पश्चिम बंगाल। रसगुल्ले की जंग तो बंगाल ने ओड़िशा से जीत ली है। लिहाजा, अब मिहीदाना, लेंचा, मोआ, सीताभोग और सरभाजा सरपुरिया को लेकर नई बहस शुरू हो गयी है। बंगाल सरकार भौगोलिक पहचान टैग हासिल करना चाहती है। इन मिठाईयों पर अपना दावा ठोकने की तैयारी में है। जानकार बतातें हैं कि माओ, कृष्णनगर में दूध से तैयार होने वाली मिठाई है। इसी प्रकार सरभाजा छेने से तैयार होने वाली और सीताभोग खोवा से तैयार होने वाला मिठाई है। इसके अतिरिक्त शक्तिगढ़ का लेंचा पर भी बंगाल की सरकार अपना दावा कर सकती है।
बतातें चलें कि बंगाली मिठाई प्रेमी होते हैं और बंगाल में मिठाईयों का बोलबाला है। इन मिठाईयों के निर्माता दावा ठोक रहे हैं कि इसपर बंगाल का टैग लग जाए तो इनकी नकल पर लगाम लग जायेगी। जीआई पंजीकरण मतलब ये होता है कि वो उत्पाद कहां का है इसका पता चल जाता है।
गौरतलब है कि रसगुल्ले को लेकर बंगाल और ओड़िशा में काफी समय से बहस चल रही थी, लेकिन फैसला बंगाल के पक्ष में आया और रसगुल्ले पर बंगाल का हक हो गया। हालांकि, ओड़िशा अब तक इस फैसले को मानने को तैयार नहीं है।
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