संतोष कुमार गुप्ता
पुनौरा धाम । सुनहरी यादो के साथ सीतामढी महोत्सव का समापन हुआ।स्वर कोकिला मालिनी अवस्थी ने सबका दिल जीतकर यहां से विदा हो गसी। दाे दिवसीय सीतामढ़ी महोसव का हुआ शानदार समापन। प्रकृति के जितने रूप है, उतने हीं रंग जीवन के है। प्रकृति के रुप व जीवन के रंग से निकले सुर, संगीत को जन्म देते है। सुर-संगीत का यहीं इंद्रधनुषी रंग शनिवार की शाम माता जानकी की जन्मस्थली पुनौरा धाम मंदिर परिसर में दिखा। दो दिवसीय सीतामढ़ी महोत्सव के दूसरे व अंतिम दिन स्थानीय कलाकारों से लेकर देश स्तर के कलाकारों ने गीत-संगीत के अलग-अलग मर्म से लोगों को न केवल रूबरू कराया, बल्कि सुरमई शाम में लोगों को मनोरंजन का भी अवसर दिया. मंच एक था, लेकिन कलाकार देश के अलग-अलग हिस्सों के थे. जिन्होंने सुगम संगीत, लोक गीत, सूफी, भजन, कीर्तन व नृत्य के जरिये लोगों की तालियां बटोरी। बज्जिका, मैथिली, हिंदी व भोजपूरी गीतों के जरिये कलाकारों ने शमा बांध दिया। देर रात भजन के जरिये कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह रहा. डीएम राजीव रौशन, एसपी हरि प्रसाथ एस, डीडीसी ए रहमान, डीसीएलआर संदीप कुमार, डीटीओ चितरंजन प्रसाद, एसडीसी प्रदीप कुमार, कुमारिल सत्यनंदन, भू अर्जन पदाधिकारी राशिद आलम, एसडीओ सदर संजय कृष्ण, डीएमओ डॉ आरके यादव, जिप अध्यक्ष उमा देवी, केंद्रीय पर्यटन सलाहकार समिति के सदस्य सह भाजपा नेता आलोक वत्स, लोक अभियोजक अरूण कुमार सिंह, कांग्रेस जिलाध्यक्ष विमल शुक्ला, राजद जिलाध्यक्ष मो शफीक खान, इंस्पेक्टर मुकेश चंद्र कुंवर, नगर थानाध्यक्ष विशाल आनंद व पुनौरा ओपी प्रभारी ज्ञान प्रकाश समेत सैकड़ों लोग मौजूद थे। …और छा गयीं मालिनी अवस्थी अपनी दिलकश अंदाज में अवधी व भोजपुरी गीतों के जरिये अंतर राष्ट्रीय स्तर पर छा जाने वाली प्रख्यात गायिका मालिनी अवस्थी महोत्सव में छा गयी। मालिनी ने जैसे ही माइक थामा, शमा बंध गया. मालिनी ने अपनी जादुई आवाज के जरिये लोगों को एक से बढ़ कर एक गीत सुनाये। मंच से हीं लोगों से संवाद किया। सीतामढ़ी आने को लेकर उन्होंने खुद को गौरव का विषय बताया। मालिनी के कार्यक्रम के दौरान पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा। इस दौरान उन्होंने ठुमरी व कजरी आदि पर चर्चा की। कहा कि उनके गीतों का आधार हीं माता सीता है। उन्होंने कहा कि रामका नाम तो हर कोई लेता है, लेकिन जानकी के बगैर राम नाम की महता नहीं रह जाती है। उन्होंने कहा कि सीतामढ़ी में पहली बार आयी है, लेकिन इस धरती से उनका भावनात्मक लगाव रहा है। उन्होंने जानकी जन्मस्थली के विकास की बात कहीं मालिनी ने लोक गीतों पर चर्चा की। वहीं कहा की लोकगीत की परंपरा को विकसित करने की जरूरत है, इसके लिए युवा पीढ़ी को आगे आने की जरूरत है।
This post was published on %s = human-readable time difference 11:37
7 दिसंबर 1941 का पर्ल हार्बर हमला केवल इतिहास का एक हिस्सा नहीं है, यह… Read More
सफेद बर्फ की चादर ओढ़े लद्दाख न केवल अपनी नैसर्गिक सुंदरता बल्कि इतिहास और संस्कृति… Read More
आजादी के बाद भारत ने लोकतंत्र को अपनाया और चीन ने साम्यवाद का पथ चुना।… Read More
मौर्य साम्राज्य के पतन की कहानी, सम्राट अशोक के धम्म नीति से शुरू होकर सम्राट… Read More
सम्राट अशोक की कलिंग विजय के बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया। एक… Read More
KKN लाइव के इस विशेष सेगमेंट में, कौशलेन्द्र झा मौर्यवंश के दूसरे शासक बिन्दुसार की… Read More