बिहार के मुजफ्फरपुर जिला अन्तर्गत मीनापुर प्रखंड के कोइली पंचायत की पड्ताल
KKN न्यूज ब्यूरो। मीनापुर प्रखंड मुख्यालय से 5 किलोमीटर पूर्वोत्तर दिशा में पक्की सड़क पर उखड़ी हुई गिट्टी और गड्ढ़ों में हिचकोले भरते हुए कोइली पंचायत के चैनपुर गांव पहुंचते ही कई समस्याओं से एक साथ सामना हुआ। अव्वल तो बाढ़ से हुई तबाही के निशान यहां आज भी मौजूद है। बाढ़ में टूटा हुआ घर और क्षतिग्रस्त सड़कें, तबाही की मुनादी कर देता है। सूखे हुए लीची और आम का पेंड़। बाढ़ से पंचायत की 4,212 परिवार प्रभावित हुआ था और सात सड़के क्षतिग्रस्त हो गई थीं। लोगो ने बताया कि बागमती नदी की पुरानी धारा पंचायत के बीच से होकर निकलती है। नदी के एक किनारे पर चैनपुर, भराव और कोइली गांव बसा है। वहीं, दुसरी किनारे पर मछुआ, मल्हटोली, गांधीनगर, गोसाईपुर और खरहर गांव बसा है। बाढ़ से धान और सब्जी के फसल को हुई आर्थिक नुकसान से लोग अभी तक उबर नहीं पायें है।
पंचायत की कुल आवादी 18 हजार है। इसमें करीब 6,682 वोटर है। यहां की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। धान, गेंहूं और मक्का सहित सब्जी की खेती होती है। किंतु, बाजार दूर होने से किसान को औनेपौने में अपना अनाज बेचना पड़ता है। किसानो को पंचायती राज से आशातीत लाभ नहीं मिला। लोगो से बातचीत में पता चला कि मजदूरो का पलायन पंचायत की बड़ी समस्या बन चुकी है। पंचायत में रोजगार का कोई अन्य साधन विकसित नहीं हुआ है। नतीजा, करीब एक हजार मजदूर प्रत्येक वर्ष पलायन कर जातें हैं।
कोइली पंचायत को वर्ष 2019 में ही ओडीएफ घोषित कर दिया गया था। इस बीच करीब 1,583 शौचालय का निर्माण हुआ। हालांकि, इसमें से मात्र 1,100 लोगो को ही प्रोत्साहन राशि का भुगतान हो सका है। बाकी लोगो में असंतोष है। दूसरी ओर चैनपुर और मछुआ सहित गांव के सड़को पर आज भी शौच करते लोग स्वच्छता अभियान की हकीकत बयां कर देतें है।
वर्ष 2019 के 4 सितम्बर को कोइली मध्य विद्यालय को हाईस्कूल का दर्जा मिल गया। किंतु, भवन और आधारभूत संरचना में कोई बदलाव नहीं हुआ है। हालांकि, वर्ष 2020-21 के लिए यहां 120 छात्रो का नामांकन दर्ज है। हाई स्कूल के लिए अभी तक शिक्षक बहाल नहीं हुआ है। मध्य विद्यालय में नियुक्त दो शिक्षक और एक शिक्षिका के सहारे हाई स्कूल चल रहा है। पंचायत सरकार भवन नहीं है। पंचायत से प्रस्ताव भेजा गया है। किंतु, जमीन उपलब्ध नहीं हो सका है। गांधीनगर में एक प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेन्द्र है। जो अक्सर बंद रहता है। मनरेगा से तीन पोखर खोदा गया है। लोगो ने बताया कि गर्मी की धमक पड़ते ही इसका सूखना तय है।
सड़क–
कोइली पंचायत को प्रखंड मुख्यालय से जोड़ने वाली चैनपुर से मुस्तफागंज भाया महदेइयां की सड़क वैसे तो पक्की है। पर गत वर्ष बाढ़ ने इसकी सूरत बिगाड़ कर रख दिया है। पींच उखड़ जाने से गिट्टी सड़क पर बेतरतीब बिखर गया है। दूसरी सड़क जो कोइली से निकल कर मझौलिया होते हुए नेउरा एसएच को जोड़ती है। मझुअर से आगे बढ़ते ही धूल-धूसरित है और इस पर चलना जोखिमभरा माना जाता है। अलबत्ता मुख्यमंत्री सड़क योजना में इसका चयन हो चुका है और यह निर्माणाधीन है। चैनपुर से धारपुर होते हुए भी एक सड़क प्रखंड मुख्यालय को जोड़ती है। किंतु, वह गांव में ही अतिक्रमण का शिकार हो चुकी है।
जलनल–
सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी जलनल योजना का पंचायत में मिलाजुला असर है। दो वार्ड में काम प्रगति पर है। बाकी के 11 वार्ड में जलनल चालू है। किंतु, अधिकांश जगहो पर दिनभर पानी की सप्लाई नहीं होती है। इसका प्रमुख कारण स्थायी तौर ऑपरेटर का नहीं होना और नल का दुरुपयोग भी बड़ा कारण है। कई गांवों में सप्लाई पाइप फूटने की शिकायत भी थीं। हालांकि, सरकार के सख्ती के बाद इसको दुरुस्त करा लिया गया है।
