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विराट कोहली के टेस्ट से अचानक संन्यास पर बवाल, क्या बीसीसीआई ने किया अनदेखा? मोहम्मद कैफ ने उठाए सवाल

Virat Kohli's Sudden Test Retirement Sparks Controversy:

KKN गुरुग्राम डेस्क | भारत के स्टार क्रिकेटर और पूर्व टेस्ट कप्तान विराट कोहली ने इंग्लैंड दौरे से ठीक पहले टेस्ट क्रिकेट से अचानक संन्यास लेकर सभी को चौंका दिया। यह फैसला ऐसे समय आया जब कोहली के नाम पर टीम चयन की चर्चा हो रही थी और वह खुद इंग्लैंड दौरे की तैयारी में लगे थे। लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं — क्या यह कोहली का निजी फैसला था या उन्हें इसके लिए मजबूर किया गया?

पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ का मानना है कि कोहली को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर से पर्याप्त समर्थन नहीं मिला, जिस कारण उन्हें यह बड़ा फैसला लेना पड़ा।

भारत-पाक तनाव के बीच दब गई कोहली की विदाई

जब विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया, उस वक्त भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव चरम पर था। इस वजह से कोहली के संन्यास की खबर उस समय चर्चा में नहीं आ सकी। अब जब हालात सामान्य हो रहे हैं, तो कोहली के अचानक लिए गए फैसले पर बहस फिर से शुरू हो गई है।

मुख्य सवाल:

  • क्या कोहली को टीम में जगह नहीं मिलने का संकेत दिया गया था?

  • क्या यह चयनकर्ताओं की रणनीति थी?

  • क्यों उन्हें एक फेयरवेल टेस्ट खेलने का मौका नहीं मिला?

मोहम्मद कैफ का बड़ा बयान: कोहली को नहीं मिला सपोर्ट

एक मीडिया इंटरव्यू में मोहम्मद कैफ ने दावा किया कि कोहली इंग्लैंड दौरे की तैयारी कर रहे थे और उन्होंने हाल ही में घरेलू क्रिकेट में रणजी ट्रॉफी भी खेली थी। ऐसे में उनका अचानक टेस्ट से रिटायरमेंट लेना हैरान करने वाला फैसला है।

कैफ ने कहा:

“कोहली इंग्लैंड दौरे को लेकर गंभीर थे। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया सीरीज के बाद रणजी ट्रॉफी का मैच खेला, जो इस बात का संकेत था कि वो टेस्ट खेलने के लिए तैयार थे। लेकिन ऐसा लगता है कि चयनकर्ताओं ने उन्हें स्पष्ट रूप से बता दिया कि अब टेस्ट टीम में उनकी जगह नहीं है।”

चयनकर्ताओं की चुप्पी और बीसीसीआई का रवैया सवालों के घेरे में

कैफ के बयान के बाद अब बीसीसीआई और चयन समिति की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। न तो बीसीसीआई अध्यक्ष और न ही अजीत अगरकर ने कोहली के संन्यास पर कोई प्रतिक्रिया दी है। कोहली जैसे दिग्गज खिलाड़ी के संन्यास पर यह चुप्पी दर्शाती है कि कहीं न कहीं संपर्क और संवाद की कमी रही।

क्या कोहली का टेस्ट फॉर्म था गिरावट में?

कई विशेषज्ञों का मानना है कि चयनकर्ताओं ने पिछले कुछ वर्षों में कोहली के गिरते टेस्ट प्रदर्शन को लेकर चिंता जताई थी। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि उनका प्रदर्शन औसत जरूर था, लेकिन ऐसा नहीं कि उन्हें बाहर किया जाए।

कोहली के पिछले 10 टेस्ट मैच (2024):

  • रन: 578

  • औसत: 41.28

  • हाफ सेंचुरी: 5

  • स्ट्राइक रेट: 53.1

  • शतक: 1

यह प्रदर्शन किसी भी अनुभवी खिलाड़ी के लिए पर्याप्त है, खासकर जब वह घरेलू क्रिकेट में वापसी कर रहा हो।

फैंस में नाराज़गी: कोहली को नहीं मिला फेयरवेल टेस्ट

कोहली के प्रशंसक सोशल मीडिया पर बीसीसीआई के रवैये से बेहद नाराज़ हैं। कई लोगों का मानना है कि कोहली को एक आखिरी टेस्ट खेलने का मौका दिया जाना चाहिए था, खासकर किसी बड़े मैदान जैसे लॉर्ड्स या ईडन गार्डन्स पर।

सोशल मीडिया प्रतिक्रियाएं:

  • “सचिन को फेयरवेल मिला, धोनी को सम्मान मिला… कोहली को क्यों नहीं?”

  • “क्या यह फैसला खुद का था या उन्हें मजबूर किया गया?”

  • “कोहली जैसा खिलाड़ी इस तरह चुपचाप नहीं जाता।”

विराट कोहली का टेस्ट करियर: एक गौरवशाली सफर

कोहली का टेस्ट करियर भारतीय क्रिकेट के गोल्डन युग का प्रतीक रहा है। उन्होंने टीम को नई आक्रामकता दी, खासकर विदेशों में।

विराट कोहली के टेस्ट आंकड़े:

  • मैच: 113

  • रन: 8,848

  • औसत: 49.2

  • शतक: 29

  • कैप्टनसी रिकॉर्ड: 40 जीत (68 मैचों में)

उनके नेतृत्व में भारत ने ऑस्ट्रेलिया में ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज़ जीती और इंग्लैंड तथा साउथ अफ्रीका में कड़ा मुकाबला किया।

क्या यह एक बड़ी ट्रांजिशन की शुरुआत है?

कोहली का टेस्ट से संन्यास शायद भारतीय टीम में पीढ़ीगत बदलाव (Generational Shift) की शुरुआत है। इसके साथ ही अब अन्य वरिष्ठ खिलाड़ी जैसे पुजारारहाणे और अश्विन के भविष्य पर भी सवाल उठने लगे हैं।

नई चयन समिति शायद शुभमन गिलयशस्वी जायसवालऋतुराज गायकवाड़ जैसे युवा खिलाड़ियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है।

कोहली अभी भी सीमित ओवरों के क्रिकेट में सक्रिय

यह ध्यान देना जरूरी है कि विराट कोहली ने सिर्फ टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया है। वह अभी भी ODI और T20 फॉर्मेट में टीम इंडिया का हिस्सा हैं और चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 और T20 वर्ल्ड कप 2026 में उनकी बड़ी भूमिका रहने की उम्मीद है।

चाहे कोहली का यह फैसला निजी हो या बाहरी दबाव का परिणाम — यह स्पष्ट है कि उन्हें बेहतर सम्मान और विदाई मिलनी चाहिए थी। भारतीय क्रिकेट ने एक ऐसा खिलाड़ी खोया है जिसने टेस्ट क्रिकेट को एक नई पहचान दी। उनके जैसे दिग्गज को चुपचाप विदा करना भारतीय क्रिकेट की संस्कृति पर सवाल उठाता है।


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