हम बात करेंगे 1857 के गदर की। जिसे अंग्रेजो ने महज सिपाही बिद्रोह कहा था। यह इतिहास का एक ऐसा मोड़ है, जिसको समझना और याद रखना हम सभी के लिए बहुत जरुरी है। हमारी चट्टानी एकता के लिए जरुरी है। गंगा जमुनी संस्कृति के लिए जरुरी है। आजादी को अक्षुण बनाये रखने के लिए जरुरी है और हमे हमारी साझा विरासत को समझने के लिए भी बहुत जरुरी है। कहतें है कि मेरठ के सैनिक छावनी में अंग्रेज अधिकारी परेड का निरीक्षण करने पहुंचे ही थे कि एन.आई. ट्वैंटी की पैदल टुकड़ी ने अंग्रेज अधिकारी का आदेश मानने से इनकार कर दिया। फिर क्या हुआ? देखिए, इस रिपोर्ट में…
This post was published on जनवरी 29, 2021 17:00
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