बिजली–
पंचायत में बिजली की आपूर्ति कमोवेश ठीक है। छोटे-बड़े 13 ट्रांसफॉर्मर से निर्वाध आपूर्ति जारी है और बिजली को लेकर किसी ने कोई शिकायत नहीं की। पंचायत की ओर से तीन महीना पहले ही सड़क किनारे करीब 600 एलईडी स्ट्रीटलाइट लगा दिया गया है। इससे पंचायत के गांवों में रात में सफर करना आसान हो गया है। पंचायत के लोग इसको पंचायत राज व्यवस्था की बड़ी उपलब्धी बतातें है।
अस्पताल–
गांधीनगर में एक प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेन्द्र है। यह अक्सर बंद रहता है। लोगो ने मुखिया से इसकी शिकायत की। पर, कोई कारवाई नहीं होने से लोगो में स्वास्थ्य सेवा को लेकर असंतोष देखा गया है। हालांकि, यह बात दीगर है के टीकाकरण के समय अस्पताल में एएनएम को देखा जाता है। लोगो का कहना था कि एक दशक पहले तक यहां सप्ताह में एक रोज डॉक्टर बैठते थे।
पंचायत भवन–
कोइली पंचायत का एक पुराना पंचायत भवन मल्हटोली गांव में है। 26 जनवरी और 15 अगस्त को झंडा फहराने के अतिरिक्त इसकी और कोई उपयोगिता नहीं है। पंचायत की ओर से पंचायत सरकार भवन बनाने का प्रस्ताव है। किंतु, इसके लिए पंचायत के पास प्रयाप्त जमीन नहीं है। लिहाजा, यह प्रस्ताव फिलहाल ठंढ़ावस्ता में दम तोड़ता हु़आ नजर आता है।
रोजगार के अवसर–
कोइली पंचायत में परंपरागत खेती को छोड़ कर रोजगार का कोई दूसरा साधन नहीं है। बहुत थोड़े से लोगो का आपना छोटा कारोबार भी है। लिहाजा, पंचायत से मजदूरो का पलायन आज भी बदस्तुर जारी है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक प्रत्येक वर्ष यहां से करीब एक हजार से अधिक मजदूर रोजगार की तलाश में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और यूपी की ओर पलायन कर जाते है।
पंचायत की नाकामी–
पांच साल में रोजगार सृजन नहीं होना पंचायत की सबसे बड़ी नाकामी मानी जा रही है। दूसरा ये कि बेशक गांव की सड़के बनी है। किंतु, यह एक कड़बी हकीकत है कि इसनमे से अधिकांश सड़क अतिक्रमण का शिकार है। वोट के खातिर पंचायत प्रतिनिधियों की चुप्पी से गांव की सड़को पर आवागमन मुश्किल होता जा रहा है। शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में पंचायत की नाकामी जग जाहिर है।
इन योजनाओं पर हुआ काम :
– सात निश्चय से 3,760 फीट में 11 सड़क के ढ़लाई का काम पूरा है।
– चौदहवीं बित्त आयोग से 2,615 फीट में 6 सड़क की ढ़लाई का कार्य पूरा है।
– पंचम बित्त आयोग से एक हजार फीट में 5 सड़क की सोलिंग और मनरेगा से दो सड़क की मरम्मति किया गया है।
– दो करोड़ की राशि से 11 वार्ड में जलनल चालू है। बाकी के 2 वार्ड में काम प्रगति पर है।
– पंचायत में 13 ट्रांसफॉर्मर से सभी गांवो को निर्वाध गति से बिजली आपूर्ति जारी है।
– पंचायत की सभी 13 वार्ड में तीन महीने पहले 600 स्ट्रीट लाइट लगा दिया गया है।
बयान:
पंचायत का काम सराहनीय है। सरकारी योजनाएं, खास करके नलजल योजना का लाभ लोगो तक पहुंचा है। स्ट्रिट लाइट से पंचायत की सड़के जगमग हुई है। — राजकुमार सहनी, चैनपुर।
पंचायत के वार्ड संख्या 11 में नलजल का काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है। सामुदायिक भवन के रंग रोगन को छोड़ दें तो इस वार्ड में विकास का कोई भी काम नहीं होने से लोगो में असंतोष है। — रणधीर प्रसाद, खरहर।
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