा ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है और राज्यपाल से मिलकर न्यायिक जांच की मांग की है।
तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा के आरोपों को राजनीतिक चाल बताया है। सरकार का कहना है कि यह स्थानीय स्तर का भूमि विवाद है, ना कि सांप्रदायिक मुद्दा।
राज्य के गृह विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया:
“प्रशासन मामले की गंभीरता से जांच कर रहा है। किसी भी संप्रदाय को निशाना नहीं बनाया गया है। विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है।”
मुर्शिदाबाद पश्चिम बंगाल का एक धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से संवेदनशील जिला रहा है। यहां पहले भी कई बार सांप्रदायिक तनाव देखे गए हैं। भूमि विवाद, धार्मिक आयोजन और चुनावों के दौरान अक्सर तनाव की स्थिति बनती रही है।
संवाददाता की ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, घटना स्थल के आस-पास के गांवों में सन्नाटा पसरा है। लोगों में डर है कि कहीं फिर से हिंसा न भड़क उठे। स्कूल, बाजार, और परिवहन सेवा बंद हैं। कई परिवार गांव छोड़कर रिश्तेदारों के घर चले गए हैं।
घटना को देखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से 72 घंटे में रिपोर्ट मांगी है।
“कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य का कर्तव्य है। यदि वक्फ कानून का दुरुपयोग हो रहा है, तो उसे पारदर्शिता से सुलझाया जाए।”
पश्चिम बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दे चुनावी रणनीति का हिस्सा बनते जा रहे हैं। भाजपा इस मुद्दे को “हिंदू विरोधी नीति” के तौर पर प्रचारित कर रही है, वहीं TMC खुद को अल्पसंख्यक हितैषी बताने में लगी है।
ग्रामीण वोट बैंक पर असर
भाजपा की “हिंदुत्व” राजनीति को बल
ममता सरकार पर दबाव बढ़ेगा
मुर्शिदाबाद में हुई इस हिंसा ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राजनीतिक तुष्टीकरण प्रशासनिक निष्क्रियता से अधिक खतरनाक है? अगर वक्फ कानून का पारदर्शिता से पालन नहीं हुआ, तो भविष्य में इससे और अधिक सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकते हैं।
प्रदेश और देश के लिए अब ज़रूरी है कि धार्मिक कानूनों की समीक्षा, पारदर्शिता और साम्प्रदायिक सौहार्द को प्राथमिकता दी जाए — ताकि फिर किसी निर्दोष की जान ना जाए।
This post was published on अप्रैल 13, 2025 11:13
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