गजल, हिन्दी साहित्य की एक नई विधा है। नई विधा इसलिए है, क्योंकि गजल मूलत: फारसी की काव्य विधा मानी जाती है। फारसी से यह उर्दू में आई और यही रच बस गई। कालांतर में हिन्दी गजल का प्रचलन भी तेजी से हुआ। गजल को प्रेम की अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम माना जाता था। टूटे हुए आशिक के मुंह से बरबस फुट पड़ने वाला अल्फाज माना जाता था। अपनी प्रेमिका के उलझे हुए केशुओं को सहलाने और उसके कोमल स्पर्श को महसूस करने की खुबसूरत अंदाज माना जाता था। किंतु, 70 का दशक आते-आते युवा कवि दुष्यंत कुमार ने गजल को कोठे की रंगीन दुनिया से खींच कर आक्रोश से उबलते युवाओं की जुबान बना दिया। बुझती राख को चिंगारी बना दिया। दुष्यंत कुमार ने आक्रोश को शब्दो में ऐसे पिरोया कि युवाओं के अरमान कुलाचे भरने लगा। देखिए, इस रिपोर्ट में…
This post was last modified on सितम्बर 17, 2021 4:47 अपराह्न IST 16:47
बिहार में कैंसर के इलाज के क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू हुआ है। प्रधानमंत्री… Read More
मुंबई पुलिस ने हाल ही में एक बड़े साइबर फ्रॉड रैकेट का खुलासा किया है,… Read More
आजकल सोशल मीडिया पर Manifestation शब्द काफी ट्रेंड कर रहा है। इसका मतलब है Law… Read More
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने केंद्रीय गृह मंत्री… Read More
भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के… Read More
तमिल सुपरस्टार और तमिलगा वेत्री कझगम (TVK) के अध्यक्ष विजय ने 2026 तमिलनाडु विधानसभा चुनावों… Read More